स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के वर्ष में प्रधानमंत्री ने दिया ‘आत्मनिर्भरता’ का संदेश

नई दिल्ली – ‘कोरोना की महामारी की वजह से दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद से चली आ रही वैश्विक व्यवस्था में बदलाव हो रहे हैं। इस महामारी के बाद भारत की ओर देखने के विश्‍व के नज़रिया में बदलाव आया है। इसी के साथ भारत के सामने आतंकवाद और विस्तारवाद का संकट खड़ा है। इन चुनौतियों को देश हिम्मत के साथ ड़टकर जवाब दे रहा है’, इन शब्दों में ७५वें स्वतंत्रता दिवस पर पाकिस्तान और चीन से खतरों का अहसास प्रधानमंत्री ने कराया। इसी के साथ स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष में ‘संपूर्ण आत्मनिर्भरता’ का उद्देश्‍य अगले २५ वर्षों में प्राप्त करने का संदेश प्रधानमंत्री ने दिया। इसके लिए विकास का प्लैन सामने रखकर इस मोर्चे पर प्राप्त हुई कामयाबी का भी प्रधानमंत्री ने गौरव के साथ ज़िक्र किया।

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सवस्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाते समय बटवारे की वजह से सहे गए दर्द को भूलना नहीं चाहिये। इसी वजह से अगले दौर में १४ अगस्त को ‘बटवारे का भयावह स्मृतिदिन’ घोषित किया गया है। बटवारे के दौर में जिन्हें अमानुष स्थिति का सामना करना पड़ा, अत्याचार सहने पड़े, कई लोगों को सम्मान के साथ अंत्यसंस्कार भी नसीब नहीं हुआ, उन सभी को इसके ज़रिये सभी भारतीय नागरिकों को उचित श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिलेगा, ऐसा भावपूर्ण बयान प्रधानमंत्री ने किया।

कोरोना की वैक्सीन विकसित करने में देश को प्राप्त हुई कामयाबी का भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान गौरव के साथ ज़िक्र किया। इस संकट काल में देश के डॉक्टर्स और वैद्यकीय कर्मचारी एवं वैक्सीन विकसित करनेवाले वैज्ञानिक, इन सभी की प्रधानमंत्री ने बड़ी सराहना की। इस महामारी के दौरान देश के ८० करोड़ देशवासियों को अन्न एवं धान की मुफ्त आपूर्ति की जा रही थी, यह विश्‍व में चर्चा का मुद्दा बना है, इस ओर भी प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही कोरोना की महामारी के बाद भारत की ओर देखने के विश्‍व के नज़रिये में बदलाव आया है, यह कहकर प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ी हुई अहमियत भी रेखांकित की।

देश २५ वर्ष बाद स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा। उससे पहले १०० प्रतिशत आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्राप्त करने का सपना हमें रखना होगा। इसके लिए ‘सबका प्रयास’ आवश्‍यक है, यह कहकर इसके लिए एक क्षण भी जाया जाने नहीं देना चाहिये, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। इसके लिए केंद्र सरकार ने शुरू की हुई महत्वाकांक्षी योजनाओं की जानकारी प्रधानमंत्री ने साझा की। बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए १०० लाख करोड़ रुपयों के ‘गति शक्ति’ प्रकल्प की वजह से करोड़ों देशवासियों के सपने पूरे होंगे और लाखों युवकों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे, यह विश्‍वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। बुनियादी सुविधाओं के निर्माण कार्य को लेकर व्यापक एवं एकात्मिक नज़रिये की आवश्‍यकता भी प्रधानमंत्री ने बयान की।

‘ऊर्जा क्षेत्र में देश अभी भी परावलंबी है और इसके आयात पर देश को हर वर्ष १२ लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। इस मोर्चे पर आत्मनिर्भर होने का सपना पूरा होना आवश्‍यक है। अगले दौर में हरित हायड्रोजन विश्‍व का भविष्य बनेगा। इस क्षेत्र के उद्देश्‍य प्राप्त करने के लिए हम तिरंगे की साक्षी से राष्ट्रीय हायड्रोजन अभियान का ऐलान कर रहे हैं। इस हरित प्रगति से रोजगार के नए अवसर हमारे लिए निर्माण होंगे। अमृत महोत्सव वर्ष से शुरू हो रहे इस अमृत काल में देश को हरित हायड्रोजन का उत्पादन एवं निर्यात का जागतिक केंद्र बनना है’, यह ध्येय भी प्रधानमंत्री ने देश के नागरिकों के सामने रखा।

वर्ष २०३० तक देश ने ४५० गिगावैट अक्षय ऊर्जा का निर्माण करने का ध्येय सामने रखा था। इनमें से १०० गिगावैट ऊर्जा निर्माण करने का ध्येय देश ने तय समय से पहले ही प्राप्त किया, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धी पर संतोष व्यक्त किया। ‘कुछ शतकों से एवं कुछ दशकों से सता रही समस्याओं का हल आज का भारत निकाल रहा है। इसमें धारा ३७० हटाने का निर्णय हो या देश को करों के जाल से छुड़ाने की व्यवस्था हो, हमारे सैनिकों के लिए एक श्रेणी-एक पेन्शन की व्यवस्था हो या रामजन्मभूमि के विवाद का शांति से निकाला गया हल हो, यह सारी उपलब्धियां हमने बीते कुछ वर्षों में सच्चाई में उतरती हुई देखी हैं’, ऐसा कहकर इस मोर्चे पर देश को प्राप्त हुई कामयाबी पर प्रधानमंत्री ने संतोष जताया।

इसके साथ ही देश को प्रगति की राह पर आगे बढ़ानेवाली अन्य योजनाओं की जानकारी साझा करके प्रधानमंत्री ने प्रशासकीय अड़ंगा दूर करके करोबार अधिक कार्यक्षम एवं लोकाभिमुख करने का सरकार का निर्धार तीव्रता से पेश किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published.