विश्व में ३४ करोड़ जनता पर भुखमरी का भयंकर संकट – यूएन के ‘वर्ल्ड फुड प्रोग्राम’  की रपट

रोम – विश्व के लगभग ३५ करोड़ जनता भुखमरी के भयंकर संकट का सामना करने के लिए मज़बूर है और रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण इस संकट की तीव्रता अधिक बढ़ी है, ऐसी चेतानी ‘वर्ल्ड फुड प्रोग्राम’ की रपट में दी गई है। इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संगठन ने सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए वरिष्ठ अधिकारी मार्टिन ग्रिफिथ्स ने पूरे विश्व में ‘त्सुनामी ऑफ हंगर’ यानी भुखमरी की त्सुनामी के साथ प्रचंड़ बड़े सूखे का सामना करना पडेगा, ऐसी चेतावनी दी। भुखमरी के भयंकर संकट के लिए युद्ध के साथ ही मौसम के बदलाव, कोरोना की महामारी और महंगाई में उछाल भी ज़िम्मेदार होने की बात ‘वर्ल्ड फुड प्रोग्राम’ की रपट में दर्ज की गई।

रशिया और यूक्रेन ‘ब्रेड बास्केट’ के तौर पर जाने जाते हैं। गेहूं, मक्कई, बार्ली, सूरजमुखी के उत्पादन में अग्रसर यह देश एशिया, अफ्रीका और यूरोपि के कई देशों को अनाज की आपूर्ति करते हैं। लेकिन, फ़रवरी में शुरू हुए रशिया-यूक्रेन युद्ध के बाद अनाज की सप्लाई बड़ी मात्रा में बाधित हुई थी। इस वजह से अफ्रीका एवं एशियाई देशों की स्थिति अधिक बिगड़ने लगी थी।

पिछले दो सालों में कोरोना की महामारी, आर्थिक संकट और सूखे की वजह से अफ्रीका और एशियाई महाद्विप के कई देशों में भारी मात्रा में अनाज की किल्लत महसूस हो रही थी। इसी बीच रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से स्थिति अधिक खौफनाक हुई है और इस महाद्विप के कई देशों के सामने अन्न सुरक्षा एवं भुखमरी का संकट गंभीर बना हुआ है। ‘वर्ल्ड फुड प्रोग्राम’ की नई रपट इसकी पुष्टि करती है।

‘वर्ल्ड फुड प्रोग्राम’ की रपट में प्रतिदिन तकरीबन ८३ करोड़ जनता को भूखे पेट सोना पड़ रहा है, इस पर ध्यान आकर्षित किया है। इनमें से ३४.५ करोड़ जनता भुखमरी के संकट का मुकाबला कर रही है और पांच करोड़ से अधिक लोग खतरनाक सूखे का सामना कर रहे हैं, ऐसा यह रपट कहती है। अफ्रीकी महाद्वीप, सेंट्रल एशिया, अफ़गानिस्तान, सीरिया और येमन यह देश भुखमरी के ‘हॉटस्पॉट’ बने होने की चेतावनी भी दी गई है। विश्व के कुल ८२ देश भुखमरी के खतरनाक दायरे में फंसे हुए हैं और इससे छुटकारा पाने के लिए बड़ी सहायता की आवश्यकता होने का आवाहन भी वैश्विक समुदाय से किया गया है।

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