भारत के लिए रशियन ईंधन का महत्त्व अमरीका को समझाया – विदेशमंत्री एस. जयशंकर

बैंकॉक – भारत रशिया से ईंधन की खरीद कर रहा है, यह बात अमरीका को पसंद नहीं है। लेकिन भारत अपने इस फ़ैसले को लेकर रक्षात्मक पैंतरा अपनाने के लिए तैयार नहीं है। आन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में ईंधन की दरें भड़कीं हुईं हैं, ऐसे में अपनी जनता को जितना हो सकें उतने कम दामों में ईंधन उपलब्ध करा देना यह भारत का नैतिक कर्तव्य है। उसके लिए आवश्यक फ़ैसलें मजबूरन करने पड़ेंगे, यह बात भारत ने अमरीका को समझायी है और अमरीका ने भी इस बात का स्वीकार किया है, ऐसा दावा विदेशमंत्री जयशंकर ने किया।

रशियन ईंधन का महत्त्वभारत और थाइलैंड की बीच ९वीं ‘जॉईंट कमिशन’ की बैठक के लिए विदेशमंत्री जयशंकर थाइलैंड आये हैं। थाइलैंड निवासी भारतीय समुदाय को संबोधित करते समय विदेशमंत्री जयशंकर से, भारत रशिया से खरीद रहे ईंधन के बारे में सवाल पूछा गया। उसका जवाब देते समय उन्होंने देश की भूमिका फिर से नि:संदिग्ध रूप में रखी। ईंधन के दाम भड़के हैं, ऐसे में दो हज़ार डॉलर्स प्रति व्यक्ति आय होनेवाली भारतीय जनता इतने ऊँचे दामों को वहन नहीं कर सकेगी। ऐसी स्थिति में अपनी जनता को कम दामों में ईंधन उपलब्ध करा देने के लिए भारत को मजबूरन कुछ फ़ैसलें करने पड़ रहे हैं। रशिया से भारत ने ईंधन खरीद की, इससे अमरीका यक़ीनन ही नाराज़ हुई होगी। लेकिन भारत अपने इस फ़ैसले पर रक्षात्मक रवैया नहीं अपनायेगा, ऐसा विदेशमंत्री जयशंकर ने स्पष्ट किया।

जनता के लिए मजबूरन यह फ़ैसला करना पड़ रहा है, यह बात भारत ने स्पष्ट रूप से अमरीका के सामने रखी। कुछ भी छुपाने के बजाय स्पष्ट रूप से अगर अपनी भूमिका रखी और उसके पीछे होनेवाले देश के हितसंबंधों का एहसास करा दिया, तो कभी कभी आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आपकी बात सुनी जाती है, ऐसा कहते हुए जयशंकर ने दावा किया कि अमरीका ने भारत की भूमिका मान्य करके आगे चलने का फ़ैसला किया है।

साथ ही, सॉफ्ट पॉवर यानी देश के सांस्कृतिक, कला-क्रीडा और संगीत आदि के बल पर दुनिया पर प्रभाव जमाने की क्षमता होनेवाली शक्ति का इस्तेमाल करना यह सरकार पर निर्भर नहीं होता। बल्कि उसके लिए उस देश का समाज ही पहल करके यह काम कर सकता है। उसके लिए सहायता करने का काम सरकार द्वारा किया जा सकता है, ऐसा भी जयशंकर ने इस समय कहा।

देश के सॉफ्ट पॉवर को अधिक बढ़ाने के लिए सरकार ने पहल करके ‘आन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया जाने के लिए प्रयास किये। साथ ही, कोरोना की महामारी के दौर में आयुर्वेद तथा भारत की अन्य पारंपरिक उपचारपद्धतियाँ, इनका सरकार ने पुरस्कार किया। इस कारण गुजरात के जामनगर में भारत की पारंपरिक उपचार पद्धतियों के ‘ग्लोबल सेंटर’ का निर्माण हुआ है, इसपर विदेशमंत्री ने ग़ौर फ़रमाया।

इसके साथ ही, जब आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनाज की समस्या का हल निकालने की कोशिशें जारी हैं, तभी भारत ने बाजरा तथा अन्य धानों के विकल्प सूचित करने का काम हाथ में लिया है। यह भी सॉफ्ट पॉवर बढ़ाने का हिस्सा साबित हो सकता है। इससे हम दूसरों की आहारशैली में परिवर्तन ला सकते हैं, ऐसा विदेशमंत्री जयशंकर ने आगे कहा।

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