प्रधानमंत्री ने सम्माननीय दलाई लामा को शुभकामनाएं देने पर चीन की आपत्ति – भारत के विदेश मंत्रालय का करारा प्रत्युत्तर

नई दिल्ली – बौद्ध धर्मगुरू और तिब्बतियों के नेता सम्माननीय दलाई लामा के ८७ वें जन्म दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन करके शुभकामनाएं प्रदान की थी। इस पर भी चीन ने आपत्ति जतायी है। दलाई लामा चीन में अलगाववादी हरकतों से जुड़े हैं, इसे भारत ध्यान में रखे, ऐसा इशारा चीन के विदेश मंत्रालय ने दिया है। इस पर जवाब देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि, दलाई लामा सम्माननीय धर्मगुरू हैं और भारत उनके प्रति आदर और सम्मान की भावना रखता है। साथ ही सम्माननीय दलाई लामा को लेकर भारत की यह भूमिका थी और आगे भी रहेगी, इसका अहसास भी विदेश मंत्रालय ने चीन को कराया।

दलाई लामाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन्मदिवस के अवसर पर दलाई लामा को शुभकामनाएं देने पर भी चीन राजनीति कर रहा है। इसके ज़रिये भारत तिब्बत का मुद्दा उठाने की कोशिश में होने का आरोप चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने लगाया। दलाई लामा चीन में जारी अलगाववादी गतिविधियों से जुड़े हैं। यह बात भारत ध्यान में रखेगा और चीन के अंदरुनि कारोबार में दखलअंदाज़ी नहीं करेगा, यह उम्मीद लिजिआन ने व्यक्त की। लेकिन, दलाई लामा को लेगकर पूरे देश में आदर की भावना है और पूरे देश में उनके अनुयायी हैं, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है। सम्माननीय धर्मगुरू के तौर पर भारत हमेशा दलाई लामा का सम्मान करता रहा है। इस मुद्दे पर भारत की एक ही भूमिका थी, इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ध्यान आकर्षित किया।

दलाई लामा

इसी बीच, इंडोनेशिया में शुरू ‘जी २०’ परिषद में भारत और चीन के विदेशमंत्रियों के बीच चर्चा हो रही थी, तभी चीन ने दलाई लामा की शुभकामनाओं का मुद्दा उठाया। भारत जानबूझकर दलाई लामा का सम्मान करके तिब्बत का मुद्दा उठा रहा है ऐसा चीन का कहना है। तिब्बत चीन का अभिन्न हिस्सा है, ऐसा चीन लगातार कह रहा है और भारत ने भी तिब्बत पर चीन के कब्ज़े को अधिकृत स्तर पर स्वीकृति प्रदान की थी। लेकिन, कुछ दशक पहले की यह नीति भारत बदले, ऐसी माँग भारत में आश्रय पानेवाले तिब्बती कर रहे हैं। साथ ही तिब्बती जनता पर चीन कर रहे अत्याचारों के मुद्दे की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चर्चा हो रही है। चीन तिब्बत की विशेषताओं से भरी संस्कृति, भाषा और पहचान मिटा रहा है, यह आरोप तीव्र हुए हैं। ऐसे में ही लद्दाख के ‘एलएसी’ पर भारतीय सैनिकों की तैनाती के विरोध में चीन ने तिब्बत का इस्तेमाल करना शुरू करने की बात भी सामने आ रही है। तिब्बत में सेना और हथियार तैनात करने के साथ ही चीन ने तिब्बती युवाओं को जबरन अपनी सेना में भरती करने की खबरें प्रसिद्ध हुईं थी। ऐसे दौर में भारत के प्रधानमंत्री ने दलाई लामा को शुभकामनाएं देकर तिब्बत पर चीन के अत्याचारों का मुद्दा उठाया है, यह चिंता चीन को सता रही है।

इससे पहले भी चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए भारत ‘तिब्बत कार्ड’ इस्तेमाल कर रहा है, ऐसा आरोप चीन ने लगाया था। अपने प्रचंड़ आर्थिक, राजनीतिक और सामरिक ताकत के जोर पर चीन ने तिब्बत का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय नहीं बनने दिया था। लेकिन, अब स्थिति बदली है। हाँगकाँग और तिब्बत की जनता पर चीन के अत्याचारों का मुद्दा एवं चीन के झिंजियांग प्रांत के उइगरवंशियों के नरसंहार की भयंकर खबरें विश्व के सामने आ रही हैं। इन मुद्दों पर चीन के यूरोपिय महासंघ के साथ तीव्र मतभेद हैं और इससे दोनों का व्यापार प्रभावित होता दिख रहा है। ऐसी स्थिति में भारत ने तिब्बत का मसला आक्रामकता से उठाया तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने खिलाफ होने का और एक अवसर मिलेगा, यह चिंता चीन को सता रही है।

इसी कारण औपचारिक स्तर पर भारतीय प्रधानमंत्री ने सम्माननीय दलाई लामा को फोन पर शुभकामनाएं देना भी चीन को असुरक्षित करनेवाला मुद्दा बनता दिख रहा है।

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