ऊपरी तौर पर ताकतवर दिखने वाला चीन भीतर से खोखला है – ब्रिटेन के पूर्व राजनीतिक अधिकारी का दावा

टोकिओ – चीन हालांकि ऊपरी तौर पर कितना भी ताकतवर देश दिखाई दे रहा हो, फिर भी वास्तव में यह देश भीतर से खोखला और कमजोर है। अंतर्गत समस्याओं के कारण चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को बहुत बड़ा खतरा संभव है। इसी कारण से चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग अपनी सेना पर खर्च करने के बजाय अंतर्गत सुरक्षा पर अधिक खर्च कर रहे हैं। साथ ही अंदरूनी दुश्मनों के कारण जिनपिंग असुरक्षित बने हैं, ऐसा निष्कर्ष ब्रिटेन के पूर्व राजनीतिक अधिकारी और विख्यात लेखक रॉजर गार्साईड ने दर्ज किया।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के कार्यकाल का दूसरा सत्र खत्म होने की कगार पर होकर, वे लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्राध्यक्ष बनने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए नियमों में बदलाव किए गए होकर, उस पर जिनपिंग के प्रतिस्पर्धी बहुत ही नाराज हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में इस पर तीव्र मतभेद है ही। ऐसी परिस्थिति में कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ बड़े नेता राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के विरोध में बगावत कर सकते हैं, ऐसा दावा गार्साईड ने किया। ब्रिटेन के चीन में नियुक्त राजदूत के रूप में काम किए हुए रॉजर गार्साईड यह चीन विषयक विशेषज्ञ माने जाते हैं। इसी कारण उन्होंने दर्ज किए इस निष्कर्ष को बहुत बड़ी अहमियत प्राप्त हुई है।

वर्तमान चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की हुकूमत आखरी घड़ियां गिन रही है। इस व्यवस्था को पूरी तरह बदलने के अलावा और कोई चारा नहीं है। लोकतंत्र यही इस व्यवस्था के लिए विकल्प साबित हो सकता है, ऐसा दावा गार्साईड ने जापान के एक अखबार के साथ वार्तालाप करते समय किया। राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग चीन को बहुत ही खतरनाक दिशा में आगे ले जा रहे हैं काम आए ऐसी भावना कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेताओं में दृढ़ हो रही है। चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग को भी कमा जिनपिंग की नीतियों की चिंता प्रतीत होने लगी है। जिनपिंग के कारण अपना भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा, इस चिंता से प्रधानमंत्री केकियांग तथा कम्युनिस्ट पार्टी के अन्य नेताओं को ग्रसित किया है।

चीन ने की आर्थिक प्रगति के कारण इस देश का निजी क्षेत्र कुछ हद तक प्रभावशाली बना होकर, इस क्षेत्र के पास भी थोड़ी बहुत ताकत आई है। उसका इस्तेमाल करके चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों पर प्रभाव डालने की कोशिश चीन के निजी क्षेत्र द्वारा की जा रही है, यह बात गार्साईड ने दर्ज की। कुछ ताकतवर चीनी कंपनियां जिनपिंग के विरोध में अपने पैसों का इस्तेमाल कर सकती हैं और अन्य नेताओं को समर्थन देकर जिनपिंग के विरोध में बगावत करवा सकती हैं, इस पर गार्साईड ने गौर फरमाया है।

इससे पहले भी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत में गंभीर मतभेद निर्माण होने की खबरें आई थी। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के हाथ में एकत्रित हुए अधिकारों के विरोध में चीन के कुछ नेताओं ने व्यक्त की नाराजगी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.