पहली बार ‘डब्ल्यूटीओ’ की असफलता के लिए भारत को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया- वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की उपहासात्मक प्रतिक्रिया

ब्यूनस आयरिस: “डब्ल्यूटीओ’ की बैठक असफल होने के लिए भारत को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। ‘डब्ल्यूटीओ’ के हाल ही के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है’, ऐसी उपहासात्मक प्रतिक्रिया भारत की वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने दी है। ‘हम खुले मन से यहाँ आए थे, लेकिन कुछ सदस्य देशों की अड़ियल भूमिका की वजह से कोई भी निर्णय नहीं हो सका’, ऐसा ताना भी वाणिज्य मंत्री प्रभु ने मारा है। वाणिज्य मंत्री प्रभु ने अप्रत्यक्षरूप से अमरिका को यह प्रतिक्रिया दी है, ऐसा दिखाई दे रहा है। लेकिन अमरिका ने यह परिषद सफल होने का दावा किया है।

डब्ल्यूटीओ

अर्जेंटीना के ‘ब्यूनस आयरिस’ में वैश्विक व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ११ वी मंत्री स्तर की बैठक हाल ही में पूरी हुई है। इस बैठक में विकसित और विकसनशील देशों के बिच तीव्र मतभेद फिर एक बार दुनिया के सामने आए हैं। ‘सब्सिडी’ के मुद्दे पर हमेशा के लिए उपाय निकालने का आश्वासन देने वाली अमरिका और अन्य संपन्न देश अपने वादे से मुकर गए हैं। इस वजह से विकसित राष्ट्र और विकसनशील देशों के बिच जोरदार तू तू मै मै हुई। भारत ने आश्वासन से मुकरने वाले अमरिका का जोरदार विरोध किया। भारत की भूमिका को चीन ने समर्थन दिया।

‘डब्ल्यूटीओ’ के सदस्य देशों के बिच व्यापार सुलभ हो, इसलिए ‘ट्रेड फैसिलिशन अग्रीमेंट’ (टीएफए) लागू किया जाए, इसके लिए विकसित देश आग्रही हैं। लेकिन उसके पहले विकसनशील देश अनाज पर की सब्सिडी कम करे और १९८६ से ८८ साल में प्रत्येक देश में किए जाने वाले अनाज के उत्पाद की सिर्फ १० प्रतिशत ही सब्सिडी दी जाए, ऐसी दौलतमंद देशों की मांग है। यह ‘डब्ल्यूटीओ’ का नियम है और उसका पालन होना चाहिए, ऐसी मांग अमरिका कर रहा है। अन्य दौलतमंद देश भी इस मोर्चे पर अमरिका का पक्ष ले रहे हैं। लेकिन भारत और इसका विरोध कर रहे हैं।

इस बैठक की शुरुआत में ही गरीबों के लिए अनाज की आपूर्ति के मामले में उपाय अमरिका को मान्य नहीं है, ऐसा अमरिका के वाणिज्य प्रतिनिधि शेरोन लैरिस्टोन ने घोषित किया था। उसी समय यह बैठक असफल होने वाली है, यह स्पष्ट हुआ था। अपने देश की गरीब जनता को छूट की दरों में अनाज की आपूर्ति करने के बारे में समझौता नहीं किया जा सकता, ऐसी स्पष्ट भूमिका भारत, चीन, ब्राझिल इन देशों ने इस बैठक में भी स्वीकार की थी। इस बात को लेकर ‘डब्ल्यूटीओ’ की हर बैठक में विकसित और विकसनशील देशों के बिच विवाद होता है। भारत इस बारे में अत्यंत आग्रही भूमिका अपनाकर अमरिका के साथ सभी विकसित देशों का कड़ा विरोध कर रहा है। इस वजह से ‘टीएफए’ भारत के विरोध की वजह से आगे न बढने की टीका ‘डब्ल्यूटीओ’ की हर बैठक के बाद की जाती है।

लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, ऐसे उपहासात्मक शब्दों में भारत के वाणिज्य मंत्री ने इसकी याद दिलाई है। उसी दौरान, अमरिका और अन्य देश इस बारे में अड़ियल भूमिका छोड़ने के लिए राजी नहीं हैं, ऐसा कहकर वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने भारत की भूमिका रखी है।

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