भारत अन्य देशों को ‘५ जी’ मुहैया करेगा – केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन

वॉशिंग्टन – भारत में ‘५ जी’ सेवा का शुभारंभ हुआ हैं। लेकिन, भारत में शुरू हुई ‘५ जी’ सेवा से संबंधित अहम जानकारी अभी तक जनता तक पहुँची ही नहीं है। भारत में लौन्च हुई ‘५ जी’ सेवा की तकनीक पुरी तरह से स्वदेशी है। भारत यह तकनीक अन्य देशों को मुहैया कराने के लिए तैयार हैं, ऐसा ऐलान केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने किया। ‘५ जी’ का बड़ा बाज़ार पूरे विश्व में उपलब्ध हैं और इस बाज़ार में उतरने के लिए भारत तैयार हैं, यह संदेश वित्तमंत्री सीतारामन ने दिया हैं।

‘५ जी’भारत के हर कोने में साल २०२४ तक ‘५ जी’ सेवा उपलब्ध होगी। भारत ने ‘५ जी’ तकनीक किसी भी देश से आयात नहीं की है। यह भारत में ही तैयार हुई हैं। यह बात अब सभी लोगों तक पहुँचनी चाहिये। इस क्षेत्र में प्राप्त हुई सफलता का देश अभिमान महसूस कर रहा हैं, ऐसा निर्मला सीतारामन ने कहा हैं। अमरिकी दौरे पर पहुँची वित्तमंत्री सीतारामन वॉशिंग्टन के जॉन्स हॉपकिन्स युनिवर्सिटी में आयोजित समारोह में बोल रही थी।

भारत ने ‘५ जी’ तकनीक के लिए आवश्यक कुछ पूर्जे दक्षिण कोरिया से मंगाएँ हैं, लेकिन इसके अलावा भारत ने इस प्रौद्योगिकी के लिए किसी से भी सहायता प्राप्त नहीं की। इस ‘५ जी’ प्रौद्योगिकी का प्लैन और आवश्यक अन्य सभी मुद्द बातें भारत ने ही विकसित किए हैं, ऐसा कहकर भारत की क्षमता पूरे विश्व में पहुँचाई। साथ ही भारत अब यह तकनीक अन्य देशों को मुहैया करने के लिए तैयार होने का ऐलान भी वित्तमंत्री सीतारामन ने किया।

‘५ जी’भारत वायरलेस प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बड़ा योगदान देने के लिए तैयार हैं। इस क्षेत्र में तकनीक, उत्पादन और अन्य सभी मोर्चों पर भारत की भूमिका आनेवाले समय में अहम होगी। नया भारत प्रौद्योगिकी का सीर्फ ग्राहक बनकर नहीं रहेगा, ऐसा सीतारामन ने कहा।

चीन, अमरीका जैसें देशों ने ‘५ जी’ क्षेत्र में बढ़त बनायी हैं। लेकिन, चीन की बनी यह तकनीक संदिग्धता के भंवर में हैं। इस तकनीक के पीछे से चीन जासूसी करता हैं, ऐसा आरोप लगाया जा रहा है। इसी वजह से अमरीका समेत कुछ यूरोपिय देशों ने चीन के ‘५ जी’ तकनीक पर पाबंदी लगायी थी। भारत में भी इसी मुद्दे पर चीनी कंपनियों का विरोध हुआ था। ‘टेलिकॉम’ क्षेत्र की कंपनियाँ चीन के हुवेई और अन्य कंपनियों के उपकरण इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे, ऐसी सूचना भारत ने जारी की थी। साथ ही भारत में ‘५ जी’ सेवा के परीक्षण से चीनी कंपनियों को दूर रखा गया था।

चीन की कंपनियों ने ‘५ जी’ क्षेत्र में अपनी विश्वासार्हता खोई हैं और ऐसें में भारत को इसके अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपना स्थान बनाने का काफी बड़ा अवसर प्राप्त हो रहा है। वित्तमंत्री ने सीधे ज़िक्र नहीं किया हैं, फिर भी भारत की यह प्रौद्योगिक अधिक विश्वासार्ह होगा और इस वजह से पूरे विश्व से इसे पूरे विश्व में बड़ा रिस्पान्स प्राप्त हो सकता हैं, ऐसें संकेत मिल रहे हैं।

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