विवादित मुद्दों पर खुलासा प्राप्त होने के बाद ही भारत ‘आईपीईएफ’ पर निर्णय करेगा – वाणिज्यमंत्री पियूष गोयल

लॉस एन्जलिस – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के १४ देशों का व्यापारी सहयोग व्यापक करने के लिए स्थापित हुई ‘आईपीईएफ’ (इंडो-पैसिफिक इकॉनॉमिक फ्रेमवर्क) ने प्रस्तावित किए हुए मुद्दों पर भारत ने आपत्ति जताई है। हमारी आपत्ति के मुद्दों पर विस्तृत जानकारी सामने आने के बाद ही भारत इस पर निर्णय करेगा, ऐसा वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल ने स्पष्ट किया। साथ ही भारत किसी भी स्थिति में अपने हितों के लिए खतरा साबित होनेवाले मुद्दे पर समझौता नहीं करेगा, ऐसे स्पष्ट संकेत भी पियुष गोयल ने दिए।

‘आईपीईएफ’२३ मई को टोकियो में ‘आईपीईएफ’ का ऐलान किया गया था। अमरीका और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के १४ देशों का इसमें समावेश है। तब व्यापार एवं सप्लाई चेन का विकल्प बनाकर आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए ‘आईपीईएफ’ का गठन करने का ऐलान किया गया था। इस संगठन में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, फिलिपाईन्स, सिंगापुर, थाइलैण्ड, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, मलेशिया समेत अमरीका और भारत का समावेश था। हाल ही में अमरीका में ‘आईपीईएफ’ की बैठक का आयोजन हुआ। इसमें भारत के व्यापारमंत्री पियुष गोयल मौजूद थे।

इस बैठक में ‘आईपीईएफ’ के ध्येय और उद्देश्यों पर चर्चा हुई। इसमें व्यापार, सप्लाई चेन, क्लीन इकॉनॉमी और फेयर इकॉनॉमी ऐसे चार बुनियादी आधार ‘पिलर्स’ रखे गए थे। इनमें से तीन आधारों के मुद्दे पर भारत सहमत है। लेकिन, फेयर इकॉनॉमी यानी न्याय अर्थकारण के मुद्दे पर आवश्यक खुलासा प्राप्त नहीं हुआ है। जब तक यह स्पष्ट नहीं होता, तब तक भारत इसको लेकर अपनी प्रतिबद्धता का ऐलान नहीं करेगा। इसके लिए ज़रूरी समय माँगकर फिर ही भारत अपना इस मुद्दे पर निर्णय घोषित करेगा, ऐसा भारत ने कहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारत की यह भूमिका स्पष्ट की।

भारत द्वारा दर्ज़ की गई आपत्ति पर अधिकृत स्तर से पूरा ब्यौरा अभि साझा नहीं हुआ है, फिर भी भारतीय अधिकारी ने इस मुद्दे को उज़ागर करनेवाली जानकारी साझ की है। किसी भी स्थिति में भारत खेती से संबंधित मुक्त व्यापार के मुद्दे पर ‘आईपीईएफ’ के समझौते से स्वयं को नहीं बांधेगा, यह इस अधिकारी ने कहा है। इस वजह से अपने प्रगत कृषि क्षेत्र के लिए अमरीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को भारत का बड़ा बाज़ार चाहिये। इसके लिए यह देश लगातार कड़ी कोशिशें कर रहे हैं और विभिन्न तरिकों से भारत के कृषि क्षेत्र पर प्रभाव डालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, अपने देश के छोटे किसानों का हित कभी भी नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता, यह भारत ने समय-समय पर स्पष्ट किया है।

‘आईपीईएफ’ के ध्येय और नीति तय करते हुए भी भारत के कृषि क्षेत्र को लक्ष्य करनेवाले मुद्दे रखे गए होंगे, ऐसी कड़ी संभावना भारतीय अधिकारी ने साझा की हुई जानकारी से सामने आ रही है। इसकी वजह से भारत ने इस मुद्दे पर पुख्ता जानकारी सामने आए बिना इस पर निर्णय करना मुमकिन नहीं है, ऐसी स्पष्ट भूमिका अमरीका में आयोजित ‘आईपीईएफ’ की बैठक में अपनाई है। वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल के बयान से भी ऐसे स्पष्ट संकेत दिए गए थे।

इसी बीच, लॉस एन्जेलिस के एक समारोह में बोलते हुए वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल ने साल २०४७ में भारत ३५ से ४५ ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था बनेगा, यह विश्वास व्यक्त किया है। कान्फडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ने पेश की हुई रपट का दाखिला देकर वाणिज्यमंत्री ने साल २०४७ में भारत का समावेश विकसित देशों में होगा, ऐसा कहा हैं।

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