परंपरागत नीति के अनुसार भारत ने चीन के खिलाफ मतदान करना टाला – विदेश मंत्रालय का खुलासा

नई दिल्ली/बीजिंग – चीन अपने ज़िजियांग प्रांत के उइगरवंशियों पर कर रहे अत्याचारों के खिलाफ मानव अधिकार आयोग में मतदान करने से भारत दूर रहा। भारत के हित को लगातार झटके देने वाले चीन को सबक सिखाने का अच्छा अवसर सामने होने के बावजूद भारत ने चीन के खिलाफ मतदान करने के बजाय तटस्थता दिखाई। भारत के इस निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। लेकिन, यह निर्णय भारत की नीति से सुसंगत है, ऐसा कहकर विदेश मंत्रालय ने इसका समर्थन किया। साथ ही ज़ाजियांग प्रांत की जनता के मानव अधिकारों का सम्मान किया जाएगा, यह उम्मीद विदेश मंत्रालय ने व्यक्त की है।

चीन के खिलाफ मतदानचीन उइगरवंशी इस्लामधर्मियों पर काफी अत्याचार कर रहा है, यह बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समय-समय पर सामने आई है। इसके सबूत भी माध्यमों ने पेश किए थे। अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में यह मुद्दा सामने आया और चीन की इन हरकतों के खिलाफ आयोग में मतदान आयोजित किया गया था। इस अवसर पर भारत क्या भूमिका अपनाता है, इस पर प्रमुख देशों का ध्यान लगा हुआ था। पश्चिमी देशों ने इस बार खुलेआम चीन विरोधी भूमिका अपनाई थी। लेकिन, भारत ने इस बार तटस्थ रहने की नीति अपनाई। चीन को घेरने के लिए चलकर आया हुआ अच्छा अवसर भारत ने क्यों गंवाया, यह सवाल कुछ लोगों ने किया था। लेकिन, मानव अधिकार आयोग एवं दूसरे देश के अंदरुनि विषयों में आम तौर पर दखलअंदाज़ी ना करने की भारत की परंपरागत नीति रही है। इसके अनुसार यह निर्णय लेने के संकेत विदेश मंत्रालय ने दिए।

साथ ही ज़ाजियांग प्रांत की जनता के मानव अधिकारों का सम्मान किया जाएगा, यह उम्मीद जताकर भारत ने चीन को उचित संदेश दिया है। इसका संज्ञान चीन को लेना पडेगा, ऐसा दिखने लगा है। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई वार्तापरिषद में भारत की इस तटस्थता पर बोलने से चीन के प्रतिनिधि दूर रहे। इसी दौरान आतंकवाद के खिलाफ चीन ज़ाजियांग प्रांत में कार्रवाई कर रहा है और इसे मानव अधिकारों का हनन नहीं कहा जा सकता, यह खुलासा भी चीन के विदेश मंत्रालय ने किया। लेकिन, इस पर भारत की भूमिका परंपरागत नीति से सुसंगत है और आनेवाले समय में पश्चिमी देश कश्मीर मसले पर भी इसी तरह का प्रस्ताव मानव अधिकार आयोग में पेश कर सकते हैं, इसका अहसास कुछ विश्लेषकों ने कराया। इस वजह से भारत की इस मुद्दे पर अपनाई गई भूमिका उचित ही है, ऐसा इन विश्लेषकों ने स्पष्ट किया है।

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