लद्दाख की एलएसी का विवाद सुलझाने के लिए हुई भारत-चीन चर्चा में प्रगति होने के दावे

नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसी पर भारत और चीन के लष्करी अधिकारियों के बीच चर्चा का १२ वाँ सत्र उत्तम वातावरण में संपन्न हुआ । इस चर्चा में थोड़ी बहुत प्रगति होने के दावे माध्यमों ने किए हैं। लेकिन अधिकृत स्तर पर इस बारे में विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है। खासकर एलएसी पर स्थित गोग्रा और हॉट स्प्रिंग इन इलाकों से क्या चीन अपने जवान हटाने के लिए तैयार हुआ, यह भी स्पष्ट नहीं हुआ है। वैसा हुए बगैर एलएसी पर बना तनाव नहीं मिटेगा, ऐसी भारत की ठोस भूमिका है।

लद्दाख की एलएसीशनिवार को लद्दाख की एलएसी पर स्थित मॉल्दो की चिनी लष्कर की चौकी में यह चर्चा शुरू हुई। सुबह शुरू हुई यह चर्चा शाम को ७.३० बजे खत्म हुई ऐसा बताया जाता है। नौं घंटों की इस चर्चा में से क्या हाथ आया, इसकी जानकारी दोनों ओर से नहीं दी गई है। लेकिन यह चर्चा पहले की चर्चा की तुलना में अधिक सुचारु रूप में संपन्न हुई, ऐसे दावे माध्यमों ने किए। इस बारे में विवरण जल्द ही घोषित किया जाएगा। लेकिन लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने पर दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों का एकमत हुआ है, ऐसा दावा माध्यमों ने किया है।

इससे पहले भी एलएसी पर बना यह विवाद अधिक ना बिगड़ने देने पर भारत और चीन के लष्करी अधिकारियों के बीच सहमति हुई थी। लेकिन लद्दाख की एलएसी पर पिछले साल के अप्रैल महीने में थी वैसी स्थिति फिर से स्थापित हो, यह भारत की प्रमुख माँग है। इसका अर्थ, चीन के लष्कर को यहाँ से पूरी तरह वापसी करनी होगी, ऐसा भारत द्वारा जताया जा रहा है। दुशांबे में १४ जुलाई को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वँग ई की चर्चा हुई थी। उस समय विदेश मंत्री जयशंकर ने यह डटकर कहा था कि एलएसी पर एकतरफ़ा बदलाव कराने की कोशिशें भारत कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत अपनी इस माँग पर अडिग होकर, इस बारे में समझौता संभव नहीं है, ऐसा संदेश चीन को लगातार दे रहा है।

भारत इस संदर्भ में भूमिका सौम्य करें, इसके लिए चीन ने अलग-अलग मार्गों से कोशिश करके देखी। दबाव के साथ ही, राजनीतिक दाँवपेंचों का इस्तेमाल करके भी चीन भारत को अपनी भूमिका से पीछे हटने के लिए मजबूर नहीं कर सका। इस कारण एलएसी पर बना तनाव कम करने के लिए चीन को गोग्रा और हॉट स्प्रिंग से वापसी करनी ही होगी। लेकिन वापसी करते समय भी, इससे अपनी प्रतिष्ठा में बाधा नहीं आएगी, इसके एहतियात चीन द्वारा बढ़ते जा रहे हैं। चर्चा के १२वें सत्र के संदर्भ में आईं खबरों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

चीन अगर भारत के साथ आर्थिक सहयोग करने की उम्मीद रखता है, तो चीन एलएसी पर कारनामे करना बंद करें, सीमा पर हजारों सैनिक तैनात रखकर दो देशों में सहयोग स्थापित नहीं हो सकता, ऐसा भारत ने चीन से डटकर कहा है। वहीं, सीमाविवाद कायम रखकर भी सहयोग जारी रह सकता है, ऐसी दलील रखकर चीन एलएसी पर के तनाव की तीव्रता कम करने की कोशिश कर रहा है।

चीन ने अगर ऐसी ही अड़ियल भूमिका इसके बाद भी कायम रखी, तो भारत अधिक आक्रामक राजनीतिक दाँवपेंचों का इस्तेमाल कर सकता है, यह स्पष्ट होने के बाद फिलहाल तो चीन की भूमिका नर्म हुई है। खासकर भारत तिब्बत के मसले का इस्तेमाल करके चीन को मुश्किल में डाल सकता है, ऐसा संदेश चीन को मिल चुका है। अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन के भारत दौरे में यह बात फिर एक बार अधोरेखांकित हुई थी। उसका परिणाम दोनों देशों के बीच के चर्चासत्र पर हुआ, ऐसी संभावना बताई जाती है।

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