३२. इस्रायल का ‘पहला राजा’

लगातार चल रहीं लड़ाइयों एवं आक्रमणों से ऊब चुके ज्यूधर्मियों को समर्थ केंद्रीय नेतृत्व की ज़रूरत महसूस होने के कारण, ‘राजा को चुनना चाहिए’ यह अब तय हो चुका था और उसके लिए अनुकूल ऐसा संकेत भी ईश्‍वर ने दिया था| लेकिन यह राजा होगा कौन, इसके बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी|

इसी बीच – ‘इस्रायल का पहला नियत राजा, यह स्वयं होकर तुमसे आकर मिलेगा’ ऐसा ईश्‍वर ने सॅम्युएल को दृष्टान्त दिया था|

इसी दौरान बेंजामिन की लड़ाक़ू ज्ञाति में ‘किश’ नामक एक ज्यूधर्मीय रहता था| उसे ‘सौल’ नाम का एक बेटा था| यह सौल बहुत ही शान्त, धीरगंभीर, उस ‘एक-ईश्‍वर’ को माननेवाला, नीतिनियमों से चलनेवाला, ज्यूधर्मतत्त्वों का अचूकतापूर्वक पालन करनेवाला ऐसा लंबे कद का, हट्टाकट्टा युवा था| एक बार किश के गधों के झुँड़ से कुछ गधे जब चरने के लिए गये थे, तब रास्ता भटककर कहीं और ही चले गये और शाम को नहीं लौटे| तब किश ने सौल को एक नौकर के साथ गधों को ढूँढ़ने भेजा| बहुत भटकने के बाद भी गधे नहीं मिले| तब निरुपायित होकर वापस लौटें, ऐसा सौल ने सोचा|

लेकिन तब तक वे एफ़्रैम पर्वत के परिसर में आये थे| सौल का वापस लौटने का मंतव्य सुनकर उसके नौकर ने एक सुझाव दिया कि ‘इस परिसर में ज्यूधर्मियों का एक महान द्रष्टा नेता रहता है, ऐसा मैंने सुना है| हम इतने नज़दीक आये ही हैं, तो क्यों न उसे पूछा जाये? शायद वह हमारा कुछ मार्गदर्शन कर सकें|’ सौल इस बात के लिए राज़ी हो गया|

वह महान द्रष्टा नेता यानी सॅम्युएल ही था और उसे ईश्‍वर का ऊपर उल्लेखित दृष्टांत एक दिन पहले ही हुआ था| इस कारण से उसने भी सौल के स्वागत की बड़ी तैयारी की थी| शानदार दावत रखकर उसने ज्यूधर्मियों में से कुछ सम्माननीय व्यक्तियों को उस दिन दावत का लाभ लेने के लिए आमंत्रित किया था|

सॅम्युएल की इस्रायल के पहले राजा सौल के साथ पहली मुलाक़ात

यहाँ सौल सॅम्युएल की नगरी में आया सही, लेकिन यह ‘महान द्रष्टा नेता’ मिलेगा कहाँ पर, यह उसे मालूम नहीं था| अतः उसने रास्ते पर चलते हुए एक ज्यूधर्मीय से सॅम्युएल के बारे में पूछा| ईश्‍वरी योजना कुछ इस प्रकार थी कि जिस श़ख्स के पास सौल ने सॅम्युएल के बारे में पूछताछ की, वह व्यक्ति स्वयं ‘सॅम्युएल’ ही था!

बाहरगाँव से आया एक व्यक्ति ठीक अपने बारे में ही पूछ रहा है, यह जानने के बाद सॅम्युएल को यक़ीन हो गया कि ‘यही है वह’ ज्यूधर्मियों का नियत राजा, जिसका वह बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था!

प्राथमिक पूछताछ होने के बाद सॅम्युएल ने सौल को अपने घर आने का आमंत्रण दिया और दावत का लाभ उठाने की विनति की| उसीके साथ – ‘तुम्हारे खोये हुए गधों की चिन्ता मत करो; वे किसीको मिले हैं, जो कल तुम्हारे घर जाने के रास्ते पर तुम्हें मिलेगा और उनके बारे में बतायेगा’ ऐसा भविष्यकथन भी किया|

लेकिन जब सॅम्युएल ने सौल को निर्धारित ईश्‍वरी योजना के बारे में अप्रत्यक्ष रूप में संकेत दिए, तब स्वभाव से बहुत ही विनयशील होनेवाला सौल – ‘मैं कहाँ इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी उठा पाऊँगा’ ऐसा कहते हुए इस ज़िम्मेदारी से पीछा छुड़ाना चाहता था| मग़र फ़िर भी सॅम्युएल ने – ‘ईश्‍वर की यही इच्छा है’ ऐसा उसका प्रबोधन करके उसके मन को मोड़ दिया और वह सौल को अपने घर ले आया|

घर आने पर सॅम्युएल ने अपने अन्य आमंत्रित अतिथियों से सौल का परिचय करा दिया| घर आते ही सौल के कुल मिलाकर भारी-भरक़म, लेकिन उतने ही आदबशीर व्यक्तित्व का प्रभाव सबपर पड़ा ही था| इस कारण सबने खुशी खुशी उसका स्वागत कर, दावत का आनंद उठाया| उस रात सौल अपने नौकर के साथ सॅम्युएल के घर में ही ठहरा था|

