भारत-अमेरिका ‘टू-प्लस-टू’ चर्चा में चीन से होने वाले खतरे के विरोध में दोनों देशों का एकमत – भारत और अमेरिकी रक्षा मंत्री का ऐलान

नई दिल्ली – भारत और अमेरिका की रणनीतिक भागिदारी अधिक से अधिक विकसित हो रही है और अहम मुद्दों पर दोनों देशों का एक-दूसरें पर विश्वास भी बढ़ रहा हैं। इसमें चीन की बढ़ती आक्रामकता का विरोध, स्वतंत्र और मुक्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र एवं क्षेत्रिय सुरक्षा संबंधित चुनौतियों के विरोध में हुई सहमति का समावेश होने की बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट की। भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्री की ‘टू-प्लस-टू’ चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने यह कहा था। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने भी यह घोषित किया है कि, भारत से हुई चर्चा में चीन से होने वाले खतरों का मुद्दा भी था।

भारत-अमेरिका ‘टू-प्लस-टू’ चर्चा में चीन से होने वाले खतरे के विरोध में दोनों देशों का एकमत - भारत और अमेरिकी रक्षा मंत्री का ऐलानशुक्रवार को नई दिल्ली में ‘टू-प्लस-टू’ चर्चा शुरू हुई। इसमें विदेश मंत्री एस.जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन शामिल हुए थे। इस चर्चा में दोनों देशों के बीच रणनीतिक एवं रक्षा संबंधित भागिदारी मज़बूत करने का मुद्दा सबसे आगे था। भारत और अमेरिका साथ मिलकर सेना के लिए ज़रूरी बख्तरबंद वाहनों का निर्माण करेंगे और यह बड़ी अहम घटना होने का ऐलान अमेरिकी रक्षा मंत्री ने किया। साथ ही दोनों देशों ने ‘एमक्यू-९बी रिपर ड्रोन’ संबंधित किए कारोबार का उचित समय पर ऐलान किया जाएगा, ऐसा रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा। भारत और अमेरिका आतंकवाद के विरोध में हम रक्षा सहयोग व्यापक करेंगे। साथ ही सेमीकंडक्टर और दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में दोनों देश सहयोग बढ़ाएंगे। उन्नत प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत-अमेरिका सहयोग को नई उंचाई प्रदान करने दा दावा इस दौरान दोनों देशों के नेताओं ने किया।

भारत और अमेरिकी साथ मिलकर पढ़ते हैं, एक साथ काम करते हैं, एक-दूसरें से समन्वय करते हैं और इसकी वजह से प्रगति के अनगिनत अवसर सामने आते है, यह हम पिछले दशक से प्राप्त अनुभव से सिखे हैं, ऐसा बयान अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने किया। वहीं, कनाड़ा में भारत के विरोध में शुरू खलिस्तानियों की गतिविधियां चिंताजनक है, यह कहकर भारत ने अमेरिका के सामने यह मुद्दा उठाया। कनाड़ा के प्रधानमंत्री ने खलिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हुई हत्या का आरोप भारत पर लगाया था। इस विवाद में अमेरिका ने कनाड़ा का पक्ष उठाने के संकेत प्राप्त हुए थे। इस वजह से भारत ने ‘टू-प्लस-टू’ चर्चा में यह मुद्दा उठाना अहमियत रखता है।

इसके अलावा इसी चर्चा में चीन विरोधी भूमिका स्पष्ट तौर पर अपनाई देखी जा रही है। चीन से होने वाले खतरों को लेकर भारत से चर्चा होने की जानकारी रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने साझा की। इस चर्चा में चीन के आक्रामकता के विरोध में दोनों देशों का एकमत होने का दावा भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का ज़िक्र करके इस क्षेत्र को चीन से होने वाले खतरे पर भारत और अमेरिका खुली चर्चा कर रहे हैं, यह ध्यान खींच रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन भी इंडो-पैसिफिक के मुद्दे पर विशेष जोर देते दिख रहे हैं। अगले कुछ महीनों में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड गुट की बैठक भारत में आयोजित होगी। इसमें इंडो-पैसिफिक का मुद्दा अहम होगा, ऐसा ऐलान विदेश मंत्री जयशंकर ने किया।

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