वैश्विक विकास का इंजन बने इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा पूरे विश्व के लिए अहम – ‘क्वाड’ की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश

हिरोशिमा – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र वैश्विक व्यापार, अनुसंधान और विकास का ‘इंजन’ हैं। इसी वजह से इस क्षेत्र की सुरक्षा और विकास विश्व के लिए अधिक ही अहम है, ऐसा बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। जापान के हिरोशिमा में आयोजित ‘क्वाड’ की बैठक में प्रधानमंत्री ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा को दी हुई अहमियत यानी चीन की हरकतों से विश्व को सावधान रहने का इशारा है। इसके साथ ही भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए समर्थ हैं, ऐसी गवाही भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान दी।  

इंडो-पैसिफिकहिरोशिमा में शुरू ‘जी ७’ बैठक के बीच में भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ गुट की बैठक हुई। प्रधानमंत्री मोदी, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन, जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज की हुई इस चर्चा पर चीन काफी बारीकी से देख रहा था। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष को देश की अंदरुनि स्थिति के कारण ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में २४ मई को आयोजित क्वाड की बैठक के लिए उपस्थित रहना मुमकिन नहीं होगा। इसपर ध्यान देकर चीन के सरकारी मुखपत्र ने क्वाड असफल होने का दावा किया। लेकिन, उससे पहले ही हिरोशिमा में क्वाड की बैठक का आयोजन हुआ, इसपर चीन के सरकारी मुखपत्र ने अनदेखा किया दिख रहा है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को चीन से होने वाले खतरे का स्पष्ट ज़िक्र किया ना हो, फिर भी प्रधानंमत्री मोदी ने विश्व के लिए यह क्षेत्र काफी अहम होने का अहसास कराया। वैश्विक व्यापार, अनुसंधान और विकास के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र इंजन का काम कर रहा हैं, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा। इस क्षेत्र में भारत अपने हितसंबंधों की सुरक्षा करने के लिए पुरी तरह से समर्थ हैं। लेकिन, सामुद्री विवाद और समस्याओं का हल बातचीत के माध्यम से निकले, यही भारत की उम्मीद है, ऐसा प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया।

इसके लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन हो, ऐसी भूमिका प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी तीव्रता से रखी। साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता, सुरक्षा, शांति और विकास को ‘क्वाड’ वास्तव में उतार रहा हैं, यह भी भारत के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को चीन की वर्चस्ववादी हरकतों से खतरा बनता है। चीन इन गतिविधियों के कारण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अस्थिरता और असंतुलन निर्माण हुआ है। ऐसी स्थिति में क्वाड के सदस्य देश लगातार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा का मुद्दा उठाकर चीन को लक्ष्य कर रहे हैं। इससे बेचैन हुआ चीन क्वाड की हर बैठक को काफी बारीकी से देखता है। हिरोशिमा में ‘क्वाड’ की आयोजित बैठक से ज्यादा कुछ हासिल नहीं होगा, ऐसे दावे चीन कर रहा हैं, फिर भी चीन ने इसका बड़ा गंभीर संज्ञान लिया हैं, ऐसा दावा अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्था कर रही हैं।

इसी बीच क्वाड की इस बैठक में मुंबई के २६/११ और पठाणकोट के आतंकी हमले का कड़े शब्दों में निषेध किया गया। साथ ही सीमा के उस ओर से निर्यात हो रहे आतंकवाद की भी बैठक के बाद जारी किए निवेदन में कड़ी आलोचना की गई। इस वजह से ‘क्वाड’ चीन के साथ ही आतंकवाद का प्रायोजक पाकिस्तान को भी लक्ष्य करता दिखाई दिया हैं। 

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