क्वाड यानी ‘नाटो’ नहीं – चीन के ऐतराज़ को भारत के विदेश मंत्री का प्रत्युत्तर

नई दिल्ली – भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों का क्वाड संगठन यह ‘एशियाई नाटो’ होने का दोषारोपण चीन ने किया था। उसे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उत्तर दिया। नाटो यह शीतयुद्धकालीन संकल्पना थी; वहीं, क्वाड यह दुनिया के उत्तम भविष्य को आकार देने वाला संगठन है, ऐसा जयशंकर ने कहा। भारत और ऑस्ट्रेलिया के विदेश और रक्षा मंत्रियों की पहली ही ‘टू प्लस टू’ चर्चा के उपलक्ष्य में विदेश मंत्री जयशंकर ने क्वाड पर जताए ऐतराज़ को दिया उत्तर गौरतलब साबित होता है।

भारत के विदेश मंत्रीभारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यह पहली ही ‘टू प्लस टू’ चर्चा बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव पर संपन्न हो रही है। अफगानिस्तान से अमरीका की सेनावापसी के बाद इस देश में तालिबान की सत्ता आयी है। इसका फायदा उठाकर, अमरीका अब महासत्ता नहीं रही और अपने सहयोगी देशों की रक्षा करने का सामर्थ्य अमरीका के पास नहीं बचा, ऐसा चीन बड़े मुँह से बताता चला जा रहा है। ताइवान तथा आसियान के सदस्य होनेवाले अन्य देशों को चीन ठेंठ धमकियाँ देकर, चीन का कहना मानने के अलावा उनके पास और कोई चारा ही नहीं है, ऐसी चेतावनी दे रहा है। चीन के इस धमकीसत्र से ऑस्ट्रेलिया जैसा देश भी नहीं बचा है।

चीन से ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, ऐसा ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरिस पेन ने कहा है। इतना ही नहीं, बल्कि चीन के कारण ऑस्ट्रेलिया के सामने खड़ी होनेवाली हर एक समस्या का समाधान भारत हो सकता है, ऐसा दावा ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ऍबट ने हाल ही में किया था। साथ ही, भारत यह ऑस्ट्रेलिया का स्वाभाविक साझेदार देश है, ऐसा भी ऍबट ने कहा था। इन दिनों चीन ने ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार युद्ध छेड़ा होकर, उसका रूपांतरण प्रत्यक्ष युद्ध में भी हो सकता है, ऐसी चेतावनियाँ चीन ने दी हैं। इस पृष्ठभूमि पर, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच की इस ‘टू प्लस टू’ चर्चा की सामरिक अहमियत बहुत ही बढ़ी है।

इस चर्चा की पृष्ठभूमि पर, भारत और ऑस्ट्रेलिया का भी समावेश होनेवाले क्वाड की चीन ने आलोचना की थी। क्वाड यह ‘एशियाई नाटो’ होने का दोषारोपण चीन ने किया था। इस ऐतराज़ को भारत के विदेश मंत्री ने उत्तर दिया है। नाटो यह शीतयुद्ध के दौर में उदित हुई संकल्पना थी। उसकी क्वाड के साथ तुलना नहीं की जा सकती। क्योंकि क्वाड यह जागतिकीकरण के दौर में देशों के सहयोग की अनिवार्यता को अधोरेखांकित करनेवाला संगठन है। दुनिया के भविष्य को आकार देने का कार्य क्वाड द्वारा किया जा सकता है, ऐसा बताकर जयशंकर ने क्वाड का समर्थन किया।

इसी बीच, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विकसित हो रहे सहयोग की चीन का सरकारी मुखपत्र होने वाले ग्लोबल टाइम्स ने आलोचना की है। भारत ने सन १९९८ में किए परमाणु परीक्षणों के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे और उसके बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण बने थे। लेकिन अब चीन का विरोध दोनों देशों को नज़दीक ले आया है, ऐसा दावा ग्लोबल टाइम्स ने किया।

ऐसा होने के बावजूद भी दोनों देशों के पास एक दूसरे को देने जैसा कुछ भी खास नहीं है। साथ ही, इन देशों के रक्षा विषयक सहयोग की परवाह करने की चीन को ज़रूरत नहीं है, ऐसा दावा एक चिनी विश्लेषक के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने किया। लेकिन दरअसल भारत और ऑस्ट्रेलिया में विकसित हो रहे इस सहयोग से चीन की चिंताएँ बढ़ीं हुईं स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहीं हैं। ख़ासकर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने जा रहे मुक्त व्यापार समझौते का चीन को झटका लग सकता है, इसका एहसास होने के बाद चीन अधिक ही बेचैन हुआ है।

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