लैंडर से संपर्क करने की कोशिश अभी भी जारी – इस्रो के प्रमुख के. सिवन

बंगलुरु: रात १:४० से विक्रम लैंडर की चांद की दिशा से अंतिम यात्रा शुरू हुई और इसकी तरफ नजर लगाए बैठे हुए भारतीयों का उत्साह बढ़ रहा था| यह आखरी १५ मिनट की यात्रा सबसे कठिन है, ऐसा कहा जा रहा था| पर चांद से केवल ३ मिनट और २.१ किलोमीटर इतने अंतर पर होते समय विक्रम लैंडर से संपर्क टूटा| उसके बाद देशभर में निराशा की भावना फैली पर केवल कुछ ही मिनटों में देशवासियों से इस्रो का अभिनंदन करनेवाले संदेश आने लगे| इसके लिए इस्रो के बंगलुरु के मुख्यालय में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह असफलता नहीं, ऐसा कहकर अबतक इस्रो की यात्रा ‘शानदार और जानदार’ थी, ऐसी प्रशंसा की है|

प्रति घंटा २१,६०० किलोमीटर इतनी गति से यात्रा करनेवाले विक्रम लैंडर को आखिरी १५ मिनट में अपनी गति कम करके प्रति घंटे ७ किलोमीटर करनी थी| यह स्तर निर्णायक होगा, ऐसी जानकारी देकर इस्रो के प्रमुख के.सिवन ने यह मिनट दहला देनेवाले होंगे, ऐसा सूचित किया था| यह स्तर विक्रम लैंडर ने सफलतापूर्वक शुरू किया एवं इस १५ मिनट में १२ मिनट तक सब कुछ अचूकता से संपन्न हुआ्| पर उसके बाद आखरी समय में विक्रम लैंडर का ऑर्बिटर एवं नियंत्रण कक्षा से होनेवाला संपर्क टूटा| उसके कुछ सेकंड पहले लैंडर की यात्रा भटकने की बात दर्ज हुई थी| उसके बाद संपर्क फिर से प्रस्थापित करने के लिए इस्रो के वैज्ञानिकों ने प्रयास शुरू किए, पर उसे प्रतिक्रिया नहीं मिली|

उसके बाद निराश हुए इस्रो के वैज्ञानिकों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है| विज्ञान में प्रयोग होते हैं, असफलता नहीं होती, आज हमारे सामने बाधा है| फिर भी हमारा उद्देश्य जरुर प्राप्त होगा, ऐसी गवाही उस समय प्रधानमंत्री ने दी है| इस मुहिम के लिए दिन रात प्रयास करनेवाले इस्रो के वैज्ञानिकों ने अनेक दिनों तक नींद नहीं ली है| सारे देश को तुम्हारा अभिमान महसूस हो रहा है एवं देश तुम्हारे समर्थन में है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदीने इस्रो के वैज्ञानिकों का कहकर दिलासा दिया है|

के. सिवन ने प्रधानमंत्री के इस आश्वासक शब्दों की वजह से ‘हमें नया बल मिलने की बात कही है’ तथा आज भी इस्रो ने विक्रम लैंडर से संपर्क करने के प्रयत्न शुरू रखे हैं और फिर यह संपर्क प्रस्थापित हो सकता है, ऐसा सिवन ने कहा है| साथ ही लैंडिंग में असफलता प्राप्त हुई हो, फिर भी यह मुहिम असफल नहीं हुई है| इस मुहिम में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर ऐसे तीन भाग थे| जिसमें ऑर्बिटर चांद की कक्षा में होगा और आनेवाले साढ़े सात वर्ष तक ऑर्बिटर चांद के बारे में जानकारी एवं फोटोग्राफ्स प्रदान करता रहेगा, ऐसा इस्रो के प्रमुख ने स्पष्ट किया है|

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