‘भारत चीन की श्रेष्ठता मान्य करें’ : चीन के सरकारी अखबार की सलाह

बीजिंग, दि. २७: ‘चिनी राजनीतिक और विद्वान भारत के बारे में हमेशा सकारात्मक भूमिका अपनाते हैं और भारत के साथ होनेवाली चर्चा को रचनात्मक नज़रिये से देखते हैं| लेकिन भारतीय अधिकारी चीन की ओर निराशापूर्ण नज़रिये से देखते हैं’, ऐसी टिप्पणी चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने की| भारत और चीन के बीच संपन्न हुई राजनीतिक चर्चा के बाद इस अखबार ने यह टिप्पणी करते हुए, ‘भारत के लिए, चीन की श्रेष्ठता मान्य करने के अलावा और कोई चारा नहीं है, ऐसी सलाह दी| इतना ही नहीं, बल्कि ‘चीन भी अपनी ताकत में वृद्धि होने तक अमरीका के सामने झुका रहा, इस बात पर भारत ग़ौर करें, ऐसा भी इस अखबार ने कहा है|

हाल ही में भारत और चीन के बीच राजनीतिक चर्चा संपन्न हुई| इस चर्चा में भारत के विदेशसचिव एस. जयशंकर ने, ‘मसूद अझहर’ और भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता को चीन द्वारा हो रहे विरोध का मुद्दा पेश किया था| संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने प्रतिबंध लगाये ‘जैश-ए-मोहम्मद’ इस आतंकी संगठन का सरगना ‘मसूद अझहर’ पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव भारत और अमरीका ने दिया था| लेकिन चीन उसको रहनेवाले ‘नकाराधिकार’ (वेटो) का गलत उपयोग करते हुए ‘अझहर’ को बचा रहा है| साथ ही, भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता का विरोध कर, चीन ने खुलेआम भारत के हितसंबंधों के खिलाफ भूमिका अपनायी है|

इसपर भारत द्वारा तीव्र नाराज़गी जतायी जाने पर, ‘भारत चीन की श्रेष्ठता मान्य करें’ ऐसी उम्मीद इस चिनी अखबार ने जतायी है| ‘चीन यह भारत की तुलना में बहुत बड़ा और प्रभावशाली देश है| जब तक इन दो देशों के बीच का यह फ़र्क़ कम नहीं होता, तब तक भारत चीन की बराबरी करने के सपनें देखना छोड़ दें। उलटा चीन की बराबरी करने की कोशिश में भारत को नुकसान बर्दाश्त करना होगा और इससे चीन और भारत की ताकतों के बीच की दरार बढ़ती ही जायेगी’, ऐसी चेतावनी ग्लोबल टाईम्स के लेख में दी गई है| ‘एक समय था, जब चीन ने अमरीका जैसे ताकतवर देश से कारोबार करते वक्त ग़ौण भूमिका अपनायी थी और अपनी क्षमता में वृद्धि होने तक प्रतीक्षा की थी। इससे भारत को बहुत कुछ सीखने जैसा है’, ऐसा दावा इस अखबार ने किया|

चीन से प्रतिस्पर्धा करने के बजाय चीन से सहयोग करने में भारत का लाभ है| इससे दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था रहनेवाले चीन समेत भारत का भी फ़ायदा होगा| लेकिन इसके लिए भारत को अपनी नकारात्मक भूमिका बदलनी चाहिए’ इन शब्दों में ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारत को समझाने की कोशिश की है| भारतीय अधिकारी चीन के बारे में नकारात्मक भूमिका अपना रहे हैं, ऐसा कहकर इस अखबार ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत के विदेशसचिव की आलोचना की है|

संक्षेप में, चीन भारत के बारे में रहनेवाली अपनी अड़ियल नीति में बदलाव नहीं करेगा| जब तक चीन को रोकने की ताकत भारत नहीं प्राप्त करता, तब तक भारत चीन से अपनी माँगे मान्य करवाने के सपनें न देखें, ऐसा संदेस चीनद्वारा अलग शब्दों में दिया गया है| लेकिन भारत और पाकिस्तान जैसे देश आपस में बराबरी के रिश्ते से बातचीत करें, ऐसी उम्मीद चीनद्वारा जतायी जाती है| आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को भारत के बराबर की अहमियत मिलें, इसके लिए चीन कोशिश कर रहा है| लेकिन इस मामले में चीन इन दोनों देशों की क्षमताओं के बीच रहनेवाला फ़र्क़ ध्यान में लेने के लिए तैय्यार नहीं है| ‘ग्लोबल टाईम्स’ यह चीन का सरकारी अखबार हर वक्त भारत, तथा चीन के अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की एकतरफ़ा आलोचना करते रहता है| इस अखबार की टिप्पणियों के ज़रिये, चीन की सरकार का दुनिया की तरफ़ देखने का इकतरफ़ा नज़रिया अधोरेखित हो रहा है|

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