४३. ‘दूसरे होली टेंपल’ का निर्माण

पर्शियन सम्राट सायरस (द्वितीय) ने हालॉंकि ज्यूधर्मियों को ज्युडाह प्रान्त में लौटने की अनुमति दे दी थी, लेकिन सभी नहीं लौटे| क्योंकि वापसी के प्रवास में भी दिक्कतें थीं और वहॉं पहुँचकर स्थायिक होने के बाद की मार्गक्रमणा भी सुकर नहीं थी|

साथ ही, कइयों ने कई साल जिगर के साथ हालातों से जूझकर बॅबिलॉन में अपना डेरा जमाया था और धीरे धीरे आर्थिकदृष्टि से भी उनका उत्कर्ष हो रहा था| इसके लिए कारणीभूत था, सायरस का उदारमतवादी रवैया| किसी भी प्रदेश को जीतने के बाद वहॉं के स्थानीय धर्म, रूढ़ि-परंपराएँ इनका खच्चीकरण न करते हुए, उल्टा उन्हें – पर्शियन साम्राज्य से निष्ठाएँ क़ायम रखने की शर्त पर – संपूर्ण अंतर्गत स्वायत्तता दी जाती थी| यहॉं तक कि सम्राट के हाथों भी यदि कोई गल्ती हो गयी, तो उससे भी जवाब मॉंग सकनेवाली न्यायव्यवस्था सायरस ने विकसित की थी| पर्शियन साम्राज्य यह उस ज़माने का सबसे बड़ा, मग़र फिर भी मानवता को तिलांजली न दिया हुआ साम्राज्य था, ऐसा मत कई अभ्यासकों ने व्यक्त किया है|

सायरस की इस नीति के कारण ही ज्यूधर्मियों ने बॅबिलॉन में अपने प्रार्थनास्थल आदि का निर्माण कर ज्यूधर्मियों की अलग समाजव्यवस्था का निर्माण किया था| ऐसे सभी ने बॅबिलॉन में ही रहना पसन्द किया|

सायरस ने इन बॅबिलॉन में ही रहे ज्यूधर्मियों को उनका धर्म, उनका टोराह क़ानून, उनके रस्मोरिवाज़ आदि का पालन करने की भी पूरी तरह सहूलियत दे दी थी| संभव है कि उनमें से कुछ लोगों ने शायद दूसरे स्थानीय धर्मों का स्वीकार किया भी हो, या फिर कुछ ज्यूधर्मियों ने ज्यूधर्म का त्याग न करते हुए भी, स्थानीय रस्मोरिवाज़, विभिन्नदेवतापूजन जैसी स्थानीय धार्मिक रूढ़ियों को भी अपनाया होगा; लेकिन उनमें से कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने ज्यूधर्मतत्त्वों से प्रतारणा न करते हुए, अपने ही ईश्‍वर के साथ निष्ठाएँ कायम रखके बॅबिलॉन में अपनी स्वतंत्र पहचान कायम रखी|

लेकिन लौटनेवालों में भी कइयों की, जेरुसलेम छोड़ने के बाद की तीसरी-चौथी पीढ़ि बॅबिलॉन में ही पैदा हुई थी, जिन्हें ज्यूधर्मियों का यह इतिहास केवल अपने बापदादाओं से सुनकर ही ज्ञात था| मग़र फिर भी ज्यूधर्मियों के लिए होनेवाला जेरुसलेम का महत्त्व उनके मन पर सुव्यवस्थित रूप में अंकित हुआ था| इस कारण, जेरुसलेम लौटने की कल्पना से एक अनामिक आनन्द से उनका मन भर गया था|

ये लोग ज्युडाह प्रान्त में लौटने की प्रक्रिया हालॉंकि अगले कई साल छोटी छोटी मात्रा में जारी रही, मग़र फिर भी उनमें से तीन बड़े समूह थोड़े थोड़े समय की अवकाश से लौटे होने की बात बतायी जाती है|

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सम्राट सायरस ने जेरुसलेम के पुनर्निर्माण में पहले से ही दिलचस्पी ली थी।

पहला समूह ‘जेरुब्बाबेल’ इस ज्यूधर्मीय नेता के नेतृत्व में लौटा| यह जेरुब्बाबेल राजा डेव्हिड के ही वंश का होकर, ज्युडाह प्रान्त का अख़िरी से पहले के राजा का – जेकोनियाह का पोता था| राजा सायरस ने उसे, पहले के ज्युडाह प्रान्त की जगह पर निर्माण किये गये ‘यहुद मेदिनाता’ प्रान्त के गव्हर्नर के रूप में नियुक्त किया| इसी के कार्यकाल में टेंपलनिर्माण का काम शुरू हुआ|

अगले दो बड़े समूह अगली सदी में लौट आये| इनमें से दूसरा समूह ‘एझरा’ नामक ज्यू धर्मोपदेशक एवं द्रष्टे भविष्यवेत्ता के नेतृत्व में लौटा| एझरा ने जेरुसलेम पहुँचने पर बहुत प्रबोधन कर, बॅबिलॉन से लौटनेवाले इन इस्रायली लोगों की मानसिकता को ‘उन सर्वोच्च एक-ईश्‍वर को ही मानने की और किसी भी हालात में टोराह का मनःपूर्वक पालन करने की’ कट्टर मानसिकता में परिवर्तित किया| इसके कुछ साल बाद तीसरा बड़ा समूह ‘नेहेमिया’ नामक नेता के साथ लौटा| नेहेमिया के कार्यकाल में जेरुसलेम की चारों ओर चहारदीवारी का निर्माण किया गया| लेकिन वह है आगे की बात|

