आतंकी और गुनाहगारों के आश्रय स्थान ध्वस्त करने ही पडेंगे – इंटरपोल की सभा में प्रधानमंत्री मोदी का आवाहन

नई दिल्ली – विश्व को अहसास होने से काफी पहले भारत को सुरक्षा की अहमियत ज्ञात थी। आतंकवाद से लड़ते हुए हज़ारों भारतीय नागरिकों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। विश्व की सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामुहिक ज़िम्मेदारी है, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा। १९५ सदस्य देशों के ‘इंटरपोल’ की सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री बोल रहे थे। भ्रष्टाचारी, आतंकी, नशीले पदार्थों के कारोबार करने वाले गिरोह, शिकारी एवं संगठित गुनाहगारों से वैश्विक सुरक्षा को काफी बड़ा खतरा हो सकता है। उन्हें कहीं भी सुरक्षित आश्रय दिया नहीं जाना चाहिए, उन्हें ध्वस्त करना ही पडेगा, ऐसा इशारा देकर इंटरपोल को इसके खिलाफ कार्रवाई अधिक तेज़ी से करनी पडेगी, ऐसी गुहार प्रधानमंत्री मोदी ने लगाई।

इंटरपोलनई दिल्ली में इंटरपोल की ९० वीं आमसभा शुरू हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका उद्घाटन किया गया। इसके स्मरण में प्रधानमंत्री ने पोस्टल स्टैम्प और सौ रुपये का सिक्का जारी किया। आतंकवाद जैसी भयंकर समस्या का अहसास पूरे विश्व को होने से काफी पहले भारत को इसकी कीमत चुकानी पड़ी, इसका अहसास भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान कराया। वैश्विक सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक ज़िम्मेदारी है। इसी कारण से भ्रष्टाचार, आतंकी, नशीले पदार्थों के कारोबार में शामिल गिरोह, शिकारी और संगठित गुनाहगारों को विश्व में कही भी सुरक्षित आश्रयस्थान दिया नहीं जाना चाहिये। किसी एक स्थान पर किया गया गुनाह हर किसी के खिलाफ, संपूर्ण मानवता के खिलाफ किया गया अपराघ माना जाना चाहिए, ऐसी उम्मीद प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान व्यक्त की।

इसका सिर्फ मौजूदा विश्व पर ही नहीं, बल्कि आनेवाली पिढ़ीयों पर भी असर पडेगा, इस बात को ध्यान में रखकर इन गुनाहगारों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही चाहिये। इसके लिए पुलिस को अधिकाधिक सक्षम बनाना काफी ज़रूरी है। इंटरपोल जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले संगठन को एक देश में गुनाह करके भागने वाले गुनाहगारों के खिलाफ ‘रेड कॉर्नर’ नोटीस जारी करने में शीघ्रता से गतिविधियाँ करनी चाहिएं, यह माँग भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान की। साथ ही आतंकवाद सिर्फ हमले करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल माध्यम से भी चरमपंथ और सायबर गुनाहगारी फैलाने का काम आतंकी कर रहे हैं। एक क्लिक के ज़रिये हमला करके पूरी प्रणाली को घुटनों टेकने का काम सायबर आतंकवाद कर सकता है, इस खतरे का अहसास प्रधानमंत्री ने कराया।

इसके खिलाफ प्रत्येक देश अपनी नीति बना रहा है। लेकिन, अपनी सीमा में रहकर इसके खिलाफ लड़ना मुमकिन नहीं होगा। बल्कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीति तय करनी पडेगी, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। भ्रष्टाचारी अवैध मार्ग से प्राप्त किया हुआ पैसा दूसरे देशों में रखते हैं। यह पैसा जहां पर भ्रष्टाचार हुआ उस देश की जनता का होता है। ऐसे पैसों का गलत कारणों से भी इस्तेमाल हो सकता है और आतंकी हरकतों के लिए भी इसका इस्तेमाल हो सकता है। साथ ही नशीले पदार्थों के कारोबार की वजह से कई युवकों का जीवन तबाह हो रहा है। इस कारण मानवी तस्करी से लोकतंत्र कमज़ोर करने तक एवं हथियारों के अवैध व्यापार तक के अवैध तरीके से प्राप्त पैसों का इस्तेमाल किया जाता है, इस खतरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने ध्यान आकर्षित किया।

इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ऐसे गुनाहगारों के सुरक्षित स्वर्ग नष्ट करने की गतिविधियाँ तेज़ करनी पडेंगी। कोरोना के दौर में हम किसी भी समस्या का सामना करने के लिए पहल कर सकते हैं, यह भारत ने साबित कर दिखाया है। इसकी वजह से विश्वभर का समाज कुदगर्ज़ बनता जा रहा है और ऐसे में भारत अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए आवाहन करके इस मोर्चे पर पहल कर रहा है। स्थानीय स्तर के कल्याण के लिए वैश्विक सहयोग, यह भारत का आवाहन है। विश्व की अच्छी ताकतें साथ मिलती हैं तो गुनाहगारी ताकतें काम कर नहीं सकतीं, ऐसा बड़ा अहम संदेश भारत के प्रधानमंत्री ने इंटरपोल की आमसभा में दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.