भारत-रशिया मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – भारत और रशिया की मित्रता समय की कसौटी पर टिकी है, यह बताकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, रशिया के साथ बने संबंधों का महत्व अधोरेखांकित किया। ‘ईर्स्टन इकॉनॉमिक फोरम-ईईएम’ के कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इस समय रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन उपस्थित थे। रशिया के अतिपूर्वीय भागो में स्थित इंधन क्षेत्र के लिए भारत यह भरोसेमंद साझेदार देश है, यह इस समय प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया। साथ ही, भारत और रशिया का सहयोग ऊर्जा के जागतिक मार्केट को स्थिरता प्रदान करनेवाला होगा, ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया।

भारत-रशियासन २०१९ में प्रधानमंत्री मोदी ने रशिया के अतिपूर्वीय व्लादिवोस्तोक की भेंट की थी। इस क्षेत्र में इंधन के उत्खनन के लिए, रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने ‘ऍक्ट फार ईस्ट’ नीति तैयार की थी। उसकी सराहना भारत के प्रधानमंत्री ने की। इस क्षेत्र में रशिया के साथ सहयोग करने के लिए भारत के पास, गुणवत्ता होनेवाला और निष्ठा से काम करनेवाला कुशल मनुष्यबल है। भारतीयों के पास होनेवाली यह कुशलता, रशिया के अतिपूर्वीय इंधनसंपन्न भाग के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान देगी, ऐसा यकीन प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाया। ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और रशिया का यह सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट को स्थिरता प्रदान करनेवाला होगा, ऐसा प्रधानमंत्री ने आगे कहा।

अंतरिक्ष क्षेत्र से लेकर नॉर्दन सी रूटस् यानी सागरी परिवहन के विकास के लिए भारत और रशिया एक-दूसरे से सहयोग कर रहे हैं। व्यापारी जहाजों के निर्माण के लिए भारत के मझगांव डॉक और रशिया की झ्वेदा कंपनी के बीच हुई साझेदारी का भी प्रधानमंत्री ने जिक्र किया। साथ ही, कोरोना की महामारी आने के बाद भारत और रशिया ने एक-दूसरे से की सहायता भी बहुत ही बड़ी थी। खासकर टीकों के संदर्भ में दोनों देशों का सहयोग गौरतलब साबित हुआ, इसकी भी याद प्रधानमंत्री मोदी ने करा दी। रशिया का व्लादिवोस्तोक यह युरेशिया और पैसिफिक का संगम करानेवाला स्थान है, ऐसा बताकर, उसे बहुत बड़ा महत्व होने का दावा भारत के प्रधानमंत्री ने किया।

इसी बीच, चीन से भारत की सुरक्षा को और हित संबंधों को मिल रही चुनौतियों की पृष्ठभूमि पर, भारत का अमरीका के साथ सहयोग बढ़ता चला जा रहा है। उसका असर भारत के रशिया के साथ बने सहयोग पर होने लगा है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। चीन के विरोध में अमरीका गठन कर रहे क्वाड के मोरचे में भारत सहभागी ना हों, ऐसी माँग रशिया ने की थी। लेकिन यह बात भारत की सुरक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होती है, क्योंकि चीन की अतिमहत्वाकांक्षा से भारत को खतरा संभव होता है, इसका एहसास भारत रशिया को करा दे रहा है।

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