ईंधन के लिए केवल भारत ने ही श्रीलंका को सहायता प्रदान की – श्रीलंका के ईंधन मंत्री कांचना विजसेकरा

कोलंबो – हमने अन्य देशों के पास भी, हमें ईंधन के लिए सहायता करें, ऐसी विनती की थी। लेकिन अब तक केवल भारत ने ही श्रीलंका को ईंधन की खरीद के लिए कर्ज सहायता उपलब्ध करा दी, ऐसा श्रीलंका के बिजली तथा ईंधन मंत्री कांचना विजसेकरा ने कहा है। वहीं, संकट में फँसा श्रीलंका का जनतंत्र, तथा स्थिरता और आर्थिक दृष्टि से यह देश पहले जैसा हो जाए इसके लिए भारत हर संभव सहायता करेगा, ऐसा आश्वासन भारत ने दिया है।

कांचना विजसेकरागोटाबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपतीपद से इस्तीफा देने के बाद, श्रीलंका में चल रहे प्रदर्शनों की तीव्रता हालाँकि कुछ हद तक कम हुई है, फिर भी इस देश की परिस्थिति में सुधार नहीं हुआ है। श्रीलंका के लगभग 60 लाख से अधिक लोग अर्थात इस देश की जनसंख्या के 28% जनता की अन्न सुरक्षा खतरे में पड़ी है, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संघ ने दी है। अनाज, दवाइयां, कुकिंग गैस और ईंधन की किल्लत से ग्रस्त श्रीलंका का जनजीवन खतरे में पड़ गया है। ऐसी परिस्थिति में अन्य देशों की सहायता प्राप्त करने के लिए श्रीलंका जान तोड़ कोशिश कर रहा है।

इस पृष्ठभूमि पर, श्रीलंका के बिजली तथा ईंधन मंत्री कांचना विजसेकरा ने अपनी उम्मीदें जाहिर कीं। देश में बनी ईंधन की किल्लत दूर करने के लिए हमारी सहायता कीजिए, ऐसी माँग श्रीलंका अन्य देशों से कर रहा है। लेकिन अब तक केवल भारत में ही हमें ईंधन के मोरचे पर सहायता करके कर्ज उपलब्ध करा दिया, ऐसा विजसेकरा ने कहा। उसी समय, रशिया तथा अन्य देशों के साथ हम ईंधन के मामले में चर्चा कर रहे हैं, ऐसी जानकारी विजसेकरा ने दी।

इसी बीच, इन मुश्किल हालातों में श्रीलंका का जनतंत्र तथा स्थिरता और आर्थिक दृष्टि से श्रीलंका पहले जैसा हो जाए इसके लिए भारत हर संभव सहायता करेगा, ऐसा यकीन श्रीलंका में नियुक्त भारतीय दूतावास के उच्चयुक्त गोपल बगलाय ने दिलाया। श्रीलंका की संसद के सभापति महिंदा यापा अबेयवरदेना के साथ हुई चर्चा के दौरान भारत के उच्चायुक्त ने यह आश्वासन दिया। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अपनी निवेदन में यह आश्वासन दिया है कि श्रीलंका को भारत से सहायता मिलेगी। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने भी, भारत ‘नेबरहूड फर्स्ट’ यानी पड़ोसी देशों को सर्वाधिक प्राथमिकता इस तत्त्व पर श्रीलंका से सहयोग करेगा, ऐसा कहा था।

श्रीलंका की हाल की स्थिति चीन के कर्जे के कारण ही हुई है, ऐसे आरोप हो रहे हैं। चीन से इस कर्ज का स्वीकार करके गलत आर्थिक नीतियों पर अमल करने वाले पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे, गोटाबाया राजपक्षे तथा उनका परिवार श्रीलंकन जनता के लिए तिरस्कार का विषय बना है। ऐसी परिस्थिति में केयरटेकर राष्ट्रपति के तौर पर रानिल विक्रमसिंघे ने सूत्र हाथ में लिए हैं। वहीं, श्रीलंका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में विरोधी पक्ष नेता सजिद प्रेमदासा, अनुराग कुमारा दिसानायके, दुलास अलाहपेरूमा इनके नाम भी चर्चा में हैं।

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