`भारत सन १९६२ के युद्ध की याद रखें’ : भारतीय सेनाप्रमुख की सिक्कीम यात्रा की पृष्ठभूमि पर चीन की चेतावनी

नई दिल्ली/बीजिंग, दि. २९ : ‘भारत ने सन १९६२ के इतिहास की याद रखनी चाहिए’ ऐसा उक़सानेवाला बयान चीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने किया है| सिक्कीम की सीमा पर जब भारत और चीन के जवान एकदूसरे के सामने खड़े हैं, तभी भारत के सेनाप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने सिक्कीम की भेंट की| इस वजह से बेचैन हुए चीन द्वारा इस प्रकार की उक़सानेवाली भाषा का प्रयोग किया जा रहा है| साथ ही, भारत ने सिक्कीम के सीमाभाग से सेना पीछे लिये बगैर चीन भारत के साथ राजनयिक चर्चा नहीं करेगा, ऐसा अड़ियल रवैय्या चीन ने अपनाया है| ‘चीन अपने भूभाग में घुसपैंठ कर रहा है’ ऐसा भूतान का दावा भी चीन ने अमान्य किया है|

सिक्कीमभारत, भूतान और चीन की सीमाएँ जहाँ मिलती हैं, उस चुंबी घाटी से सटे डोकलाम में चीन के जवानों ने घुसपैंठ की थी| भूतान के भूभाग में इस घुसपैंठ पर भारतीय जवानों ने आक्षेप लिया| भूतान की सुरक्षा यह भारत की जिम्मेदारी होकर, भारतीय जवानों ने घुसपैंठ करने वाले चिनी जवानों को रोके रखा| इस वजह से निर्माण हुए तनाव के चलते, चीन ने इस मामले में आक्रामक भूमिका अपनाकर भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की| चीन ने यहाँ पर सड़क बनाने का काम शुरु करके भारतसमेत भूतान की संप्रभुता का भी उल्लंघन किया| लेकिन भारत ही अनावश्यक रूप से भूतान को आगे करके यह झगड़ा बढ़ा रहा है, ऐसा आरोप चीन के विदेशमंत्रालय ने किया| लेकिन गुरुवार को भूतान ने भी, चीन अपने भूभाग में घुसपैंठ कर रहा है, ऐसा आरोप किया|

चीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता लू कँग ने भूतान का आरोप अमान्य करके, ‘चीन की सेना अपने ही भूभाग में है’ ऐसा कहा है| इतना ही नहीं, बल्कि ‘इस जगह पर भारतीय जवानों ने ही घुसपैंठ की है’ ऐसी झूठी शिक़ायत चीन के प्रवक्ता ने की| साथ ही, भारतीय सेना यहाँ से पीछे हटे बगैर चीन सीमावाद के मामले में भारत के साथ चर्चा नहीं करेगा, ऐसा अड़ियल रवैय्या अपनाकर चीन के विदेशमंत्रालय ने, अपना देश पीछे नहीं हटेगा, ऐसा कहा है| इसके अलावा भारतीय सेनाप्रमुख ने तीन हफ्तें पहले किये बयान पर प्रतिक्रिया देते समय ‘लू कैंग’ ने सन १९६२ के युद्ध की हार की याद दिलायी है|

सिक्कीमभारतीय सेना एक साथ पाकिस्तान, चीन और अंतर्गत सुरक्षा ऐसे ढ़ाई मोरचों पर युद्ध करने के लिए तैयार है, ऐसा सेनाप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने कहा था| ‘उनका यह बयान गैरजिम्मेदाराना है’ ऐसा आरोप लगाकर ‘लू कैंग’ ने, सन १९६२ के युद्ध में भारत को मिली हार की भारत याद रखें, ऐसा कहा है| ‘हिंदी-चिनी भाई-भाई’ ऐसी नारेबाज़ी देनेवाले चीन की सेना ने सन १९६२ में भारत के अक्साई चीन पर आक्रमण करके धोख़ाधड़ी की थी| भारत इस युद्ध के लिए तैयार नहीं था और उस समय भारत के राजनयिक नेतृत्त्व को भी चीन पर पूरा भरोसा था| इसका फायदा चीन ने उठाया था| लेकिन आनेवाले समय में भारत के मामले में ऐसा दु:साहस करने की ज़ोख़म चीन ने नहीं उठायी थी|

सन १९६२ के इस हमले की वजह से चीन ने भारत का विश्‍वास हमेशा के लिए गँवाया, ऐसी नाराज़गी पश्चात् समय में चीन के नेता व्यक्त करने लगे| लेकिन चीन भारत के साथ सीमावाद का मसला खड़ा कर फिर से यह गलती कर रहा है, ऐसा सामने आ रहा है| लेकिन इस समय भारतीय सेना चीन की घुसपैंठ का मुँहतोड़ जवाब दे रही है| इसके अलावा, चौकन्नी रहनेवाली भारतीय मीड़िया भी चीन के षडयंत्र पर कड़ी नज़र रखे हुए है| लगातार भारतविरोधी भूमिका लेने वाले चीन के विरोध में भारतीय जनमानस में गुस्सा उमड़ रहा है| कुछ दिन पहले भारतीय प्रधानमंत्री ने अमरीका की यात्रा करके दोनो देशों के बीच सामरिक तथा रक्षासंबंधित सहयोग और ज़्यादा दृढ़ करने का फैसला किया था| इसपर चीन ने कड़ा ऐतराज़ जताया था|

भारत और अमरीका के बीच का सहयोग चीन के विरोध में नहीं है, ऐसा स्पष्टीकरण भारत समेत अमरीका ने भी दिया था| लेकिन चीन इस बात को अधिक शक की निगाह से देख रहा है| इसलिए चीन भारत के साथ सीमावाद का मसला उठा रहा है ऐसा दिख रहा है| इससे पहले भी भारतीय नेताओं की विदेशयात्रा एवं दूसरे देशों के नेताओं की भारतयात्रा के समय, चीन सीमावाद का मसला उठाकर भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश करता आया है|

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