‘एलएसी’ पर सेना के छह डिविजन्स की तैनाती

नई दिल्ली – भारतीय सेना के छह डिविजन्स चीन से सटे ‘एलएसी’ पर तैनात किए जा रहे हैं। सेनाप्रमुख जनरल मनोज पांडे की लद्दाख यात्रा के दौरान यह जानकारी सामने आयी है। भारतीय सेना ने चीन से जुड़ी सीमा पर अपना ध्यान अधिक केंद्रीत करने की बात भी इससे स्पष्ट हुई है। चीन को भारत के साथ सीमा विवाद जारी रखना है, ऐसा कहकर सेनाप्रमुख ने कुछ दिन पहले चीन की मंशा पर आशंका जतायी थी। इस पृष्ठभूमि पर सेना द्वारा हो रहे यह बदलाव कुछ अलग संकेत दे रहे हैं।

Indian-Army-LACपिछले दो सालों में ‘एलएसी‘ पर चीन के साथ तनाव बना हुआ है, इसके दौरान भारतीय सेना ने अपने दो डिविजन्स यानी लगभग ३५ हज़ार सैनिक एलएसी पर तैनात किए थे। गलवान घाटी में संघर्ष के बाद चीन ने भारतीय सीमा के करीब तैनाती बढ़ायी थी, उतनी ही सेना भारत ने भी ‘एलएसी’ पर तैयार रखी थी। भारतीय सेना की यह तैयारी देखकर चीन की सेना पर इसका काफी दबाव बनने की बात अंतरराष्ट्रीय माध्यमों में प्रसिद्ध हुई थी। अपनी सैन्य ताकत के सामने भारत झुकेगा, ऐसा सोचनेवाले चीन को इससे काफी बड़ा झटका लगा था, ऐसा भारत के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने समय-समय पर स्पष्ट किया था।

गलवान का संघर्ष और इसके बाद भारतीय सेना की आक्रामकता की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा अधिक बढ़ी, ऐसा सैन्य अधिकारी और नेताओं ने कहा था। उसी मात्रा में चीन के सैन्य सामर्थ्य के दावे भारत के सामने टिक नहीं पाएंगे, यह बात भी विश्व में स्पष्ट हुई थी। ऐसी स्थिति में चीन भारत पर हावी होकर अपना जंगी वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश किए बिना नहीं रहेगा, ऐसी चेतावनी रणनीतिक विश्लेषकों ने दी थी। गलवान संघर्ष के बाद चीन ने एलएसी के अन्य ठिकानों पर घुसपैठ की कोशिश करके यह अनुमान सच साबित किया था। लेकिन, चौकन्ना भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना की इस साज़िश को नाकाम किया था।

लेकिन, मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिति बदली है। यूक्रैन युद्ध में रशिया विरोधि नीति अपनाने से भारत ने इन्कार किया और इस वजह से अमरीका का बायडेन प्रशासन भारत पर नाराज़ है। चीन ने भारत में घुसपैठ की तो चीन का गुलाम रशिया भारत का पक्ष नहीं लेगा। साथ ही भारत को अमरीका की ही सहायता लेनी पडेगी, ऐसी चेतावनी अमरीका के उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारत को दी थी। इसके बावजूद भारत और रशिया के सहयोग में बदलाव नहीं आया था। भारत और अमरीका के बीच बने इस मतभेद का लाभ उठाने के लिए चीन की कोशिश की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

चीन फिलहाल ताइवान के क्षेत्र में घुसपैठ करने से इंडो-पैसिफिक समुद्री क्षेत्र में अपनी वर्चस्ववादी हरकतें बढ़ा रहा है। जापान और ऑस्ट्रेलिया की चिंता इससे बढ़ी है। लेकिन, इस क्षेत्र की हरकतें और बढ़ाई गईं तो चीन को अमरिकी नौसेना से टकराना होगा। इस वजह से अमरीका के बायडेन प्रशासन पर चीन को प्रत्युत्तर देने का दबाव भारी मात्रा में बढ़ सकता है। इसके बजाय अमरीका के भारत के साथ जारी संबंधों में तनाव होने के दौरान एलएसी पर घुसपैठ करके भारत पर दबाव बनाने की साज़िश चीन कर सकता है।

इसी कारण भारतीय सेना ने एलएसी पर तैनाती बढ़ाकर अपनी तैयारी को लेकर चीन को आवश्यक चेतावनी दी है। आत्मरक्षा के लिए भारत अमरीका पर निर्भर नहीं है, यही बात भारत इस तैनाती के माध्यम से चीन को दिखा रहा है।

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