सेमीकंडक्टर्स, ५जी और आर्टिफिशल इंटेलिजन्स में प्रगति करने के लिए भारत ताइवान के साथ मुक्त व्यापारी समझौता करें – ताइवान के प्रतिनिधि का आवाहन

नई दिल्ली – सेमीकंडक्टर्स, ५जी, इन्फॉर्मेशन सिक्युरिटी और आर्टिफिशल इंटेलिजन्स इन प्रगत क्षेत्रों में अपना हुनर भारत के साथ ‘शेअर’ करने के लिए ताइवान बहुत ही उत्सुक है। इससे भारत और ताइवान मिलकर मज़बूत सप्लाई चेन तैयार कर सकते हैं। इसीलिए भारत ने ताइवान के साथ जल्द से जल्द मुक्त व्यापारी समझौता करना चाहिए। इससे भारत और ताइवान के बीच के व्यापार में पैदा होनेवाले रोड़े हटकर ताइवानी कंपनियाँ भारत में निवेश करके कारखानों का निर्माण कर सकेंगी, ऐसा आकर्षक प्रस्ताव ताइवान के प्रतिनिधि बाव्‌शुआन गर ने दिया है। चीन के लड़ाक़ू विमान लगातार ताइवान की हवार्इ सीमा में घुसपैंठ कर रहे हैं, ऐसे में ताइवान से आया यह प्रस्ताव भारत की विदेश नीति की परीक्षा लेनेवाला दिख रहा है।

मुक्त व्यापारी समझौताकुछ दिन पहले चीन के भारत में नियुक्त राजदूत ने तथा चिनी दूतावास के प्रवक्ता ने यह माँग की थी कि भारत ‘वन चाइना पॉलिसी’ का पालन करें। साथ ही, भारतीय माध्यम ताइवान को स्वतंत्र देश के रूप में देखते हैं, यह बताकर चिनी दूतावास के प्रवक्ता ने उसपर नाराज़गी ज़ाहिर की थी। वास्तव में एक ही चीन है और ताइवान यह भी चीन का ही हिस्सा है, ऐसा चीन के भारत स्थित दूतावास के प्रवक्ता ने डटकर कहा था। भारत को बार बार इसका एहसास करा देने की बारी चीन पर आयी है, क्योंकि भारत ने ताइवान के साथ अपना सहयोग दृढ़ करने की दिशा में गतिविधियाँ शुरू की हैं। ख़ासकर सेमीकंडक्टर्स के निर्माण के लिए भारतीय कंपनियाँ ताइवान की कंपनी के साथ सहयोग कर रहीं होकर, भारत में उसकी परियोजनाओं का निर्माण हो रहा है।

ऐसी परिस्थिति में भारत में ताइवान के राजदूत की तरह काम कर रहे प्रतिनिधि बाव्‌शुआन गर ने भारत को फिर एक बार मुक्त व्यापारी समझौते का प्रस्ताव दिया। भारत और ताइवान के बीच के व्यापार में आनेवाले रोड़ों को हटाने के बाद, मुक्त व्यापारी समझौते से ताइवानी कंपनियाँ भारत में आसानी से भारी निवेश कर सकती हैं। इससे ताइवानी कंपनियाँ भारत में अपने कारखाने बना सकती हैं। इतना ही नहीं, बल्कि भारत में बने अपने उत्पादों की बिक्री ताइवानी कंपनियाँ दुनियाभर में कर सकती हैं, ऐसा बाव्‌शुआन गर ने आगे कहा। साथ ही, इससे भारत और ताइवान मज़बूत सप्लाई चेन का निर्माण कर सकते हैं, ऐसा दावा भी गर ने किया है। सेमीकंडक्टर्स, ५जी, इन्फॉर्मेशन सिक्युरिटी और आर्टिफिशल इंटेलिजन्स इन भविष्यकालीन तंत्रज्ञान के रूप में उदयित हो रहे क्षेत्रों में अपना हुनर भारत के साथ ‘शेअर’ करने के लिए ताइवान उत्सुक है। लेकिन मुक्त व्यापारी करार हुए बग़ैर यह सहयोग अपेक्षित तेज़ी से आगे नहीं बढ़ेगा, इस बात पर भी ताइवान के प्रतिनिधि ने ग़ौर फ़रमाया।

इससे पहले भी बाव्‌शुआन गर ने भारत को इस क़िस्म का प्रस्ताव दिया था। भारत और ताइवान इन लोकतंत्रवादी देशों को संभव होनेवाला ख़तरा एकसमान है, यह बताकर गर ने चीन की विस्तारवादी नीतियों की, नामोल्लेख न करते हुए आलोचना की थी। इस ख़तरे के मद्देनज़र, भारत और ताइवान का सहयोग यह अनिवार्य बात है, ऐसा बाव्‌शुआन गर ने कहा था।

ताइवान की हवार्इ सीमा में चीन के लड़ाकू विमान घुसपैंठ कर रहे होकर, यहाँ किसी भी पल संघर्ष भड़कने की स्थिति बनी है। अमेरिकन संसद की सभापति नैन्सी पेलोसी ने ताइवान का दौरा करके ‘वन चाइना पॉलिसी’ को खुलेआम चुनौति दी थी। उसपर ग़ुस्सा हुए चीन ने ताइवान के हवार्इ क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमानों की घुसपैंठ अधिक ही बढ़ाई थी। वहीं, चिनी नौसेना भी ताइवान की घेराबंदी करने की कोशिश में होने का आरोप ताइवान समेत अमरीका और जापान के नेता कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में ताइवान द्वारा भारत को मुक्त व्यापारी समझौते के लिए प्रस्ताव दिया जा रहा होकर, इस सन्दर्भ में होनेवाला फ़ैसला केवल व्यापारी सहयोग तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत की चीनविषयक नीति का, ताइवान के साथ के इस मुक्त व्यापारी समझौते से संबंध जोड़ा जायेगा। इसी कारण, ताइवान के साथ सहयोग करने भारत ने हालाँकि कुछ कदम उठाये हैं, फिर भी ताइवान के साथ मुक्त व्यापारी समझौते का फ़ैसला करना, यह संवेदनशील मुद्दा साबित हो सकता है।

भारत और चीन का लद्दाख सीमा पर बना विवाद सुलझने के संकेत मिल रहे हैं। भारत ने तिब्बत तथा तैवान के सन्दर्भ में अगर आक्रामक भूमिका अपनायी ही, तो शायद यह विवाद फिर से भड़क सकता है, ऐसे संकेत चीन के राजनयिक अधिकारी दे रहे हैं। वहीं, चीन जैसे घातकी देश पर भरोसा करके भारत के हाथ कुछ भी लगनेवाला नहीं है। उल्टा भारत अगर ताइवान के साथ सहयोग करके मज़बूत आर्थिक साझेदारी स्थापित करता है, तो चीन को उचित सबक मिलेगा। क्योंकि यह सहयोग अगर स्थापित नहीं भी किया, तो भी चीन भारतविरोधी नीति छोड़ नहीं देगा, ऐसा कुछ सामरिक विश्‍लेषकों का कहना है।

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