कम से कम सीमित समय के लिए इस्लामिक देश इस्रायल से रिश्ते तोड़ दे – ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु आयातुल्ला खामेनी का आवाहन

तेहरान – गाजा पर हमला करके पैलेस्टिनी जनता की मौत का कारण बने इस्रायल का कुछ इस्लामिक देशों ने कड़ा निषेध किया। लेकिन, कुछ देशों ने अभी तक गाजा पर हमला करने पर इस्रायल की आलोचना नहीं की है। इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। इस्रायल के साथ राजनीतिक ताल्लुकात रखने वाले देश कम से कम जब तक गाजा पर हमले हो रहे हैं तब तक यह ताल्लुकात तोड़ दे। ईंधन और अन्य सामान की आपूर्ति इस्रायल को न करें, ऐसी मांग ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरू आयातुल्ला खामेनी ने की है। साथ ही गाजा के युद्ध में इस्रायल को पराजित किए बिना नहीं रहेंगे, ऐसा दावा भी खामेनी ने किया है।

ईरान में इस्रायल के विरोध में जगह जगह पर जमकर प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि पर ईरान की राजनीतिक व्यवस्था के अनुसार इस देश के सर्वोच्च पद संभाल रहे आयातुल्लाह खामेनी ने इस्रायल की कड़ी आलोचना की। इस्रायल के गाजा पर हो रहे हमलों में आम नागरिक मारे जा रहे हैं। कम से कम सीमित समय के लिए इस्लामिक देश इस्रायल से रिश्ते तोड़ दे - ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु आयातुल्ला खामेनी का आवाहनफिर भी अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी के नेता इस्रायल के पीछे ड़टकर खड़े हो रहे हैं, ऐसा आरोप खामेनी ने लगाया। साथ ही कुछ इस्लामिक देशों ने इस्रायल के गाजा पर हो रहे हमलों पर अभी तक निषेध दर्ज़ नहीं किया है, यह कहकर इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते, ऐसा बयान खामेनी ने किया है।

इस्रायल के साथ राजनीति ताल्लुकात रखने वाले देश गाजा पर जब तक हमले होंगे तब तक यह संबंध तोड़ दे। इस्रायल को ईंधन एवं अन्य ज़रूरी सामान की आपूर्ति न करें, ऐसा आवाहन करके खामेनी ने खाड़ी के देशों पर दबाव बनाने की कोशिश की है। ईरान के नेताओं ने पहले ही अरब लीग और ओआईसी की बैठक में इस्रायल का बहिष्कार करने की मांग उठायी थी। लेकिन, ईरान की इस मांग पर प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई थी। इसके बाद आयातुल्लाह खामेनी ने इस्लामिक देशों को इस्रायल के संबंध तोड़ने के लिए फिर से कहा है।

इसी बीच, ७ अक्टूबर के दिन हमास के आतंकवादी हमले होने के बाद इस्रायल ने गाजा पर जोरदार हवाई हमला करना शुरू किया। हमास के हमले का स्वागत कर रहे ईरान ने इस युद्ध में हमास के समर्थन में उतरने की धमकी दी। इसके बाद इस्रायल की सेना ने गाजा में घुसकर कार्रवाई करने की तैयारी करने बाद भी ईरान ने यह इशारा दिया था कि, इस्रायली सेना ने गाजा में कदम रखा तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन, इस्रायल ने कार्रवाई शुरू करने के बाद भी ईरान ने इस युद्ध से दूर रहने का निर्णय किया था। कुछ दिन पहले ईरान के नेताओं ने यह भी दावा किया था कि, इस्रायल विरोधी युद्ध में हमास के पक्ष में नहीं उतरेंगे। ईरान की इस भूमिका पर कई लोगों ने सवाल किए थे।

पहले के दिनों में इस्रायल के विरोध में डिंगे हाकने वाला ईरान प्रत्यक्ष स्थिति उभरने के बाद पीछे हट रहा है, ऐसी आलोचना भी हो रही है। सौदी अरब, यूएई और खाड़ी के अन्य देश भी इस्रायल के विरोध में ईरान कर रहे मांगों को अनदेखा करने लगे हैं। इसके अलावा पहले के दिनों में पैलेस्टिन के मसले का हल निकालने के लिए इस्रायल विरोधी युद्ध के अलावा अन्य विकल्प नहीं है, ऐसे दावे कर रहा ईरान अब कम से कम सीमित समय के लिए इस्लामिक देश इस्रायल के ताल्लुकात तोड़ दे, ऐसी मांग करने लगा है। यह ईरान को खाड़ी देशों से उम्मीद के अनुसार रिस्पान्स प्राप्त न होने की बात दर्शाता है।

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