चीन के सैनिकों की अफगानिस्तान में गश्ती; चीन ने दावा झुठलाया

काबुल/बीजिंग, दि. २७: अफगानिस्तान स्थित अमरिकी सेना की वापसी पर बातचीत के जारी रहते, चिनी सेना द्वारा अफगानिस्तान में की गई गश्ती की खबरें प्रकाशित हुईं| पिछले हफ्ते कुछ स्थानीय लोगों ने, चीन की सेना द्वारा अपने सैनिकी वाहनों समेत गश्ती की होने का दावा किया था| चीन ने यह दावा झुठला दिया है| अफगानिस्तान में चीन सेनातैनाती नहीं करेगा, लेकिन कानून और सुव्यवस्था को स्थापित करने के लिए चीन अफगानिस्तान की सहायता करेगा, ऐसी महत्त्वपूर्ण जानकारी चीन की सेना द्वारा दी जा रही है|

चिनी सेना

अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी इलाके में चीन गश्ती कर रहा है, ऐसी खबर पिछले हफ्ते फैली थी| ‘डॉंगफेंग ईक्यू२०५०’ इस सैनिकी मोटार से चीन के जवान अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाके में गश्ती कर रहे होने की तसवीरे स्थानिकों ने खींची थीं| इन सैनिकी मोटारों के समेत ‘नॉरिन्को व्हीपी११’ यह सुरंगविस्फोट में भी सुरक्षित रहनेवाली मोटार भी चीन के गश्तीपथक में शामिल थी| अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाके में चिनी सेना द्वारा यह तीसरी गश्ती थी| पिछले वर्ष के नवंबर महीने में तथा फरवरी महीने की शुरुआत में चिनी सेना की गश्ती की स्थानिकों ने शिकायत की थी|

लेकिन चीन की सेना ने ये दावें झुठला दिए हैं| अपनी सेना अफगानिस्तान में तैनात नहीं है, ऐसा खुलासा चिनी सेना के प्रवक्ता कर्नल ‘रेन गुआकियांग’ ने किया| लेकिन अफगानिस्तान की सरकार के साथ हुए समझौते के अनुसार, इस देश के कानून और सुव्यवस्था की रखवाली के लिए सीमावर्ती इलाके में, आतंकवादविरोधी कारवाई में चीन की सेना व्यस्त है, ऐसा कर्नल गुआकियांग ने स्पष्ट किया|

दो साल पहले अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ घनी ने चीन का दौरा किया था| इसी दौरे में, सीमावर्ती इलाके में आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के मसले पर समझौता होने का दावा चीन कर रहा है| अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाके में ‘तुर्कीस्तान इस्लामिक पार्टी’ इस चीनविरोधी आतंकी संगठन का केंद्र होने का दावा चीन कर रहा है| चीन के झिंजियांग राज्य में यह संगठन सक्रिय होकर, इस आतंकी संगठन पर अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाके पर कारवायी की जा रही है, ऐसा दावा चीन ने किया है|

अफगानिस्तान में चीन की सैनिकी गतिविधियों पर अमरीका के विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं| अमरीका ने इससे पहले अफगानिस्तान में शुरू किये आतंकवादविरोधी संघर्ष में सहभाग लेने से चीन ने इन्कार किया था| लेकिन सन २०१४ में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा द्वारा की गई, अफगानिस्तान स्थित अमरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा के बाद, चीन ने इस देश में अपनी गतिविधियाँ बढ़ाई हैं|

चीन ने अफगानिस्तान के तालिबान के साथ अलग से बातचीत शुरू की है| साथ ही, अमरीका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान समेत संपन्न हुई शांतिचर्चा में भी चीन शामिल हुआ था| इसके अलावा, कुछ ही हफ्ते पहले चीन ने, रशिया की अगुआई में पाकिस्तान समेत अफगानिस्तान के मसले पर स्वतंत्र मोरचा शुरू किया है|

वहीं चीन ने अफगानिस्तान में चल रहे आतंकवादविरोधी संघर्ष से दूर रहने की नीति अपनायी थी, फिर भी पिछले डेढ दशक से चीन, इस देश में अपना व्यापारी निवेश बढ़ाये जा रहा है| अफगानिस्तान में ‘अयामेक’ स्थित खदान में, चीन ने लगभग साढ़ेतीन अरब डॉलर्स का निवेश किया है| ‘अयामेक’ यह दुनिया में दूसरे नंबर की तांबे की खदान मानी जाती है, जिसे अगले ३० सालों के लिए चीन ने भाड़े पर लिया है| इस खदान में ५५ लाख मेट्रिक टन तांबे का संचय होने का दावा किया जाता है| इसके अलावा ऊर्जा प्रकल्प और काराकोरम रेलमार्ग के विकास के लिए भी चीन ने निवेश किया है|

पाकिस्तान और रशिया की सहायता से चीन अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, यह अमरीका के लिए चिंता का कारण हो सकता है, ऐसा दावा कुछ विशेषज्ञ कर रहे हैं|

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