एशिया के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन-रशिया सैन्य सहयोग बढ़ रहा हैं – जापान के विदेश मंत्री की चेतावनी

स्टॉकहोम/टोकियो – एक ओर चीन ईस्ट और साउथ चाइना सी में ‘जैसे थे’ स्थिति बदलने की एकतरफा गतिविधियां कर रहा हैं। वहीं, दूसरी ओर एशिया समेत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन और रशिया का सैन्य सहयोग बढ़ रहा हैं, ऐसा इशारा जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने दिया। इस बढ़ते सहयोग को रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपिय महाद्वीप की बदलती स्थिति की पृष्ठभूमि होने की चेतावनी भी जापान के विदेश मंत्री ने दी है। 

सैन्य सहयोगयूरोप के स्वीडन में ‘ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्टेरिअल फोरम’ की बैठक का आयोजन किया गया है। इसमें अपनी भूमिका रखते समय जापान के विदेश मंत्री ने चीन और रशिया के बढ़ते सहयोग का खतरा रेखांकित किया। ‘रशिया-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति में ज्यादा फर्क नहीं रहा। रशिया ने यूक्रेन में किए हमलों से अंतरराष्ट्रीय नींव को झटके लगे हैं। इसपर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने एकत्रित प्रतिक्रिया देनी होगी’, ऐसा आवाहन विदेश मंत्री हयाशी ने किया। 

यदि साथ मिलकर प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की तो रशिया-यूक्रेन की तरह विश्व के अन्य हिस्सों में भी ऐसी नई चुनौतियां खड़ी होग और शांति-समृद्धी की मौजूदा व्यवस्था पलटी जाएगी, इसपर जापान के विदेश मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद हयाशी ने चीन की एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शुरू एकतरफा हरकतों का ज़िक्र किया। इसी बीच इसी क्षेत्र में चीन और रशिया का सैन्य सहयोग बढ़ रहा है, इसका अहसास भी जापान के मंत्री ने कराया। 

पिछले कुछ सालों में चीन और रशिया ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में युद्धाभ्यास की तादात बढ़ाई हैं और इसमें हवाई एवं नौसैनिक युद्धाभ्यास भी शामिल हैं। इन युद्धाभ्यास के कारण इस क्षेत्र में दोनों देशों के युद्धपोत एवं लड़ाकू विमानों की मौजुदगी बढ़ी हैं। इन दोनों देशों के साथ उत्तर कोरिया के शुरू मिसाइल परीक्षण अधिक उकसानेवाले होने का दावा भी उन्होंने इस दौरान किया।

रशिया-यूक्रेन युद्ध में जापान ने यूक्रेन का समर्थन किया है और चीन रशिया से सहयोग करता देखा गया है। कुछ महीने पहले जापान के प्रधानमंत्री यूक्रेन का दौरा कर रहे थे तभी चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग रशिया दौरे पर थे। रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर रशिया और चीन का सहयोग लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसमें व्यापार एवं रक्षा क्षेत्र का भी समावेश है। इससे पश्चिमी देशों ने चीन को समझ दी हो फिर भी चीन उसे अनदेखा करता दिख रहा है। 

दूसरी ओर रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण निर्माण हुई स्थिति का लाभ उठाकर चीन ताइवान पर हमला करेगा, ऐसी चेतावनी पश्चिमी विश्लेषक और अधिकारी दे रहे हैं। 

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