रक्षाबलों की एकता बढ़ाने की प्रक्रीय जारी है – वायुसेनाप्रमुख वी.आर.चौधरी

चंदिगड़ – रक्षाबलों की कोई भी शाखा अकेले युद्ध नहीं जीत सकती। इसके लिए तीनों रक्षाबलों को एकजुट होकर कार्य करना पडेगा। इसी कारण रक्षाबलों की एकजुट अधिक मज़बूत करने का कार्य शुरू किया गया है, ऐसा एअर चीफ मार्शल वी.आर.चौधरी ने कहा। वायुसेना के ९० वें स्थापना दिवस के समारोह को संबोधित करते हुए वायुसेनाप्रमुख ने यह जानकारी साझा की। इस दौरान वायुसेना का ‘नया कॉम्बैट युनिफॉर्म’ लौन्च किया गया। तथा वायुसेना के ‘वेपन सिस्टम ब्रांच’ को केंद्र सरकार की अनुमति प्राप्त होने की जानकारी साझा करके वायुसेनाप्रमुख ने इससे प्रशिक्षण पर तकरीबन ३,४०० करोड़ रुपयों का खर्च बचेगा, ऐसी अहम जानकारी प्रदान की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एअर फोर्स डे’ के अवसर पर वायुसेना को शुभकामनाएं दीं। कई दशकों से देश के सुरक्षा मोर्चे पर वायुसेना अपनी कुशलता प्रदर्शित करती आ रही है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने वायुसेना की सराहना की। इसी बीच वायुसेना प्रमुख ने तीनों रक्षाबलों का संपर्क और समन्वय बढ़ाने की कोशिशों की जानकारी साझा की। रक्षाबलों की कोई भी शाखा अकेले युद्ध नहीं जीत सकती, इसके लिए तीनों रक्षाबलों की एकजुटता की बड़ी आवश्यकता है, यह कहकर वायुसेनाप्रमुख ने इस प्रक्रिया की अहमियत रेखांकित की। साथ ही आधुनिक दौर के युद्धनीति में हो रहे बदलाव और इसके अनुसार वायुसेना में सुधार की भी जानकारी एअर चीफ मार्शल वी.आर.चौधरी ने साझा की।

‘ड्रोन्स, स्वार्म ड्रोन्स, हायपरसोनिक हथियार और अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित गश्त यंत्रणाओं की वजह से वर्तमान दौर में युद्धनीति काफी बदल गई है। बडे पैमाने पर प्राप्त होनेवाली जानकारी का विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजन्स के इस्तेमाल से तेज़ निर्णय लिए जा रहे हैं, यह जानकारी साझा करके वायुसेनाप्रमुख ने इस पर संतोष व्यक्त किया। तथा इससे संबंधित कई अभियान शुरू किए गए हैं और डेटा एनालिटिक्स, ऑटोमेशन और आर्टिफिशल इंटेलिजन्स का इस्तेमाल वायुसेना के अभियान चलाने से संबंधित कल्पनाओं में सुधार करने के लिए किया जा रहा है, ऐसा वायुसेनाप्रमुख ने आगे कहा।

थल, सागर और हवाई क्षेत्र के अलावा अब अंतरिक्ष और सायबर क्षेत्र का भी सुरक्षा के क्षेत्र में समावेश हुआ है। इसका प्रभावी इस्तेमाल हायब्रिड युद्ध के लिए किया जा रहा है। इस बात पर ध्यान दिया तो भविष्य में युद्ध पहले के दौर के युद्ध की तरह लड़ना संभव नहीं होगा, यह स्वीकारना पडेगा, ऐसा ध्यान आकर्षित करनेवाला बयान वायुसेनाप्रमुख ने किया है।

सालभर में वायुसेना तीन हज़ार अग्नीवीरों को भरती करेगी, यह जानकारी भी उन्होंने इस अवसर पर प्रदान की। अगले दिनों में यह संख्या बढ़ती रहेगी, यह विश्वास भी वायुसेनाप्रमुख ने इस दौरान व्यक्त किया। साथ ही पिछले साल वायुसेना के सामने काफी बड़ी चुनौतियाँ थीं और वायुसेना ने अपनी पूरी क्षमता और धैर्य से इनका मुकाबला किया, ऐसा सूचक बयान भी वायुसेनाप्रमुख ने इस दौरान किया। स्पष्ट ज़िक्र नहीं किया हो फिर भी लद्दाख के एलएसी के करीबी हवाई क्षेत्र में चीन की हरकतों का संदर्भ देते हुए वायुसेनाप्रमुख दिखाई दिए।

‘एअर फोर्स डे’ के अवसर पर वायुसेना के हेलीकॉप्टर्स और लड़ाकू विमानों ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन भी किया। इस अवसर पर राष्ट्रपाति द्रौपदी मुर्मू और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे।

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