भारत और ऑस्ट्रेलिया में हुए सात समझौते

नई दिल्ली – भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ‘म्युच्युअल लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट’ (एमएलएसए) यह बहुत ही अहम समझौता हुआ है। इस समझौते की वज़ह से भारत और ऑस्ट्रेलिया एक-दूसरें के लष्करी अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे। हिंद महासागर से पैसिफिक महासागर तक के समुद्री क्षेत्र में चीन के बढ़ते सामर्थ्य की वज़ह से बनें असंतुलन की पृष्ठभूमि पर, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए इस सहयोग की अहमियत कई गुना बढ़ी है। ‘एमएलएसए’ समझौते के साथ भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कुल सात समझौते हुए हैं। साथ ही, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए दोनों देशों ने अपने कृतिशील सहयोग का प्लैन भी घोषित किया है।

India Australiaभारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के बीच व्हर्च्युअल द्विपक्षीय चर्चा हुई। बहुत ही लाभदाई साबित हुई इस चर्चा में ‘एमएलएसए’ समेत सात समझौते हुए हैं। इनमें रक्षा, सायबर क्षेत्र, शिक्षा, दुर्लभ खनिज एवं जल स्रोत व्यवस्थापन आदि क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए किये गए समझौतों का समावेश है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग की गति बढ़ाना, केवल इन दो देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए आवश्‍यक बना है, ऐसें सूचक शब्दों में प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के साथ हो रहें सहयोग की अहमियत रेखांकित की।

वहीं, प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने, ऑस्ट्रेलिया और भारत सिर्फ समुद्री क्षेत्र पर अधिकार जमाते नहीं, बल्कि उससे संबंधित जिम्मेदारी भी उठाते हैं, ऐसा कहा। सुरक्षित और आंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का सम्मान करनेवाले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की उम्मीद भारत और ऑस्ट्रेलिया रखतें हैं, यह भूमिका आग्रहपूर्वक रखनेवाले संयुक्त कृतिशील प्लैन का ऐलान भी इस दौरान प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री मॉरिसन ने किया।

इसी बीच, संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन देने का ऐलान भी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने किया। साथ ही, परमाणु र्इंधन की आपूर्ति करनेवाले देशों के संगठन ‘एनएसजी’ की सदस्यता भी भारत को प्राप्त हो, ऐसा कह कर प्रधानमंत्री मॉरिसन ने भारत का समर्थन किया। ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच का विवाद चरमसीमा पर जा पहुँचा हैं और तभी ऑस्ट्रेलिया का भारत के साथ यह सहयोग विकसित होना सामरिक विश्‍लेषकों का ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित होता है। खास तौर पर, दोनों देशों में हुआ ‘एमएलएसए’ समझौता, यह दोनों देशों को चीन की हरकतों से बना खतरा ध्यान में रखकर किया गया होगा, यह दिखाई दे रहा है।

इस दौरान, भारत ने अमरीका के साथ सात समझौते करके चीन की आक्रामक गतिविधियों पर प्रत्युत्तर दिया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ यह समझौता, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और शांति के लिए आवश्‍यक होने की भूमिका भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपनाई है। हिंद महासागर क्षेत्र से पैसिफिक महासागर तक के क्षेत्र में चीन की आकामक हरकतों पर लगाम कसने के लिए अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने मिलकर ‘क्वाड’ सहयोग स्थापित करने के लिए पहल की थी। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विकसित हुआ सहयोग इसी ‘क्वाड’ का बहुत ही अहम चरण साबित होता है। इसी के साथ, प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री मॉरिसन के बीच हुई व्हर्च्युअल बातचीत में, भारत के मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करने का निर्णय हुआ है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विकसित हो रहा यह सामरिक एवं आर्थिक सहयोग चीन की चिंता बढ़ानेवाला है, यह बात विश्‍लेषक रख रहे हैं।

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