अब्राहम समझौते को दो साल पूरे होने के अवसर पर इस्रायली राष्ट्राध्यक्ष ने ‘यूएई’ के नेतृत्व की सराहना की

तेल अवीव – इस्रायल और संयुक्त अरब अमीराती ‘यूएई’ ने २०२० के सितंबर में अब्राहम समझौता किया था। इसे अब दो साल पूरे हो रहे हैं। इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष इसाक हर्ज़ोग ने इस्रायल में स्थित यूएई के दूतावास पहुँचकर दोनों देशों के बीच सहयोग स्थापित होने पर संतोष जताया। इन दो सालों में इस्रायल और यूएई के संबंधों में हुई प्रगति का जायज़ा इस्रायली माध्यम ले रहे हैं। इस दौरान अपने भाषण में इस्रायली राष्ट्राध्यक्ष ने यूएई के नेतृत्व की तहेदिल से सराहना की और शेख अब्दुल्लाह बिन ज़ायेद शांतिप्रिय नेता होने का बयान भी किया।

अब्राहम समझौतेपैलेस्टिन का पक्ष लेनेवाले अरब देशों ने पैलेस्टिन के मसले का हल निकलने तक इस्रायल के साथ सलोखा ना होने की भूमिका अपनाई थी। आज भी खाड़ी के कुछ देश इसी भूमिका पर कायम हैं। लेकिन, खाड़ी क्षेत्र की स्थिति पहले की तुलना में पूरी तरह से बदल चुकी है और इस्रायल से सहयोग करने से पैलेस्टिन के मसले का हल निकालना अधिक आसान होगा, ऐसा विचार अब खाड़ी के कुछ देश कर रहे है। अमरीका में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प प्रशासन के दौरान खाड़ी देशों का इस्रायल के साथ सहयोग स्थापित करने के लिए अमरीका ने जोरदार कोशिश की थी। इसे यूएई का प्रतिसाद अमरीका की राजनीतिक कोशिशों को मिली बड़ी सफलता है।

साल २०२० के सितंबर में इस्रायल और यूएई ने अब्राहम समझौता किया था। मोरोक्को, सुड़ान, बहरीन के बाद यूएई जैसे खाड़ी के प्रमुख देश ने इस्रायल के साथ सहयोग स्थापित करके काफी बड़ा जोखिम उठाया था। इसकी गूंज पैलेस्टिनी संगठन एवं ईरान जैसे देश में भी सुनाई पड़ी। यूएई ने अमरीका और इस्रायल के साथा पैलेस्टिनी नागरिकों के हितों का सौदा किया, ऐसी आलोचना पैलेस्टिनी संगठनों ने की थी। तभी, ईरान और तुर्की ने इसके गंभीर परिणामों की चेतावनी दी थी। लेकिन, अब्राहम समझौते की वजह से इस्रायल पर राजनीतिक दबाव बनाकर पैलेस्टिन के मसले का अधिक बेहतरीन हल निकालना मुमकिन होगा, ऐसी भूमिका यूएई ने अपनाई थी।

इसी बीच इस्रायल के साथ अरब खाड़ी देशों ने हाथ मिलाना यानी हमारे विरोधी रणनीति का हिस्सा होने का आरोप ईरान ने लगाया था। इस वजह से खाड़ी में शांति स्थापित नहीं होगी, बल्कि इससे अस्थिरता फैलने का खतरा अधिक होने की चेतावनी ईरान दे रहा है। साथ ही इराक, सीरिया, येमन, लेबनान पर ईरान के बढ़ते प्रभाव का दाखिला देकर इससे होनवाले खतरे का मुकाबला करने के लिए खाड़ी देशों को इस्रायल के सहयोग की बड़ी आवश्यकता होने का बयान विश्लेषक कर रहे थे। इसी कारण यूएई जैसे देश ने अब्राहम समझौता करने का रणनीतिक निर्णय किया। यूएई के करीबी सहयोगी देश सौदी अरब को भी यह निर्णय मंजूर होने के दावे विश्लेषकों ने किए थे।

फिलहाल सौदी अरब और खाड़ी के अन्य कुछ देश अब्राहम समझौते का हिस्सा नहीं बने हैं, फिर भी आनेवाले समय में वे भी ऐसा निर्णय करेंगे। इसके लिए आवश्यक माहौल बनाया जा रहा है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। ऐसी स्थिति में यूएई और इस्रायल के अब्राहम समझौते को दो साल पूरे हो रहे हैं और इसकी अहमियत रेखांकित करने के लिए इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष यूएई के दूतावास पहूँचना काफी बड़ी घटना मानी जाती है। इसके ज़रिये यूएई के साथ सहयोग को हम काफी बड़ी अहमियत देते हैं, यह संदेश इस्रायली राष्ट्राध्यक्ष ने दिया है। साथ ही दोनों देशों में सहयोग बढ़ाने के लिए जारी कोशिशों का स्वागत करके सामने खड़ी चुनौतियों का भी अहसास इस्रायली माध्यमों ने कराया है।

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