ज्यूधर्मियों के प्रमुख धर्मोपदेशक के नाते सॅम्युएल ने सौल के मस्तक पर सुगंधी तेल आदि पवित्र द्रव्यों से अभिषेक किया।

दूसरे दिन भोर को जल्दी उठकर सॅम्युएल ने सौल को बिदा किया| वह सौल को उनके शहर की सीमा तक छोड़ने आया था| वहॉं उसने सौल के नौकर को आगे जाकर एक विशिष्ट स्थान पर अपने मालिक की प्रतीक्षा करने के लिए कहा| उसके बाद कुछ विशेष विधि करके उसने सौल को सुगंधित तेल आदि पूजनद्रव्यों का समंत्रक अभिषेक किया और ‘ईश्‍वर ने तुम्हें, उसकी सन्तानें होनेवाले इस्रायली लोगों का प्रमुखपद सँभालने की ज़िम्मेदारी सौंपी है’ ऐसा ईश्‍वर का सन्देश उसतक पहुँचाया| साथ ही, सौल के जीवन में घटित कुछ घटनाएँ अचूकता से बताकर, अगले कुछ दिनों का भविष्यकथन भी किया| उसीके साथ, उसके पिता किस तरह उसकी चिन्ता में डूबकर उसके लौटने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, इस बारे में और उसके खोये हुए गधे कहाँ और कब मिलेंगे, उस बारे में भी बताया| उसीके साथ, ‘तुम्हारे घर के रास्ते पर तुम्हें ईश्‍वर के दूतों का (प्रेषितों का) एक संघ ‘जिबेह-एलोहिम’ टीले पर से नीचे उतरते हुए दिखायी देगा| उनसे तुम्हारी मुलाक़ात होने के बाद तुम्हारे शरीर में नवचेतना जागृत होकर तुम भी ईश्‍वर के दूत बन जाओगे’ ऐसी भविष्यवाणी बतायी|

सारी विधियाँ होने के बाद जब सौल आगे जाने निकला, तब एक नयी अंतःप्रेरणा उसका उत्साह बढ़ा रही थी| उसके सर्वांग में एक अद्भुत ईश्‍वरीय शक्ति का संचार हो रहा है, ऐसा एहसास उसे पहले से ही हो रहा था| मार्गक्रमणा करते हुए, सॅम्युएल ने उसके बारे में जो जो भविष्यवाणी बतायी थी, वे सारे भविष्य सच होते उसे दिखायी दे रहे थे| ख़ासकर सॅम्युएल के द्वारा बताये गयेनुसार, प्रेषितों के उस गुट के साथ उसकी मुलाक़ात हो जाने पर तो, अपने शरीर में पूर्णतः ईश्‍वरी शक्ति का संचार होता हुआ वह अनुभव कर रहा था|

उस प्रेषितों के गुट के साथ वह जैसे जैसे अपने घर के नज़दीक आता गया, वैसे वैसे आसपास के गाँवों के, उसे पहचाननेवाले कई लोग उसकी ओर हैरानी से देख रहे थे| लेकिन सॅम्युएल ने उसे बतौर ‘इस्रायल का राजा’ अभिषेक किया होने की बात सौलने फ़िलहाल किसी को नहीं बतायी, क्योंकि कोई भी उसकी बात का विश्‍वास नहीं करता|

वह काम सॅम्युएल ने ही किया| उसने सीधे इस्रायल की सभी ज्ञातियों में से अधिक से अधिक प्रतिनिधियों को मिझपाह इस स्थान पर बुलाया और ‘सौल इस्रायल का नया राजा है’ यह घोषित किया|

समर्थ केंद्रीय नेतृत्व की ज़रूरत ज्यूधर्मियों को सता ही रही थी; साथ ही, इस्रायली लोगों का पहला राजा चुनने का लिए ईश्‍वर से अनुकूल संकेत प्राप्त हुआ ही था और सॅम्युएल पर सभी का पक्का भरोसा था| फ़िर भी शक़ की गुंजाईश ही न हों इसलिए सॅम्युएल ने, अब तक कोई भी महत्त्वपूर्ण फ़ैसला करते समय ज्यूधर्मियों ने जो प्रथा अपनायी थी, उसीका पालन किया| उसने ईश्‍वर के सामने चिठ्ठियाँ लिखकर रखने पर, उनमें से राजा का चयन करने के लिए इस्रायल की सभी ज्ञातियों में से पहले ‘बेंजामिन ज्ञाति’, फ़िर बेंजामिन ज्ञाति के सभी घरों में से ‘किश का घर’ और फ़िर किश के बेटों में से ‘सौल’, ऐसे निर्णय सामने आये| ‘सौल’ यह इस्रायली लोगों का पहला राजा बन चुका था|

सौल के भारी-भरक़म, मग़र फ़िर भी धीरोदात्त, विनयशील व्यक्तित्त्व से सभी उपस्थित इस्रायली पहले से ही प्रभावित हो चुके थे| उसीमें ईश्‍वरी संकेत ने इस निर्णय पर शिक्कामोर्तब किया| सभी ने अतीव आनंद से सौल की जयजयकार की|

‘राजा चिरायू हों’ यह घोषणा ज्यूधर्मियों के इतिहास में पहली ही बार गुँज रही थी!(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

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