इस्रायल और यूएई में हुआ ऐतिहासिक शांति समझौता

वॉशिंग्टन – इस्रायल और ‘संयुक्त अरब अमीरात’ (यूएई) के बीच ऐतिहासिक ‘अब्राहम शांति समझौता’ हुआ है। इस समझौते की वजह से दोनों देशों में पहली बार राजनीतिक संबंध स्थापित होंगे। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने सबसे पहले इस समझौते का ऐलान किया। खाड़ी क्षेत्र की शांति के लिए यह बड़ी अहम गतिविधि है और जल्द ही और भी अरब-मुस्लिम देश भी इस शांति समझौते में शामिल होंगे, यह विश्‍वास भी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने व्यक्त किया। इजिप्ट और जॉर्डन ने इस समझौते का स्वागत किया है और इस्रायल के साथ शांति समझौता करके ‘यूएई’ ने पैलेस्टिनी नागरिकों के पीठ में खंजर भोंका है, ऐसी आलोचना ईरान और तुर्की ने की है।

Israel-US-UAEअरब देश इस्रायल के साथ सहयोग स्थापित करने की कोशिश में जुटे होने के समाचार बीते कुछ वर्षों से सामने आ रहे थे। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बाहरिन, ओमान ने ऐसे संकेत भी दिए थे। लेकिन, इन अरब देशों ने यह ऐलान सार्वजनिक स्तर पर किया नहीं था। लेकिन, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरूवार के दिन सोशल मीडिया के माध्यम से यह शांति समझौता होने की जानकारी सार्वजनिक करके सनसनी मचाई है। इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू और यूएई के क्राउन प्रिन्स शेख मोहम्मद बिन ज़ईद के साथ हुई चर्चा के बाद राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने यह ऐलान किया। इस ऐतिहासिक शांति समझौते के लिए अमरीका ने अहम भूमिका निभाई है, यह बयान भी ट्रम्प ने किया है। इस शांति समझौते के अनुसार दोनों देश दूतावास शुरू करके व्यापार, पर्यटन, शिक्षा, मेडीकल और रक्षा क्षेत्र में सहयोग स्थापित करेंगे, यह जानकारी भी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने बयान की।

इस्रायल और यूएई के बीच शांति समझौता नहीं हो सकेगा, यह उम्मीद कई लोगों ने की थी। लेकिन, इस ऐतिहासिक समजौते की वजह से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के साथ तकनिकी क्षेत्र से संबंधित सहयोग में बढ़ोतरी होगी एवं इस क्षेत्र के अन्य देशों को भी इससे लाभ होगा, यह दावा राष्ट्राध्यक्ष ने किया। यूएई के साथ ही अन्य अरब-मुस्लिम देश भी इस्रायल के साथ हुए इस शांति समझौते में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं और इस मुद्दे पर अमरीका अन्य देशों से चर्चा कर रही है, यह बात भी ट्रम्प ने कही। इस्रायल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू और यूएई के क्राउन प्रिन्स शेख मोहम्मद ने अमरीका की इन कोशिशों का स्वागत किया। इस्रायल के साथ हुआ यह समझौता राजनीतिक कोशिशों को प्राप्त हुई सफलता है और इसके कारण इस क्षेत्र में तनाव कम होने के लिए सहायता प्राप्त होगी, यह दावा अमरीका में नियुक्त यूएई के राजदूत युसूफ अल ओतैबा ने किया। तभी, ‘यूएई’ के साथ शांति स्थापित करेंगे और इसकी वजह से दोनों देशों की जनता को अच्छा भविष्य प्राप्त होगा, यह दावा इस्रायल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने किया।

Erdogan-Rouhaniइस्रायल के साथ शांति समझौता करनेवाला यूएई तीसरा अरब देश बना है। इससे पहले वर्ष 1979 में जॉर्डन ने इस्रायल के साथ शांति समझौता किया था। इस्रायल के इन दोनों पड़ोसी देशों ने इस्रायल और यूएई में हुए इस समझौते का स्वागत किया है। साथ ही इसकी वजह से वेस्ट बैंक के बारे में अपनाई गई भूमिका से इस्रायल पीछे हटेगा, यह विश्वास इजिप्ट और जॉर्डन ने व्यक्त किया। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इस ऐतिहासिक समझौते का स्वागत किया। तभी इस्रायल के साथ शांति समझौता करके ‘यूएई’ ने पैलेस्टिनी लोगों के साथ गद्दारी की है, ऐसी आलोचना वेस्ट बैंक के पैलेस्टिनी प्रशासन ने की है। गाज़ा पट्टी के हमास के साथ ईरान और तुर्की ने इस शांति समझौते पर ज़हरिली आलोचना की है। यह शांति समझौता करके यूएई इस्रायल का हित सुरक्षित कर रहा है, ऐसी आलोचना ईरान ने की है। साथ ही इस समझौते के साथ यूएई ने पैलेस्टिनी नागरिकों के पीठ मे खंजर भोंका है, यह आलोचना हमास और तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन और ईरान के विदेश मंत्रालय ने की है।

इसी बीच इस्रायल और यूएई के बीच हुआ यह समझौता खाड़ी क्षेत्र की बदलती राजनीति का हिस्सा होने का दावा किया जा रहा है। हमारे लिए ईरान ही इस्रायल से अधिक बड़ा खतरा होने का ड़र अरब देशों में है। इस वजह से इस्रायल से सहयोग स्थापित करके ‘यूएई’ ने खाड़ी क्षेत्र में ईरान के ख़िलाफ बना मोर्चा मज़बूत करना शुरू करने की बात दिख रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.