विश्‍व की आर्थिक स्थिरता को अमरीका के एकतरफा प्रतिबंधों का खतरा – चीन की चिंता

संयुक्त राष्ट्रसंघ/बीजिंग – यूक्रैन का युद्ध छिड़ने के बाद अमरीका ने रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों का चीन ने तीव्र विरोध किया है| एकतरफा प्रतिबंध एवं किसी देश की संपत्ति कुर्क करने का निर्णय उस देश की संप्रभूता को चुनौती देता है| इससे वैश्‍विक स्तर पर आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बनेगा| देशों की एक-दूसरे पर निर्भरता का हथियार की भांति इस्तेमाल करने का यह तरीका घातक होगा, ऐसा इशारा चीन ने दिया है|

us-one-sided-sanctions-2अमरीका ने रशिया पर लगाए हुए सख्त प्रतिबंधों का सबसे ज्यादा नुकसान चीन को हो सकता है| इससे ड़रे हुए चीन ने रशिया के सहयोग पर पुनर्विचार शुरू किया है| ऐसे में ही चीन और रशिया के सहयोग पर हमारी कड़ी नज़र होने का बयान करके अमरीका ने चीन की धड़कनें बढ़ाई हैं| ऐसी स्थिति में चीन अब रशिया को लक्ष्य कर रही अमरीका के प्रतिबंधों की आलोचना कर रहा है|

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने ‘बाओ फोरम’ को संबोधित कते हुए एकतरफा प्रतिबंधों के खिलाफ भूमिका अपनाई| ऐसे प्रतिबंधों के खिलाफ एशियाई देश एकजुट हों, यह आवाहन भी राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने किया है| संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में बोलते समय चीन के राजदूत झैंगजुन ने अन्य देश की संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार किसी को नहीं हो सकता, ऐसा कहकर अमरीका को लक्ष्य किया| यूक्रैन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका ने अपने देश में मौजूद रशिया की तकरीबन ३०० अरब डॉलर्स की राशि कुर्क की थी| इससे पहले तालिबान ने अफ़गानिस्तान की हुकूमत बनाने के बाद अमरीका ने अफ़गानिस्तान की लगभग नौं अरब डॉलर्स निधि कुर्क करने का निर्णय किया था|

us-one-sided-sanctions-1लेकिन, इस तरह से अन्य देश की निधि कुर्क करना और उसकी संपत्ति पाबंदी लाना संप्रभूता का उल्लंघन है, ऐसी आलोचना चीन के राजदूत झैंग जुन ने की| साथ ही देशों के एक-दूसरे पर निर्भरता का हथियार की तरह इस्तेमाल करना घातक होगा, यह इशारा भी जुन ने दिया| इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर की आर्थिक स्थिरता बाधित होगी, यह चिंता जुन ने जताई है|

इसी बीच, अमरीका ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों से हमें नुकसान होगा, इस चिंता ने चीन को परेशान किया है| अमरीका की चेतावनी के बावजूद भारत ने रशिया के साथ अपने परंपरागत सहयोग को बरकरार रखने का निर्धार व्यक्त किया| भारत के विदेशमंत्री ने अमरीका में चर्चा के दौरान इससे संबंधित पुख्ता भूमिका अपनाई थी| लेकिन, चीन इस पर बड़े-बड़े दावे कर रहा है, फिर भी अब तक चीन ने इस मसले पर भारत जैसी स्पष्ट भूमिका नहीं अपनाई है|

अमरीका के प्रतिबंधों के ड़र से कुछ चीनी कंपनियॉं और बैंकों ने रशिया का सहयोग रोकने का निर्णय लिया है| अमरीका के साथ अपना द्विपक्षीय व्यापर बाधित नहीं हो, इस तरीके से चीन रशिया के साथ अपना सहयोग बरकरार रखने का नपातुला निर्णय कर रहा है| रशिया को भी इसका अहसास होने के संकेत मिल रहे हैं| ऐसी स्थिति में अमरीका के प्रतिबंधों के खिलाफ चीन ने अन्य  देशों से एकजुट होने का आवाहन भी ध्यान आकर्षित कर रहा है| चीन के पास अमरीका के प्रतिबंधों का सामना करने की क्षमता ना होने की बात भी इससे पूरे विश्‍व में सार्वजनिक हुई है| 

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