भारतीय उपग्रह प्रक्षेपण का शतक

श्रीहरिकोटा: संपूर्ण रूप से भारतीय बनावट का १००वा उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़कर भारतीय अन्तरिक्ष संशोधन संस्था ने (इस्रो) ने इतिहास रचा है। शुक्रवार को इस्रो ने ‘पीएसएलवी’ प्रक्षेपक द्वारा ‘कार्टोसैट-२एफ’ उपग्रह के साथ ३१ उपग्रह अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक छोड़कर, अपने इतिहास में एक और मुहिम सफल की है। इस्रो के इस सफलता के बारे में और १०० वे उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़कर लांघे हुए इतिहास के स्तर के बारे में देशभर से अभिनंदन की बौछार हो रही है।

शुक्रवार को सुबह ९.३० बजे ‘इस्रो’ ने ‘पीएसएलवी सी- ४०’ इस अंतरिक्ष प्रक्षेपण द्वारा एक ही समय पर ३१ उपग्रहों का अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। इसमें २८ विदेशी उपग्रहों का पिछले वर्ष एक ही समय पर ७ देशों के १०४ उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ने का विक्रमी काम करने पर इस्रो ने एक और कठिन मुहीम सफल कर दिखाई है। इस प्रक्षेपण द्वारा इस्रो ने ऐतिहासिक स्तर पर किया है।

इस्रो ने शुक्रवार को अंतरिक्ष में छोड़े ‘कार्टोसैट-२एफ’ इस इस्रो ने तैयार किया १००वा उपग्रह था। इसकी वजह से शुक्रवार के इस प्रक्षेपण पर सभी का लक्ष्य केंद्रित हुआ था।

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इस सफल प्रक्षेपण के बाद इस्रो पर अभिनंदन की बौछार हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्रो के इस कामकाज को ‘तेजस्वी यश’ कहां है और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को उज्जवल भविष्य होने की बात प्रधानमंत्री ने कही है। इस्रो ने छोड़े हुए भारतीय बनावट के १०० वे उपग्रह ‘कार्टोसैट-२एफ’ इस देश को नव वर्ष की भेंट होने के बाद इस्रो के अध्यक्ष ‘ए.एस.किरण कुमार’ ने कही है। सन २०१८ में सफल मुहिम ने इस्रो ने शुरुआत करने की बात रेखांकित करते हुए, पिछले वर्ष अगस्त महीने में किए हुए असफलता के बाद आवश्यक कदम उठाकर, मजबूती से नई मुहिम की शुरुआत करने की बात किरण कुमार ने कही है।

कार्टोसैट-२एफ यह ७१० किलो वजन का उपग्रह होकर अंतरिक्ष में भारत की आंख के तौर पर इसकी तरफ देखा जाएगा। यह गश्ती उपग्रह होकर ‘कार्टोसैट’ श्रृंखला का यह नौवां उपग्रह है। कार्टोसैट उपग्रहों की श्रृंखला यह भारत के ‘रिमोट सेंसिंग प्रोग्राम’ का भाग होकर ‘कार्टोसैट’ उपग्रहों द्वारा साधन संपत्ती का व्यवस्थापन और गश्ती के लिए इसका उपयोग किया जाता है और ‘कार्टोसैट-२एफ’ उपग्रह नागरी उपयोग के साथ लष्करी कारणों के लिए भी उपयोग में आने वाला है। लष्कर के लिए ‘कार्टोसैट-२एफ’ उपयोग में आने से संरक्षण के रूप मे इस उपग्रह का प्रक्षेपण महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इस्रो ने शुक्रवार को छोड़े २८ विदेशी उपग्रहों में सर्वाधिक १९ उपग्रहों अमरिका के थे। इसके सिवाय दक्षिण कोरिया के ५ उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गए हैं। इसके सिवाय फ्रांस, फिनलैंड, कैनडा और ब्रिटेन के उपग्रहों का समावेश है। तथा भारत के ३ उपग्रहों में दो उपग्रह यह माइक्रो उपग्रह है। ‘पीएसएलवी सी-४०’ इस प्रक्षेपक का ४२वां उड़ान था।

दौरान, शुक्रवार को इस सफलता के बाद इस्रो ने ‘चंद्रयान-२’ मुहिम के बारे में महत्वपूर्ण घोषणा की है। ‘चंद्रयान-२’ मुहिम के लिए लगभग सभी तैयारी पूर्ण हुई है और चंद्रयान के अनेक अंतर्गत परीक्षण अब तक संपन्न हुए हैं और कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण शुरू होने की जानकारी इस्रो के अध्यक्ष किरण कुमार ने दी है। मार्च तक ‘चंद्रयान-२’ अंतरिक्ष में छोड़ने की इस्रो की योजना किरण कुमार ने घोषित किया है। ‘चंद्रयान-२’ यह है ६ पहियों का ‘रोबोटिक रोवर’ होकर चंद्र पर भूमि का अभ्यास करने के लिए ‘चंद्रयान-२’ से मिलने वाली जानकारी का उपयोग हो सकता है, ऐसी जानकारी किरण कुमार ने दी है।

इस्रो के प्रक्षेपण पर पाकिस्तान का आक्षेप

नई दिल्ली: ‘कार्टोसैट-२एफ’ इस इस्रो ने अंतरिक्ष में छोड़े हुए भारत के १०० वे उपग्रह पर पाकिस्तान ने आक्षेप लिया है। नागरी एवं लष्करी ऐसे दोनों वजहों के लिए उपयोग में आने वाले उपग्रह की वजह से इस क्षेत्र में धारणात्मक स्थिरता को खतरा निर्माण होगा, ऐसी प्रतिक्रिया पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दी है।

भारत में ‘कार्टोसैट-२एफ’ उपग्रह नागरी वजह से अंतरिक्ष में छोड़ा है। इसका उपयोग लष्कर के लिए हो सकता है। सभी देशों को शांतिपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रम कार्यान्वित करने का अधिकार है। पर दोहरे उपयोग होने वाले उपग्रहों का उपयोग अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। इसकी वजह से ऐसे कार्यक्रम को क्षेत्रीय स्तर पर नकारात्मक परिणाम होंगे, ऐसा पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ मोहम्मद फैसल ने कहा है।

पाकिस्तान की निराशा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से लगने वाला डर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया में दिखाई दे रहा है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।

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