भारत मालवाहक और यात्री विमानों के निर्माण का वैश्विक केंद्र बनेगा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास

वड़ोदरा –  सैन्य यातायात के लिए आवश्यक ‘सी-२९५’ विमानों के निर्माण प्रकल्प की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रखी गई। गुजरात के वड़ोदरा में इस प्रकल्प का निर्माण हो रहा हैं और यहां पर करीबन ४० ‘सी-२९५’ विमानों का निर्मा होगा। इस प्रकल्प को लेकर संतोष व्यक्त करने के साथ ही प्रधानमंत्री ने अगले दिनों में भारत रक्षा सामान के निर्माण का वैश्विक केंद्र बनेगा, यह विश्वास व्यक्त किया। सीर्फ सैन्य ही नहीं, बल्कि यात्रियों के परिवहन के विमानों का निर्माण भी भारत में बड़ी मात्रा में होगा, यह भरोसा हमें हैं, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। साथ ही अगले १५ सालों में देश को करीबन दो हज़ार से भी अधिक यात्री एवं मालवाहक विमानों की ज़रूरत होगी, ऐसी ध्यान आकर्षित करनेवाली जानकारी प्रधानमंत्री ने इस दौरान साझा की।

मालवाहकसेना की यातायात के लिए वायुसेना अभी भी साल १९६० के दशक में बने विमानों का इस्तेमाल कर रही हैं। मौजूदा दौर में यातायात और सैन्य के परिवहन की गति भारी मात्रा में बढ़ाने की ज़रूरत होते समय भारत को बड़ी मात्रा में सैन्य यातायात करने वाले प्रगत विमानों की ज़रूरत महसूस हो रही हैं। इसके लिए भारत एअर बस नामक यूरोप के विमान निर्माण क्षेत्र की प्रमुख कंपनी से ५६ ‘सी-२९५’ विमान खरीद कर रहा हैं। करीबन २१ हज़ार ९३५ करोड़ रुपयों का समझौता भी भारत ने एअर बस के साथ किया हैं। इन ५६ में से १६ तैयार विमान एअर बस कंपनी भारत को देगी। भारतीय रक्षाबलों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर यह निर्णय किया गया। इनके अलावा अन्य ४० विमानों का निर्माण वड़ोदरा के इ स प्रकल्प में होगा। इसके लिए एअरबस ने टाटा उद्योग समुह के साथ समझौता किया हैं। इस प्रकल्प का निर्माण करते समय भविष्य में वायुसेना द्वारा इन विमानों की माँग बढ़ने की संभावना को भी ध्यान में रखा गया हैं।

मालवाहकएअरबस और टाटा उद्योग समुह के इस संयुक्त प्रकल्प की कई विशेषताएं हैं और यूरोप के बाहर एअर बस निर्माण कर रहा यह पहला ही बड़ा प्रकल्प हैं। इस प्रकल्प के कारण भारत सैन्य परिवहन के विमानों का निर्माण करने वाला देश बनेगा। कुछ चुनिंदि देश इस तरह की क्षमता रखते हैं, यह जानकारी भी साझा हो रही हैं। इस प्रकल्प पर संतोष व्यक्त करने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की बदलती कार्यसैली का यह बड़ा अच्छा नमूना होने का दावा किया। पहले के दौर में सीर्फ उत्पादन क्षेत्र जीवित रह सकेगा, उतनी की उम्मीद रखकर निर्णय किए जा रहे थे। लेकिन, केंद्र सरकार ने यह नीति बदलकर ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ यानी भारत में निर्माण करके इसे पूरे विश्व में निर्यात करने की नीति भारत ने अपनाई हैं। इसका असर दिखाई देने लगा हैं, यह दावा प्रधानमंत्री ने किया।

आनेवाले दिनों में भारत में सीर्फ सैन्य परिवहन के ही नहीं, बल्कि यात्री विमानों का भी निर्माण होगा, क्योंकि भारत में मालवाहक और यात्री विमानों की भी माँग बढ़ रही हैं। अगले १५ वर्ष के दौर मे भारत को दो हज़ार से भी अधिक मालवाहक एवं यात्री विमानों की ज़रूरत महसूस होगी, यह कहकर भारत में ही विमानों का निर्माण करना अदिक उचित होगा, यह संकेत भी उन्होंने दिए। साथ ही भारत रक्षा सामान के निर्माण का वैश्विक केंद्र बनेगा। भारत से ही रक्षा सामान पुरे विश्व में निर्यात किया जाएगा, यह भी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा।

इसी बीच, वड़ोदरा के इस प्रकल्प की वजह से उच्चस्तरीय कुशलता रखने वाले करीबन ६०० लोगों को सीधे रोजगार प्राप्त होगा और अप्रत्यक्ष पद्धती से तीन हज़ार लोगों को इससे रोजगार प्राप्त होगा, यह दावा किया जा रहा हैं। साथ ही मध्यम कुशल तीन हज़ार लोगों को इस प्रकल्प की वजह से रोजगार मिलेगा, यह दावा किया जा रहा हैं। साथ ही सैन्य यातायात कर रहें ‘सी-२९५’ विमान आधुनिक सुविधाओं से सज्जित हैं और इसके चालकों के लिए ज़रूरी ‘इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर सूट’ भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनॅमिक्स लिमिटेड बनाएगी।

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