‘चीन की ‘ओबीओर’ के कारण दक्षिण और मध्य एशियाई देश कर्ज़ के चंगुल में फँसेंगे’ : संयुक्त राष्ट्रसंघ की चेतावनी

नई दिल्ली, दि. २५: चीन की महत्त्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) परियोजना पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है| ‘ओबीओर’ से दक्षिण और मध्य एशिया के देश कर्ज़ के चक्रव्यूह में फ़ँसेंगे, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र के समिति ने दी| ‘चीन द्वारा इन देशों में हो रहा निवेश संबंधित देशों की अर्थव्यवस्था के तुलना में बहुत ही बड़ा है| इन देशों की कमज़ोर अर्थव्यवस्थाएँ इस निवेश का बोझ उठा नहीं पायेंगी’ ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र के ‘इकौनोमिक ऍण्ड सोशल कमिशन फॉर एशिया ऍण्ड पॅसिफिक स्टडी’ (ईसएसपी) ने दी है|

वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) परियोजना

दो हफ्ते पहले चीन ने ‘ओबीओआर’ मामले में एक आंतर्राष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया था| ‘ओबीओआर’ यह इस दशक का ऐतिहासिक प्रकल्प है| यह योजना दुनिया के लिए लाभदायी साबित होगी, ऐसा भरोसा चीन के राष्ट्राध्यक्ष झी जिनपिंग ने इस समय जताया था| इस आंतर्राष्ट्रीय परिषद में ७० से अधिक देश शामिल होने का दावा चीन ने किया था| २० से ज़्यादा देशों के राष्ट्रप्रमुख इस परिषद में मौजूद थे| इस पृष्ठभूमि पर ‘ईएससीएपी’ ने जतायी चिंता चीन को धक्का देनेवाली साबित होती है|

‘ईएससीएपी’ की ७३ वीं बैठक थायलंड के बैंकॉंक में संपन्न हुई| इस वक्त यह चिंता जतायी गयी| ‘ओबीओआर’ अंतर्गत चीन ने उजबेकिस्तान के साथ निवेश समझौता किया है| यह समझौता १५ अरब डॉलर इतनी क़ीमत का है| यह निवेश उजबेकिस्तान के सकल राष्ट्रीय उत्पादन (जीडीपी) के २५ प्रतिशत इतना है| वहीं, कझाकिस्तान के साथ ३७ अरब डॉलर का निवेश समझौता चीन ने किया है| पाकिस्तान में भी‘ओबीओआर’ अंतर्गत चीन ने ४६ अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया था| पाकिस्तान में चिनी निवेश ६२ अरब डॉलर तक पहुँचा है, ऐसा ‘ईएससीएपी’ का अंदाज़ा है|

कझाकिस्तान और पाकिस्तान के जीडीपी के तुलना में, चीन इन देशों में ‘ओबीओआर’ अंतर्गत कर रहा निवेश बीस प्रतिशत से अधिक है| बांग्लादेश के बारे में भी ऐसे ही हालात हैं| बांग्लादेश-चीन में हुए समझौते के तहत, चीन इस देश में २४ अरब डालस का निवेश करने वाला है|
‘ईएससीएपी’ के अनुसार इन देशों की अर्थव्यवस्थाएँ कमज़ोर हैं| इन देशों का राजकोषीय घाटा और इससे पहले लिया कर्ज़ा भारी है| कझाकिस्तान का बाहरी कर्जा जीडीपी के ८० प्रतिशत से ज़्यादा है| पाकिस्तान के पास विदेशी चलनभंडार बहुत ही कम है| सन २०१७ की शुरुआत में पाकिस्तान के पास, केवल चार महीने आयात की जा सकती है, इतना ही विदेशी चलनभंडार मौजूद था, इस बात पर भी ‘ईएससीएपी’ ने ग़ौर फ़रमाया है|

चीन इन देशों को, निवेश के नाम से दे रहे कर्ज़ की ओर भी ‘ईएससीएपी’ ने ध्यान खींचा| बुनियादी ढाँचा और विकास प्रकल्पों के लिए विदेश में सस्ते दामों में सुलभ कर्ज़ें उपलब्ध हैं| ऐसा होते हुए भी चीन से अधिक दाम में लिये कर्ज़ों का इन देशों की अर्थव्यवस्थां पर बुरा असर होगा| व्यापारी संतुलन भी ढलेगा, ऐसी सूचक चेतावनी ‘ईएससीएपी’ ने दी|

आर्थिक ज़ोखम के साथ ‘ओबीओआर’ परियोजना से जुडीं सामाजिक और पर्यावरणसंबंधित समस्याओं पर भी ‘ईएससीएपी’ ने चिंता जतायी है|

चीनद्वारा कर्ज़सहायता दी गयी परियोजना के चंगुल में श्रीलंका फँसा है| इस देश के कुल कर्ज़े में से दस प्रतिशत कर्ज़ा चीन ने दिया है| श्रीलंकन सरकार चीन के कर्ज़ के चंगुल से छूटने के लिए यह कर्ज़ा इक्विटी में बदलने पर राज़ी हुआ है| इससे, चीन द्वारा कर्ज़सहायता दी गयीं श्रीलंका की परियोजनाओं पर अंतिमत: चीन की मालिक़ियत स्थापित हो जायेगी|

पाकिस्तान के प्रमुख विश्‍लेषक भी, चीन के इस निवेश की वजह से और ज़्यादा दामों में चीन से लिये हुए कर्ज़ की वजह से पाकिस्तान कहीं चीन का उपनिवेश तो नहीं बन रहा है, ऐसी चिंता जता रहे हैं| भारत, अमरीका और युरोपीय देशों ने भी ‘ओबीओआर’ पर चिंता जतायी थी| यह प्रकल्प पारदर्शक नहीं, ऐसा ऐतराज़ युरोपीय देशों ने जताया हा| हाल ही में जर्मनी ने, चीन ‘ओबीओआर’ ज़बरदस्ती से थोंप रहा है, ऐसा आरोप किया था| इस पृष्ठभूमि पर, संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दी हुई चेतावनी महत्वपूर्ण साबित होती है| साथ ही, भारत की भूमिका की भी इससे पुष्टि हो रही है|

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