भारत और फ्रान्स के बीच ‘राफ़ेल’ लड़ाकू विमानों का सौदा संपन्न

नवी दिल्ली, दि. २३ (पीटीआय) – लंबे समय से जारी बातचीत के बाद आख़िरकार भारत और फ्रान्स के बीच ‘राफ़ेल’ लड़ाकू विमानों का सौदा संपन्न हुआ है| भारत के दौरे पर आए फ्रान्स के रक्षामंत्री ‘जीन-व्येस ली द्रियान’ और भारत के संरक्षणमंत्री मनोहर पर्रीकर ने लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे पर दस्तख़त किये हैं| इससे ‘डॅसॉल्ट’ इस फ्रेंच कंपनी के हथियारो से लैस तक़रीबन ३६ लड़ाकू विमान भारतीय वायूसेना के काफिले में दाख़िल होनेवाले हैं और इस वजह से वायुसेना की क्षमता बढनेवाली है| लगभग ५९ हज़ार करोड़ रुपये के इस रक्षाविषयक सौदे के विश्‍व भर में चर्चे हो रहे हैं|

‘राफ़ेल’सन २०१२ में भारत ने ‘डॅसल्ट’ कंपनी को १२६ ‘राफ़ेल’ लड़ाकू विमानों का काँट्रॅक्ट दिया था| लेकिन इस विमानों की क़ीमत और अन्य तक़नीकी मुद्दों पर भारत और फ्रान्स का एकमत नहीं हो रहा था| इस कारण यह सौदा लंबे समय से रुका हुआ था| ड़ेढ साल पहले भारत के प्रधानमंत्री के अपने फ्रान्स दौरे में इस पुराने सौदे को खारिज़ करते हुए, ३६ ‘राफ़ेल’ लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए नये सिरे से बातचीत शुरू हुई थी| यह चर्चा लंबे समय तक प्रलंबित होने के कारण, ‘क्या इस बार भी यह समझौता ख़ारिज़ होगा’ ऐसी आशंका जताई जा रही थी| लेकिन अब यह समझौता संपन्न हुआ है और अगले १६ महिनों के भीतर पहला ‘राफ़ेल’ लड़ाकू विमान भारत में दाखिल होगा| सन २०१९ तक सभी ३६ ‘राफ़ेल’ लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना को सौंपे जायेंगे|

इन लड़ाकू विमानों के पुर्जे भारत में तैयार किए जानेवाले हैं| इस सौदे की ५० प्रतिशत रक्कम का, विमानों के पुर्जे तैयार करने के लिए भारत में निवेश करने की तैयारी फ्रान्स ने दिखाई है| दोनों देशों की सरकारों में होनेवाले इस समझौते में १५ प्रतिशत रक़म ऍड्वान्स देने की फ़्रान्स की माँग का भारत ने स्वीकार किया है| ये लड़ाकू विमान आधुनिक हथियारों से लैस करके भारत को सौपे जायेंगे| इनमें ‘मेटिऑर’ प्रक्षेपास्त्र का समावेश है और यह प्रक्षेपास्त्र तक़रीबन १५० किलोमीटर की दूरी पर के लक्ष्य को अचूकता से भेद सकते है| एशिया के दुसरे किसी भी देश के पास इस प्रकार के प्रक्षेपास्र नहीं है, ऐसा दावा किया जा रहा है|

पिछले कुछ सालों से, चीन ने अपनी वायुसेना की क्षमता पर विशेष ध्यान दिया है| चीन पाँचवीं पीढ़ी के अतिप्रगत लड़ाकू विमानों का निर्माण करने में क़ामयाब हुआ है, ऐसी खबरे आ रही हैं| इस वजह से भारत की सुरक्षा के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी हुई हैं, ऐसा सामने आ रहा है| इस पृष्ठभूमि पर, ‘राफ़ेल’ जैसे विमानों की भारत को बेहद ज़रूरत थी| रशिया से ख़रीदे गये ‘मिग’ और ‘सुखोई’ विमान भारत की वायुसेना के पास हैं| इनमें से कुछ विमानों का स्क्वाड्रन जल्द ही सेवा से निवृत्त होनेवाला है| इन हालातों में भारतीय वायुसेना पर का तनाव बढ रहा है, ऐसा दावा किया जा रहा था|

वायुसेना में ‘राफ़ेल’ के दाखिल होने से वायुसेना को ज़रूरी मारकक्षमता हासिल होगी| लेकिन यह लड़ाकू विमान वायुसेना की सभी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफ़ी नहीं हैं| भारत को अपनी वायुसेना को अद्ययावत बनाने के लिए और प्रयास करने की ज़रूरत है, ऐसा जानकारों का कहना है| लेकिन ‘राफ़ेल’ विमान के समावेश से वायुसेना का सामर्थ्य बढा है, ऐसा कहते हुए लष्करी तज्ञ इस सौदे पर संतोष जता रहे हैं|

– विश्‍व के सर्वाधिक प्रगत लड़ाकू विमानों में से एक
– अगले पाच सालों में ३६ विमान भारतीय वायुसेना के काफ़िले में
– ‘बियाँड व्हिज्युअल रेंज’ टेक्नॉलॉजी से लैस ‘मेटिऑर’ प्रक्षेपास्र सहित, ‘स्काल्प’ इस लंबी पहुँचवाले प्रक्षेपास्त्र से लैस
– ‘ब्रह्मोस’ प्रक्षेपास्त्र तैनात हो सकता है
– आधुनिक ‘ऍक्टिव्ह इलेक्ट्रॉनिकली स्कॅन्ड् ऍरे’ यह रडार यंत्रणा शामिल
– भारत की सरहद से पाकिस्तान पर हमला करने की क्षमता
– बिना रुके ७८० से १०५५ किलोमीटर की दूरी तय कर सकेगा
– हवा में ही इंधन भरने की क्षमता

 

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