देश की सुरक्षा को ‘अपप्रचार’ से ख़तरा

नई दिल्ली – भीतर से अथवा बाहर से देश के लिए घातक साबित होनेवाली हर एक बात को प्रभावी रूप में जड़मूल से उखाड़कर फेंकना ही होगा, ऐसा संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। लेकिन देश के लिए संभव होनेवाले ख़तरों में, अन्य बातों के साथ ही ‘अपप्रचार’ यह बहुत बड़ी चुनौती है, इसका एहसास प्रधानमंत्री मोदी ने करा दिया।

‘अपप्रचार’नेव्हल इनोव्हेशन अँड इंडेजिनायझेशन ऑर्गनायझेशन (एनआयआयओ) और ‘सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेन्स मॅन्युफॅक्चरर्स’ (एसआयडीएम) ने संयुक्त रूप में आयोजित किये ‘स्वावलंबन 2022′ इस परिसंवाद को प्रधानमंत्री संबोधित कर रहे थे। रक्षासामग्री तथा शस्त्र-अस्त्रों के मोरचे पर देश स्वयंपूर्ण बनता चला जा रहा है। पिछले चार से पाँच सालों में रक्षाक्षेत्र में आयात 21 प्रतिशत से घटी है। अब शस्त्र-अस्त्र और रक्षासामग्री की सर्वाधिक आयात करनेवाला भारत, रक्षासामग्री की निर्यात करनेवाला बड़ा देश बन रहा है। पिछले साल देश ने 13 हज़ार करोड़ रुपये इतने मूल्य की रक्षासामग्री की निर्यात की। इसमें से 70 प्रतिशत से अधिक निर्यात प्राइवेट क्षेत्र की कंपनियों ने की थी, ऐसा बताकर प्रधानमंत्री ने उसपर सन्तोष ज़ाहिर किया। पिछले आठ सालों में सरकार ने, रक्षा पर खर्च बढ़ाने के साथ ही, देशांतर्गत रक्षासामग्री के निर्माण के लिए आवश्यक माहौल बनाने का काम सरकार ने किया है, इसपर प्रधानमंत्री ने ग़ौर फ़रमाया।

एक तरफ़ देश इस प्रकार प्रगति कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ़ देश के लिए संभाव्य ख़तरों की व्याप्ति बढ़ती चली जा रही है। आज के दौर में देश की रक्षा को केवल ज़मीन, समुद्र और आकाश से ही ख़तरा नहीं है। उससे भी अधिक कई मोरचों पर, देश की सुरक्षा के सामने अनगिनत चुनौतियाँ खड़ी हो रहीं हैं। आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत अपना स्वतंत्र स्थान निर्माण कर रहा है, ऐसे में, भारत के विरोध में झूठी जानकारी, दुष्प्रचार इनके ज़रिये लगातार हमलें हो रहे हैं। ‘अपप्रचार’ को देश के विरोध में सबसे बड़ा हथियार बनाया गया है, इसका एहसास प्रधानमंत्री ने करा दिया।

भारत को हानि पहुँचाने की कोशिशें करनेवालीं देशान्तर्गत तथा देश से बाहर की ताक़तों के षडयंत्रों को नाक़ाम कर देना होगा। क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा यह केवल देश की सीमा तक ही सीमित रहा विषय नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की परिघि बढ़ी है। हर नागरिक को इसका एहसास करा देना बहुत ही महत्त्वपूर्ण साबित होता है।

दूसरे विश्वयुद्ध पश्चात् के दौर में कुछ देशों ने उनपर आये संकट का रूपान्तरण अवसर में किया। ये देश अगले दौर में हथियारों के निर्यातक के रूप में आगे आये। उसी तरह भारत ने भी कोरोना के संकट का रूपन्तरण अवसर में किया और अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाया और विज्ञान के क्षेत्र में उड़ान भरी, ऐसा दावा प्रधानमंत्री ने इस समय किया।

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