विदेशमंत्री जयशंकर न्युज़ीलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर

ऑकलैण्ड – विदेशमंत्री एस.जयशंकर न्युज़िलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर रवाना हुए हैं। इस दौरे के पहले चरण में विदेशमंत्री जयशंकर न्युज़िलैण्ड के प्रधानमंत्री जेसिंडा ऑर्डन के साथ चर्चा करेंगे। इसके बाद वे ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में काफी बड़ी उथल-पुथल जारी है और इस दौरान विदेशमंत्री का यह सात दिनों का दौरा राजनीतिक और सामरिक नज़रिये से काफी अहम साबित होता है। ऑस्ट्रेलिया ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी हरकतों के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाकर चीन के खिलाफ हर स्तर पर सहयोग बढ़ाने का रणनीतिक निर्णय किया है। इस वजह से भारत के विदेशमंत्री के इस दौरे की अहमियत अधिक बढ़ती हुई दिख रही है।

विदेशमंत्री जयशंकरविदेशमंत्री जयशंकर न्युज़िलैण्ड के ऑकलैण्ड में उतरे हैं और वहां पर उन्होंने भारतीय वंश के न्युज़िलैण्ड के मंत्री से मुलाकात करने का वृत्त है। साथ ही न्युज़िलैण्ड के सांसद और उद्योगक्षेत्र के मान्यवरों के साथ भी विदेशमंत्री जयशंकर चर्चा करेंगे। इसके बाद जयशंकर का ऑस्ट्रेलिया दौरा शुरू होगा। वे राजधानी कैनबेरा और सिडनी जाएँगे। विदेशमंत्री जयसंकर का यह दूसरा ऑस्ट्रेलिया है। इससे पहले क्वाड की बैठक के लिए वे फ़रवरी में ऑस्ट्रेलिया गए थे। इस बार ऑस्ट्रेलिया की विदेशमंत्री पेनी वाँग से जयशंकर चर्चा करेंगे। दोनों देशों के सहयोग के विषय पर होनेवाली इस चर्चा में आनेवाले दौर के सहयोग का प्लान रखा जाएगा, यह माना जा रहा है।

ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री रिचर्ड मार्लेस के साथ भी विदेशमंत्री जयशंकर चर्चा करेंगे। ऑस्ट्रेलिया के नामांकित अध्ययन मंडल लोवी इन्स्टीट्यूट में विदेशमंत्री जयशंकर का व्याख्यान होगा। कुछ महीने पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया ने मुक्त व्यापारी समझौता किया था। इस वजह से दोनों देशों का व्यापार बडे पैमाने पर बढ़ेगा, यह स्पष्ट हुआ था। ऐसे संकेत भी प्राप्त होने लगे हैं। खास तौर पर चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया के संबंध काफी बिगड चुके हैं और ऐसे में ऑस्ट्रेलिया का भारत के साथ यह व्यापारी सहयोग काफी अहम साबित होता है। ताइवान एवं कोरोना की महामारी के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया ने चीन विरोधी भूमिका अपनाई थी। साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के छोटे द्वीप देशों को अपने प्रभाव में लाकर उनका सामरिक इस्तेमाल करने की चीन की नीति के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया ने सख्त भूमिका अपनाई है।

इसलिए ऑस्ट्रेलिया को सबक सिखाने हेतु चीन ने ऑस्ट्रेलिया के उत्पादनों पर प्रतिबंध लगाए थे। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया को अपने सैन्य सामर्थ्य के नीचे दबोचे रखने के लिए चीन ने गतिविधियाँ भी शुरू की थीं। लेकिन, ऑस्ट्रेलिया ने चीन का यह दबाव ठुकराया है और अमरीका एवं ब्रिटेन जैसे देशों के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाया है। इसके अलावा भारत के संबंधों को विशेष अहमियत देकर ऑस्ट्रेलिया ने चीन को बेचैन किया है। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय विदेशमंत्री का ऑस्ट्रेलिया दौरा दोनों देशों के व्यापारी, राजनीतिक एवं सामरिक सहयोग के नज़रिये से ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित होता है।

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