चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा १०० अरब डॉलर पार हुआ

नई दिल्ली –  लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश के तवांग के एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव निर्माण हुआ है। इस तनाव का असर भारत-चीन व्यापार पर ना होने की चौकानेवाली जानकारी सामने आ रही है। भारत और चीन का सालाना द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर १३५ अरब डॉलर्स से भी अधिक हुआ है। साथ ही इस व्यापार में भारत का हुआ घाटा १०० डॉलर्स से भी अधिक हुआ है। हाल ही में यह आंकड़े सामने आए हैं।

व्यापार घाटाचीन अभी भी भारत के बाज़ार से लाभ उठा रहा है, यह भी प्राप्त नए आँकड़ों से सामने आ रहा है और भारत व्यापार में लाभ उठा सके ऐसे कृषि, दवाईयां निर्माण और आयटी क्षेत्र के लिए चीन अपना बाज़ार भारतीय कंपनियों के लिए खोलने के लिए तैयार नहीं। इसका असर दोनों देशों के व्यापार पर दिखाई देने से चीन के व्यापार में भारत का घाटा अब १०० डॉलर्स से भी अधिक हुआ है। चीन से भारत को ११८.५ अरब डॉलर्स की निर्यात कर रहा है। ऐसे में भारत से चीन हो रही निर्यात १७.४८ अरब डॉलर्स होने की जानकारी साल २०२२ के आंकड़े बयान करते है।

चीन द्विपक्षीय व्यापार में भारत को सहुलियत देने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन, भारत की उदारता का लाभ उठाकर चीन भारत के बाज़ार का हर मुमकिन लाभ उठा रहा है। इसके बावजूद इस द्विपक्षीय व्यापार में चीन से भारतीय उद्योग के लिए ज़रूरी कच्चे सामान की मात्रा काफी बड़ी है। पहले के दौर में चीन से भारत को हो रही थी उस तरह के सामान की निर्यात कम होने की जानकारी विशेषज्ञ दे रहे हैं। आनेवाले दौर में चीन से हो रही आयात कम करनी हैं तो भारतीय उद्योग क्षेत्र के लिए आवश्यक कच्चा सामान देश में ही तैयार करने की दिशा में कदम उठाने होंगे, यह इशारा विशेषज्ञ दे रहे हैं।

भारत को चीन दवाईयां के निर्माण एवं आयटी क्षेत्र में अवसर नहीं दे रहा हैं और इससे दोनों देशों के बीच एकतरफा व्यापार होने का दावा किया जा रहा है। इसके लिए भारत ने चीन पर दबाव बढ़ाने की भी कोशिश शुरू की है। जैसें ही भारतीय कंपनियों को चीन के इन क्षेत्रों में अवसर प्राप्त होता हैं तो इस द्विपक्षीय व्यापार की स्थिति और गति बदल सकती हैं। इसका अहसास होने से चीन इस क्षेत्र में भारत को अवसर ही प्रदान नहीं करता, यह भी अब स्पष्ट हुआ है। अपने देश में कैन्सर के इलाज़ के लिए भारत में ही तैयार हो रही दवाईयों की मांग होने के बावजूद चीन भारतीय कंपनियों को अपने देश में प्रवेश देने के लिए तैयार नहीं है, इस ओर विशेषज्ञ ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इसके ज़रिये चीन अपनी भारत विरोधी भूमिका दिखा रहा है, ऐसा इन विशेषज्ञों का कहना हैं।

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