भारत आर्थिक अस्थिरता का सक्षमता से सामना करेगा – वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने जताया भरोसा

वॉशिंग्टन – अमरिकी डॉलर के मूल्य में बढ़ोतरी का सामना सभी देश कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत का रुपया डॉलर के सामने पैर जमाए खड़ा है। अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में रुपये का अमरिकी डॉलर के सामने प्रदर्शन काफी बेहतर है, ऐसा बयान केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने किया। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और वैश्विक बैंक की परिषद के लिए अमरीका के दौरे पर गई हुईं वित्तमंत्री सीतारामन ने विकसित देशों ने किए आर्थिक और राजनीतिक निर्णयों का असर अन्य देशों को भुगतना पड़ता है, इस मुद्दे पर भी ध्यान आकर्षित किया। तथा नींव मज़बूत होनेवाली भारतीय अर्थव्यवस्था इन समस्याओं का समक्षता से सामना करेगी, यह विश्वास सीतारामन ने व्यक्त किया है।

अमरीका के निर्णयों की वजह से विश्व के अन्य देशों की मुद्राओं की तुलना में डॉलर को अधिक मज़बूती प्राप्त हुई है। इस वजह से अन्य देशों के साथ भारतीय रुपये की डॉलर के सामने गिरावट हो रही है। यह गिरावट चिंता का मुद्दा है फिर भी इसे हम रुपये की गिरावट के तौर पर नहीं देखते, बल्कि डॉलर अधिक मज़बूत हुआ है, ऐसा स्पष्ट विचार वित्तमंत्री सीतारामन ने रखा। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और वैश्विक बैंक के समारोह के लिए अमरीका का दौरा कर रहीं वित्तमंत्री सीतारामन वार्तापरिषद में बोल रही थीं। अपने दौरे के अन्त में इस वार्तापरिषद को संबोधित करते समय वित्तमंत्री सीतारामन ने रुपया और भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त किया।

भारत की अर्थव्यवस्था का आधार मज़बूत है। भारत के पास पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा है। साथ ही भारत की महंगाई भी नियंत्रण के स्तर पर है, इसका दाखिला देकर वित्तमंत्री ने अस्थिर आर्थिक माहौल में भारत को अधिक चिंता करने की कोई वजह नहीं है, यह दावा भी किया। साथ ही मौजूदा आर्थिक अस्थिरता का सामना करने के लिए रिज़र्व बैंक ने उचित प्रावधान सही समय पर शुरू किए हैं, इस पर भी वित्तमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। ऐसे में विकसित देशों खॆ आर्थिक निर्णयों का काफी बड़ा असर अन्य देशों को भुगतना पड़ रहा है, इस पर भी सबका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश सीताराम ने की।

सीधा ज़िक्र नहीं किया हो, लेकिन अमरीका की फेडरल रिज़र्व की ब्याजदर बढ़ोतरी का असर पूरे विश्व पर हो रहा है, इस बात पर भारतीय वित्तमंत्री ने ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। इस ब्याजदर बढ़ोतरी की वजह से डॉलर का मूल्य बढ़ा और अन्य देशों की मुद्राओं का मूल्या डॉलर की तुलना में घटा। युरो, स्टर्लिंग पाऊण्ड, येन समेत लगभग सभी प्रमुख देशों की मुद्रा इससे प्रभावित हुई है और इन देशों को महंगाई का भारी सामना करना पड़ रहा है। साथ ही रशिया पर अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों ने लगाए हुए प्रतिबंधों का असर अन्य देशों को भुगतना पड़ रहा है। इसका सीधा ज़िक्र किए बिना वित्तमंत्री सीतारामन ने विकसित देशों को इसका अहसास कराया। इससे पहले अपने इस अमरीका दौरे में वित्तमंत्री सीतारामन ने इशारा दिया था कि, विकसित देश अपने निर्णयों की ज़िम्मेदारी स्वीकारें।

इसी बीच भारत के ‘डिजिटाइजेशन’ की सफलता से वैश्विक बैंक प्रभावित होने की जानकारी भी सीतारामन ने वार्तापरिषद में दी। वैश्विक बैंक के प्रमुख डेविड मालपास ने आवाहन किया कि, भारत की डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया अन्य देशों में शुरू करने को कहा और इसके लिए वैश्विक बैंक भारत की सहायता करेगी, यह प्रस्ताव दिया, ऐसा सीतारामन ने बताया।

जी-20 में भारत क्रिप्टोकरन्सी का मुद्दा उठाएगा

अगले साल भारत में आयोजित हो रही ‘जी-20’ की बैठक में ‘क्रिप्टो करन्सी’ को लेकर ‘स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स’ लाने का मुद्दा भारत पेश करेगा, यह जानकारी वित्तमंत्री सीतारामन ने साझा की। क्रिप्टो करन्सी की वजह से निर्माण हो रहे पैसों के अवैध हस्तांतरण और आतंकियों को पैसों की आपूर्ति का खतरा टालना हो तो सभी देशों को क्रिप्टोकरन्सी पर समान नीति अपनानी पडेगी। सभी देशों के योगदान के बिना क्रिप्टोकरन्सी पर नियंत्रण रखना मुमकिन नहीं होगा, क्योंकि कोई भी देश इस समस्या को अकेले संभाल नहीं सकता, इस बात पर सीतारामन ने ध्यान आकर्षित किया।

सभी देशों को आधुनिक तकनीक स्वीकारनी है, ऐसा कहकर भारत का भी क्रिप्टाकरन्सी की तकनीक के लिए विरोध ना होने की बात सीतारामन ने स्पष्ट की। लेकिन, आधुनिक तकनीक अपनाते समय इसका गलत इस्तेमान नहीं होगा, इसकी चिंता प्रत्येक देश को सता रही है, यह मुद्दा भी सीतारामन ने इस दौरान रेखांकित किया।

इसी बीच भारत ने क्रिप्टोकरन्सी के खिलाफ स्पष्ट भूमिका अपनाई है और इसके गलत इस्तेमाल पर अंतररराष्ट्रीय समुदाय को भारत ने बार-बार चेतावनी दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय व्यासपीठ पर यह मुद्दा उठाकर इससे लोकतांत्रिक देश और इन देशों की युवापीढ़ी के भविष्य को खतरा निर्माण होगा, यह इशारा भी प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था।

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