चीन को रोकने के लिए जापान ताइवान के करीब मिसाइलों की तैनाती करेगा

टोकियो – ईस्ट चायना सी क्षेत्र में चीन की बढ़ती लष्करी आक्रामकता को रोकने के लिए और अपने हितों की सुरक्षा के लिए जापान ताइवान के करीब मिसाइलों की तैनाती कर रहा है। अगले वर्ष तक यह तैनाती पूरी होगी, यह दावा किया जा रहा है। दो हफ्ते पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने वीडियो के ज़रिये जापान पर परमाणु बम से हमले करने की धमकी दी थी। इस पृष्ठभूमि पर ताइवान के करीब मिसाइल तैनात करके जापान चीन को संदेश दे रहा है।

china-japan-taiwan-missiles-deploy-2जापान के रक्षामंत्री नोबुआ किशी ने बीते हफ्ते माध्यमों से बातचीत करते समय इस तैनाती की जानकारी साझा की थी। जापान के आग्नेय ओर के द्विपों पर विमान एवं विध्वंसक विरोधी मिसाइलों की तैनाती करेंगे, ऐसा रक्षामंत्री किशी ने कहा था। ताइवान के ‘ताओयुआन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे’ से मात्र ३०६ किलोमीटर दूरी पर स्थित ‘इशिगाकी’ द्विप पर इन मिसाइलों की यंत्रणा की तैनाती होगी। वर्ष २०२२ तक ऐसी दो मिसाइल यंत्रणा पूरी तरह से कार्यरत की जाएगी, यह बात जापान के रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट की।

विमान और विध्वंसक विरोधी मिसाइलों के युनिट के साथ ही जापान के ‘सेल्फ डिफेन्स फोर्सेस-एसडीएफ’ के पांच सौ से छह सौ सैनिक तैनात रहेंगे। वर्ष २०१७ में प्रधानमंत्री एबे शिंजो के कार्यकाल में ही इस तैनाती के लिए गतिविधियाँ शुरू हुईं थी, यह दावा किया जा रहा है। इशिगाकी द्विप जापान के सेंकाकू द्विप समूह की सीमा में मौजूद है। इसकी वजह से ताइवान के निकट होने की स्थिति में भी जापान के इन मिसाइलों की यह तैनाती पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में रहने की बात कही जा रही है।

china-japan-taiwan-missiles-deploy-1इशिगाकी द्विप पर इस तैनाती से पहले ही अमामी-ओशिमा, ओकिनावा और मियाको नामक तीन द्विपों पर जापान की मिसाइल यंत्रणा तैनात है। वहां पर प्रगत पैट्रियॉट हवाई सुरक्षा यंत्रणा भी तैनात है। इस वजह से इशिगाकी द्विप पर भी पैट्रियॉट की तैनाती होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसके साथ-साथ जापान का रक्षा मंत्रालय वर्ष २०२३ तक यानागुनी द्विप पर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर युनिट की तैनाती करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा मागेशिमा द्विप पर ताइवान का लष्करी अड्डा स्थापित करने का विचार होने का दावा किया जा रहा है।

ईस्ट चायना सी क्षेत्र में चीन की बढ़ती लष्करी दबंगाई के विरोध में जापान यह तैनाती करने की कोशिश में होने की बात स्पष्ट  है। बीते कुछ महीनों से जापान ने ताइवान के लोकतंत्र और संप्रभुता का मुद्दा उठाया है। दस दिन पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री एबे शिंजो ने ताइवान के साथ त्रिपक्षीय बैठक करने पर चीन ने आलोचना की थी। हाँगकाँग की तरह ताइवान के लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश चीन ने शुरू की है, यह आरोप जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ने लगाया था।

इससे पहले जापान के प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री एवं उप-रक्षामंत्री ने ताइवान क्षेत्र की स्थिरता जापान एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्‍यक होने का बयान करके चीन की लष्करी आक्रामकता को लक्ष्य किया था। साथ ही जापान ने ताइवान की सुरक्षा के लिए लोकतांत्रिक देशों को एकजूट करने का आवाहन किया था। लेकिन, ताइवान हमारा सार्वभौम हिस्सा होने का दावा कर रहे चीन ने इस मुद्दे पर जापान को धमकाया था।

चीन की ‘कम्युनिस्ट पार्टी’ ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करके जापान पर परमाणु बम के हमले करने की धमकी दी थी। चीनी सोशल मीडिया में इस वीडियो को काफी प्रसिद्धी प्राप्त हुई थी। लेकिन, जापान पर परमाणु हमला किया गया तो पड़ोस के चीन को भी इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे, ऐसा कहकर कुछ विश्‍लेषकों ने चीन सिर्फ दमन नीति का इस्तेमाल कर रहा है, इस पर ध्यान आकर्षित किया। इस पृष्ठभूमि पर ताइवान के करीब मिसाइल तैनात करके जापान ने अपनी कृति से चीन को जवाब दिया है।

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