ईंधन क्षेत्र मे ३०० अब्ज डॉलर्स के निवेश का मौका देंगे – केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री की घोषणा

नई दिल्ली: आनेवाले १० वर्षों मे भारत अपने ‘हायड्रोकार्बन’ क्षेत्र मे लगभग ३०० अब्ज डॉलर के निवेश के अवसर उपलब्ध कराएगा। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं नैसर्गिक वायू मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह घोषणा की है। आनेवाले समय मे देश के ईंधन की बढ़ती मांग ध्यान मे रखकर सरकार इस अग्रणी स्तर पर काम कर रही है। भारत ईंधन के आयात पर बड़ी तादाद मे निर्भर होकर, यह आलंबन कम करने के लिए सरकार योजना बद्ध प्रयत्न कर रही है, ऐसी जानकारी उस समय पेट्रोलियम मंत्री ने दी है।

ईंधन क्षेत्रमार्च २०१५ तक भारत की देश अंतर्गत मांग के ७० प्रतिशत ईंधन आयात कर रहे कर रहा था। ईंधन के आयात पर यह आलंबन कम करके सन २०२१-२२ वर्ष तक यह प्रमाण ६७ प्रतिशत तक लाने का उद्देश्य सरकार के सामने है। इसके लिए ईंधन के देशांतर्गत उत्पादन बढ़ाने के लिए योजना बद्ध प्रयत्न हाथ लिए गए है। इनमे ‘हायड्रोकार्बन’ क्षेत्र मे लगभग ३०० अब्ज डॉलर्स इतनी सीधी विदेशी निवेश के अवसर विदेशी निवेश कारों को उपलब्ध किए जाएंगे, ऐसा पेट्रोलियम मंत्री ने स्पष्ट किया है। इसकी वजह से देश के तेल शुद्धीकरण प्रकल्प तथा उनसे संबंधित अन्य प्रकल्प अधिक जोरों से आगे बढ़ेंगे एवं ईंधन की आयात कम होगी, ऐसा विश्वास पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने व्यक्त किया है।

फिलहाल भारत के पास इस वर्ष के आखिर तक २३.५ करोड़ मेट्रिक टन इतनी तादाद मे ईंधन शुद्धिकरण करने की क्षमता है। यह क्षमता बढ़ाते हुए सन २०४० तक ५० करोड़ मेट्रिक टन पर ले जाने का उद्देश्य सामने रखने की बात प्रधान ने कही है। इसके साथ पेट्रोलियम मंत्री ने एक महत्वपूर्ण बात का खुलासा किया है। सऊदी के ईंधन कंपनी ‘अरमॅको’ भारत के ईंधन क्षेत्र मे लगभग ३०० अब्ज डॉलर्स का निवेश करने की बात नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहीं थी। पर यह घोषणा गलतफहमी से हुई है और सऊदी भारत मे नहीं बल्कि अपने क्षेत्र मे ३०० अब्ज डॉलर्स  का निवेश करने की बात धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट की है।

इसके साथ ईंधन के आयात मे कटौती करने का भी प्रयत्न शुरू है और इस संदर्भ मे एक अभ्यासगट की स्थापना की गई है, ऐसी जानकारी पेट्रोलियम मंत्रीने दी है। यह अभ्यासगट केंद्र सरकार को ईंधन के आयात मे १० फीसदी कमी करने के लिए आवश्यक सिफारिश देगी, ऐसा विश्वास प्रधान ने व्यक्त किया है।

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