मोरबी हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर १३४

मोरबी – गुजरात के मोरबी जिले के माचू नदी पर पुल गिरने से हुए भीषण हादसे मे मरने वालों की संख्या बढ़कर १३४ हुई। इनमें ४५ बच्चों का समावेश है। इनमें से ३४ बच्चे एक से दस वर्ष गुट के हैं। इस हादसे के बाद १७७ लोगों को बचाया गया और साथ ही १९ घायलों पर अस्पताल मे इलाज़ हो रहा है। सोमवार को गुजरात पुलिस ने इस मामले मे अपराधिक मामला दर्ज़ करके ९ लोगों को हिरासत मे लिया। इनमें पुल का रखरखाव और यहां का व्यवस्थापन संभाल रही अजंटा-ओरेवा कंपनी के चार अधिकारियों का समावेश है। इस भीषण हादसे के बाद पुरे देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तीव्र दुख जताया जा रहा है।

मोरबीमाचू नदी पर ब्रिटीश युग मे १४० वर्ष पुराना बना केबल ब्रीज रविवार को टूटा था। हादसे के समय पुल पर चार सौ से भी अधिक लोग मौजूद थे। पूल पर क्षमता से कई ज्यादा भार बढ़ने के कारण यह हादसा हुआ, ऐसा दावा किया जा रहा है। यह पुल टुटने के समय किया गया मोबाईल वीडियो भी सामने आया हैं। मात्र १३ सेकंड में यह पुल टूटा और पर्यटक नदी मे गिरे। इनमें से कुछ लोगों ने पुल की केबल पकड़कर अपने प्राण बचाए और कुछ ने नदी में मौजूद वनस्पती को पकड़कर अपनी जान बचाई। लेकिन, पुल के बीचोबीच खड़े अधिकांश लोगों ने इस हादसे मे जान गवाई है।

माचू नदी के बीचो बीच पानी की गहराई १५ से २० फीट थी और वहां पर काफी ज्यादा किचड़ होने से राहतकार्य के सामने चुनौती खड़ी हुई ती। थलसेना, वायुसेना और नौसेना ने यहां राहतकार्य शुरू किया। साथ ही ‘एनडीआरएफ’ के पांच और राज्य की ‘एसडीआरएफ’ के छह दल दिनरात यहां राहतकार्य कर रहे थे। नदी से किचड़ से कई शव बरामद हुए और राहतकार्य अभी भी जारी है।

पुरे देश में इस हादसे की गूंज सुनाई पड़ी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले की उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। गुजरात की राज्य सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए समिती गठित की है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने इस दुर्घटना पर शोक व्यक्त किया। नेपाल, श्रीलंका जैसें पड़ोसी देशों ने भी इस हादसे पर शोकसंदेश दिया है।

इसी बीच, छट पुजा के अवसर पर इस पुल पर भीड़ हुई थी। दिवाली की छुट्टी होने से काफी लोगों का यहां जमावड़ा हुआ था। इस वजह से इस दुर्घटना की तीव्रता अधिक बढ़ी। यह पुल का हाल ही मे नुतनीकरण किया गया था। मरम्मत और नुतनीकरण के काम के लिए यह पुल सात महीने बंद था और पिछले हफ्ते ही इसे खुला किया गया था। लेकिन, यहां की स्थानिय पालिका प्रशासन ने अभी इस पुल को फिटनेस सर्टिफीकेट जारी नहीं किया था, यह जानकारी भी सामने आ रही हैं। ऐसें में यह पुल क्यो खुला किया गया? इसके लिए ज़िम्मेदार कौन हैं, ऐसें सवाल किए जा रहे हैं।

इसके अलावा पुल पर जाने के लिए व्यवस्थापन संभाल रही कंपनी टिकट देती है। लेकिन, पुल की क्षमता से अधिक लोगों को टिकट क्यो बेचे गए। इस पुल की भीड़ कम करने के लिए आवश्यक कोशिश क्यो नहीं हुई, कई लोग पुल पर सेल्फी लेने मे व्यस्थ थे। यहां सेल्फी लेने पर रोक होने के बावजूद कंपनी के अधिकारियों ने किसी को भी सेल्फी लेने से रोका क्यों नहीं? ऐसें सवालों के जवाब अभी मिले नहीं है।

साथ ही कंपनी ने पुल की मरम्मत की थी, इसके लिए खराब दर्ज़ा का सामान इस्तेमाल हुआ क्य, यह सवाल किया जा रहा हैं। इस हादसे मे मारे गए लोगों में कंपनी कर्मचारियों का भी समावेश हैं। इस हादसे मे सांसद मोहन कुंदारिया के १२ परिवार सदस्यों की मौत होने का वृत्त है।

इस भीषण दुर्घटना के बाद १९७९ में इसी माचू नदी का बांध फुटने से हुई महाभीषण दुर्घटना की याँदे ताज़ा हुई। इस दुर्घटना में हज़ारो लोग मारे घए ते। इसके बाद माचू नदी पर हुई यह दूसरी भीषण दुर्घटना साबित हो रही है।

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