इस्रो २०२२ से पहले तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतराल में भेजेगा

भारत की पहली मानवी अंतरिक्ष मुहीम की रुपरेखा घोषित

नई दिल्ली – अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाने वाला भारत का ‘गगनयान’ तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाएगा। आज से ठीक ४० महीनों के बाद यह मुहीम रची जाएगी। इस मुहीम की पुर्वतैयारी के लिए इसके पहले दो मानवरहित मुहीम बनाई जाएंगी, ऐसा भारतीय अंतरिक्ष संशोधन संस्था (इस्रो) के अध्यक्ष के. सिवन ने घोषित किया है।

सन २०२२ को ७५ वे स्वतंत्रता दिवस के पहले भारत की अंतरिक्ष मुहीम सफल हुई होगी, ऐसा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से किए भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था। इस तरह की अंतरिक्ष मुहीम बनाने वाले देशों की सूचि में भारत का समावेश होगा, ऐसा भरोसा उन्होंने व्यक्त किया था। इस्रो ने इस चुनौती को स्वीकार किया है और उसके बाद इस्रो की तरफ से मानवी अंतरिक्ष मुहीम के लिए जोरदार तैयारियां शुरू हुईं हैं। मंगलवार को इस्रो ने भारत की इस पहली अंतरिक्ष मुहीम की घोषणा की है।

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सन २००४ से इस्रो मानवी अंतरिक्ष मुहीम की तैयारियां कर रहा है। इसके लिए कठिन तकनीक निर्माण करने का कार्य भी शुरू है। लेकिन इस मुहीम को इस्रो की प्राथमिकता नहीं थी। तब मानवी अंतरिक्ष मुहीम के बजाय संचार यंत्रणा सुधारना, खेती उपयोगी और हवामान क्षेत्र से संबंधित परियोजनाओं पर इस्रो ने अधिक ध्यान दिया। अब प्रधानमंत्री की घोषणा करने पर निश्चित समय में इस मुहीम को पूरा करने की तयारी शुरू की गई है, इस बात को सिवन ने स्पष्ट किया है।

रिएंट्री मिशन कैपबलिटी, क्रू स्पेस सिस्टम, क्रू मोड्यूल कॉन्फ़िगरेशन, थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम, सब सिस्टम ऑफ़ लाइफ एंड सपोर्ट सिस्टम, स्पेस सूट जैसी कठिन तकनीक इस्रो ने विकसित की है, ऐसा सिवन ने कहा है। आजसे ४० वे महीने में इस्रो यह मुहीम रचने वाला है। पृथ्वी से ४०० किलोमीटर ऊंचाई पर ५ से ७ दिनों तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री ‘गगनयान’ में रहेंगे, यह जानकारी देते हुए इस्रो ने पहली बार अपनी मानवी अंतरिक्ष मुहीम की प्राथमिक रूपरेषा सामने रखी है।

इसी मुहीम की तयारी के तौर पर ३० वे और ३६ वे महीने में दो मानवरहित अंतरिक्ष मुहीम रची जाएंगी, ऐसा भी सिवन ने घोषित किया है। साथ ही इस मुहीम के लिए प्रक्षेपक के तौर पर ‘जीएसएलव्ही एमके-३’ का इस्तेमाल किया जाएगा, ऐसा सिवन ने कहा है। इस मानवी अंतरिक्ष मुहीम के लिए कुल १० हजार करोड़ रूपये का खर्चा होने वाला है, इसकी जानकारी परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विज्ञान विभाग के राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंग ने दी है।

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