युक्रैन युद्ध के कारण जर्मनी की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हुई – वित्तमंत्री लिंडन का दावा

बर्लिन/मॉस्को – युक्रैन युद्ध के कारण जर्मनी समेत सभी राष्ट्रों की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हो रही है। ईंधन आयात के अधिक रक्म अदा करनी पड़ रही है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की भरपाई संभव नहीं है’, ऐसा दावा जर्मनी के वित्तमंत्री क्रिस्तियन लिंडनर ने किया। लिंडनर के वक्तव्य की वजह से पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा रशिया पर लगाए हुए प्रतिबंधों का फटका युरोपिय राष्ट्रों पर ही बड़े पैमाने पर पड़ने के दावे ज़ोर पकड़ रहे है।

ukraine-war-german-economy-1पश्चिमी राष्ट्रों ने रशिया पर लगाए हुए प्रतिबंधों की वजह से ईंधन समेत कई जीवनावश्यक चीज़े तथा कच्चे माल की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसलिए युरोपिय राष्ट्रों में भीषण महंगाई बढ़ी है और आघाडी के राष्ट्रों ने ’इमर्जन्सी प्लैन्स’ लागू किए हैं।  जर्मनी एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे आघाडी के राष्ट्रों ने अपने उद्योगक्षेत्र को ईंधन के इस्तेमाल में कटौती करने के तथा समय पड़ने पर कारखाने बंद रखने के निर्देश जारी किए हैं।

रशियन ईंधन की आपूर्ति रुक जाए तो जर्मन उदोयगक्षेत्र ढह जाएगा, ऐसा इशारा ‘फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्रिज्’ नामक आघाडी गुट ने दिया है। इस पृष्ठभूमि पर जर्मन वित्तमंत्री ने राष्ट्र की आर्थिक स्थिति के बारे में कही हुई बात ध्यान आकर्षित करती है। महंगाई एवं मंद पड़े आर्थिक विकास के कारण जर्मन अर्थव्यवस्था की स्थिति फिलहाल चिन्ताजनक है, ऐसा वित्तमंत्री लिंडनर ने कहा है। मंदी का धोखा टालने के लिए जर्मन सरकार हर संभव उपाय कर रही है, ऐसा दावा उन्होंने किया।

इन उपायों के एक भाग के तौर पर जर्मन सरकार ने देश में कार्यरत दो आघाडी की रशियान इंधन कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करने का प्रस्ताव रखा है। ’गाज़प्रोम जर्मनिया’ एवं ’रोज़नेफ्ट डॉईशलैंड’ नामक इन कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करने के लिए जर्मन सरकार ने मंज़ूरी दी है, यह दावा ’हैंडस्ब्लैट’ नामक दैनिक ने किया है। ’गाज़प्रोम जर्मनिया’ कंपनी पर जर्मनी में उनकी संपत्ति की बिक्री करने के लिए दबाव डाला जा रहा है, ऐसा जर्मन दैनिक के अपनी खबर में कहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.