विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में आर्थिक मंदी का प्रवेश

टोकियो – विश्व की चौथी और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में मंदी का प्रवेश हुआ हैं। पिछले कुछ सालों से ही जर्मनी में मंदी के घेरे में होने की चर्चा शुरू हुई थी। कोरोना की महामारी और रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से उछले ईंधन की कीमतों की पृष्ठभूमि पर जर्मनी अर्थव्यवस्था के कर्ज का बोजा विक्रमी स्तर पर जा पहुंचने की बात स्पष्ट हुई थी। लेकिन, अब ‘जीडीपी’ का ब्योरा सामने आने के बाद जर्मनी में मंदी का प्रवेश होने की बात पर मुहर लगी हैं। इसका जर्मनी के उत्पाद क्षेत्र के साथ जर्मन जनता पर सीधा असर होगा। 

आर्थिक मंदीजर्मनी का ‘जीडीपी’ लगातार दूसरी तिमाही में फिसला हैं। वर्ष २०२३ की पहली तीमाही में जर्मनी की अर्थव्यवस्था का विकासदर नकारात्मक दर्ज़ हुआ था। गुरुवार को घोषित आंकड़ों के अनुसार साल की पहली तीमाही में जर्मनी के जीडीपी की ०.३ प्रतिशत गिरावट हुई। इससे पहले वर्ष २०२२ की चौथी तीमाही में जर्मनी का ‘जीडीपी’ ०.५ प्रतिशत फिसला था।

कुछ दिन पहले जर्मनी के ‘फेडरल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस’ ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था पर कुल २.३७ ट्रिलियन यूरो कर्ज का बोजा बना है। जर्मनी पर कर्ज के बोजे की मात्रा बढ़कर ६६ प्रतिशत तक जा पहुंची हैं। जब भी कभी कोई अर्थव्यवस्था लगातार दो तीमाहियों में नकारात्मक विकासदर दर्ज करती हैं, तब यही समझा जाता है कि, वह मंदी के भंवर में फंसी है। 

जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर निर्भर हैं। लेकिन, कोरोना के शुरू होने के साथ ही इस देश की निर्यात में बड़ी गिरावट हुई। अभी भी अपना देश कोरोना के झटके से बाहर नहीं निकल सका हैं, ऐसा दावा जर्मन विश्लेषक कर रहे हैं। इसी बीच रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से जर्मनी की ईंधन आपूर्ति बाधित हुई हैं और इससे जर्मन अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा हैं। इस वजह से जर्मनी में महंगाई भी उछाल पर हैं और आम जनता काफी परेशान हुई हैं। इस महंगाई की वजह से ज़रूरी सामान के इस्तेमाल में १.२ प्रतिशत गिरावट हुई है।

इसके साथ ही कच्चे सामान की किल्लत और कामगारों की उपलब्धता में बाधाएं निर्माण होने की वजह से जर्मनी के उत्पादन क्षेत्र भी बाधित हुआ हैं। कोरोना से पहले भी जर्मन अर्थव्यवस्था पर संकट मंड़रा रहा था। लेकिन, कोरोना के दौर में इसमें बढ़ोतरी हुई और रशिया-यूक्रेन युद्ध ने जर्मनी की मुश्किलें बढ़ाई होने का दावा किया जा रहा है।

इसी बीच, जर्मनी यूरोपिय महासंघ की प्रमुख अर्थव्यवस्था होने की वजह से इसके आर्थिक मंदी, कर्ज का बोजा और इसके परिणाम यूरोपिय अर्थव्यवस्था की चिंता बढ़ाएंगे।

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