फिलहाल तो, सायरसने हालॉंकि ज्यूधर्मियों का बॅबिलोनियनों ने भग्न किया हुआ ‘होली टेंपल’ पुनः बॉंधने की अनुमति दे दी थी, मग़र फिर भी उस काम में तुरन्त ही कुछ ख़ास प्रगति नहीं हो पायी| सायरस के अध्यादेश के बाद हालॉंकि इसवीसनपूर्व ५३८ में ही जेरुब्बाबेल के नेतृत्व में इस्रायली लोगों का पहला बड़ा समूह ज्युडाह प्रान्त में लौटा और टेंपल के निर्माण की भी शुरुआत हुई; मग़र फिर भी मूलभूत नींव डालना, नैवेद्य अर्पण करने की वेदी ऐसे कुछ चरणों के आगे काम की प्रगति नहीं हो पायी|

इसके मुख्य कारण यानी वहॉं के आसपास के प्रांत के निवासी होनेवालीं अन्य टोलियों का टेंपलनिर्माण को और ज्यूधर्मियों को होनेवाला विरोध; और सायरस के ही वहॉं पर नियुक्त अधिकारियों में से कुछ कट्टर ज्यूविरोधी अधिकारियों का दुर्भावनापूर्ण बर्ताव| इन अधिकारियों ने तो, सायरस को इस टेंपलनिर्माण के काम के सिलसिले में झूठमूट के तक़रारपत्र लिखकर काम रोकने की पुनः पुनः कोशिशें कीं| इस कारण काम बहुत ही धीमी गति से चालू था|

उसने रफ़्तार पकड़ी पूरे १६ साल के बाद! इन १६ वर्षों में काफ़ी कुछ घटित हुआ था| इ.स.पूर्व ५३० में सम्राट सायरस का निधन हुआ था;?वहीं, इ.स.पूर्व ५२२ में, सायरस के बाद सम्राट बन चुका उसका पुत्र – ‘कंबायसेस-२’ इजिप्त की मुहिम के दौरान अचानक कहीं ग़ायब हुआ था और उसका फ़ायदा उठाकर ‘बार्डिस’ नामक एक श़ख्स – वह कंबायसेस का भाई होने की बात बताकर गद्दी पर बैठा था| लेकिन वह झूठा होने की बात ज़ाहिर हो गयी| इस कारण कंबायसेस-२ के बेटे ने – ‘दारियस’ ने बग़ावत कर बार्डिस को मार दिया और वह खुद राजगद्दी पर बैठ गया|

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पुनर्निर्मित जेरुसलेम का चित्र

लेकिन दारियस ने ज्यूधर्मियों के एवं टेंपलनिर्माण के विरोध में होनेवाला सारा अपप्रचार खारिज़ कर दिया और टेंपल का निर्माण जल्द से जल्द कैसे पूरा होगा, इसपर ध्यान दिया| उसके बाद ही काम ने रफ़्तार पकड़ ली और दारियस के कार्यकाल के पहले छः सालों में ही यानी लगभग इसवीसनपूर्व ५१५ तक दूसरे ‘होली टेंपल’ का निर्माण पूरा भी हो गया!

उसके बाद के तक़रीबन पौने-दो सौ साल ज्यूधर्मियों के लिए अच्छे साबित हुए| नये ‘होली टेंपल’ का निर्माण हुए जेरुसलेम का भी विकास होता गया और यहुद प्रान्त में लौटे इस्रायली लोगों का भी| इस दौर में कुछ खास समस्याएँ उद्भवित नहीं हुईं|

एक बार केवल – पर्शियन सम्राट के वज़ीर ने – ‘हमान’ ने राज्य के सभी ज्यूधर्मियों को एक ही दिन में ख़त्म करने का षड्यन्त्र रचा था| यह हमान आमलेकी टोली का होकर, इस्रायली राजा सौल ने कॅनान प्रान्त पर कब्ज़ा करते हुए मार डाले आमलेकी राजा अगाग का वंशज था| इस कारण वह इस्रायलियों से बदला लेने का मौका ही ढूँढ़ रहा था| राजा के कान भरकर उसने राज्य के सभी ज्यूधर्मियों को मार डालने का दिन – हिब्रू कॅलेंडर के ‘आदर’ महीने का १३वॉं दिन तय किया| लेकिन राजा की एक रानी ‘ईश्थर’ ज्यूधर्मीय थी| उसने इस षड्यन्त्र की पोल खोल दी और हनान को मृत्युदंड दिया गया| ईश्‍वर ने ज्यूधर्मियों की रक्षा की होने की इस घटना की स्मृति में हिब्रू कॅलेंडर के ‘आदर’ महीने के १४वें और १५वें दिन ज्यूधर्मियों का ‘पुरिम’ त्यौहार मनाया जाता है|

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बॅबिलॉनस्थित ज्यूधर्मियों को ख़त्म करने निकले हनान के षड्यन्त्र की रानी ईश्थर ने पोल खोल दी।

हालॉंकि ज्युडाह प्रान्तस्थित इस्रायली लोगों के जीवन पर ठेंठ असर करनेवालीं घटनाएँ इस दौर में घटित नहीं हुई, मग़र फिर भी बाहर की दुनिया में जो घटनाएँ घटित हो रही थीं, उसका कुछ दशकों बाद इस ज्युडाह प्रान्तस्थित इस्रायली लोगों पर यक़ीनन ही असर होनेवाला था|(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

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