नाटो की तरह यूरोपिय महासंघ का भी सैन्यीकरण हो रहा हैं – रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह की चेतावनी

न्यूयॉर्क – यूरोपिय महासंघ और नाटो में अब ज्यादा फरक नहीं रहा और महासंघ का भी नाटो की तरह बड़ी मात्रा में सैन्यीकरण हो रहा हैं, ऐसी चेतावनी रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह ने दी। वे संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक के लिए अमरीका पहुंचे हैं और इस बीच आयोजित वार्ता परिषद में उन्होंने यह चेतावनी दी। नाटो ने अपने विस्तार की प्रक्रिया कभी भी बंद नहीं की थी और वैसी उनकी मंशा भी कभी भी नहीं थी, इन शब्दों में लैव्हरोव्ह ने नाटो को भी लक्ष्य किया। 

सैन्यीकरणदो दिन पहले यूरोप के अभ्यासगुट ‘सिप्री’ ने वैश्विक स्तर के रक्षा खर्च के संबंधित व्यापक रपट पेश की थी। इसमें वर्ष २०२२ में यूरोपिय देशों के रक्षाखर्च में सबसे बड़ी बढ़ोतरी होने पर ध्यान आकर्षित किया गया था। ‘शीतयुद्ध के बाद पहली बार यूरोपिय देशों के रक्षा खर्च में १२ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। वर्ष १९८९ में बर्लिन की दिवार टूटने के बाद यूरोप के रक्षा खर्च में हुई यह अबतक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इसके लिए रशिया-यूक्रेन युद्ध वजह बना हैं’, ऐसा सिप्री ने अपनी रपट में कहा था। सिप्री की इस रपट की पृष्ठभूमि पर रशिया के विदेश मंत्री ने दी हुई चेतावनी ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

विदेश मंत्री लैव्हरोव्ह ने अपने बयान में जनवरी महीने मं नाटो और यूरोपिय महासंघ ने पारित किए संयुक्त प्रस्ताव का भी ज़िक्र किया। इसके अनुसार ३१ सदस्यों के सैन्य गठबंधन नाटो ने २७ देशों के राजनीतिक एवं आर्थिक संगठन ‘यूरोपिय महासंघ’ की सुरक्षा का ज़िम्मा उठाया है। जनवरी महीने के प्रस्ताव में नाटो और यूरोपिय महासंघ ने की हुई सामरिक भागीदारी का ज़िक्र किया गया है।  

रशिया ने यूक्रेन पर किया हमला पिछले कुछ दशकों में ‘यूरो-अटलांटिक’ क्षेत्र की सुरक्षा को बना सबसे बड़ा खतरा होने का दावा इस प्रस्ताव में किया गया है। मौजूदा स्थित ‘यूरो-अटलांटिक’ क्षेत्र की सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए निर्णायक है, यह कहकर इसके लिए यूरोपिय महासंघ और नाटो का मज़बूत सहयोग बड़ा अहम होने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। रशियन विदेश मंत्री ने यह प्रस्ताव यानी यूरोपिय महासंघ नाटो की तरह सैन्य सहयोग एवं नीति पर अधिक से अधिक जोर देगा, इसके संकेत होने का दावा किया। 

सैन्यीकरणपिछले कुछ सालों में नाटो ने स्वीडन और फिनलैण्ड जैसे गैर सदस्य देशों के साथ लगातार युद्ध अभ्यास का आयोजन किया था। नाटो से दूर रहे देश और नाटो सदस्यों की सैन्य योजना का समन्वय बनाने के लिए यह शुरू था, ऐसा आरोप रशियन विदेश मंत्री ने लगाया। इस दौरान लैव्हरोव्ह ने नाटो की आलोचना भी की। ‘नाटो ने अपना विस्तार कभी भी बंद नहीं किया था और वैसा उनका इरादा भी नहीं था। हम आगे विस्तार नहीं करेंगे, यह नाटो ने रशिया से बार बार कहा था। लेकिन, वह पुरी तरह से झुठ था’, ऐसी आलोचना विदेश मंत्री लैव्हरोव्ह ने की।

रशिय के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने भी नाटो के विस्तार को लेकर लगातार नाराज़गी जताई है। यूक्रेन पर हमला करने के लिए नाटो का रशियन सीमा के करीब हो रहा विस्तार ही प्रमुख कारण होने की चेतावनी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने दी थी। पिछले दशक में यूक्रेन ने यूरोपिय महासंघ और नाटो इन दोनों संगठनों की सदस्यता पाने की गतिविधियां शुरू की थी। रशिया ने इसका जोरदार विरोध किया था। 

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