जर्मनी का ऊर्जा संकट, महंगाई इनका इस्तेमाल देशविघातक कारनामों के लिए होगा – जर्मन प्रांत के अंतर्गत सुरक्षा मंत्री की चेतावनी

बर्लिन – जर्मनी में बना ऊर्जा संकट और बढ़ती हुई महंगाई इनका इस्तेमाल करके ‘कॉन्स्पिरसी थिअरीज्‌‍’ फैलाई जा सकती हैं और उनमें से देशविघातक गतिविधियां कराई जा सकती है, ऐसी चेतावनी जर्मन प्रांत के अंतर्गत सुरक्षा मंत्री ने दी। जर्मनी में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सर्वाधिक आबादी का प्रांत होने वाले ‘नॉर्थ ऱ्हाईन-वेस्टफॅलिआ’ के अंतर्गत सुरक्षामंत्री हर्बर्ट रेऊल ने इस संदर्भ में बयान किया। कुछ ही दिन पहले जर्मनी की गुप्तचर यंत्रणा ने यह चेतावनी दी थी कि देश में व्यापक पैमाने पर असंतोष तथा अराजक सदृश्य स्थिति पैदा हो सकती है।

रशिया-युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर जर्मनी में ईंधन के दाम बड़े पैमाने पर भड़के होकर, बिजली की सप्लाई पर भी मर्यादाएँ आई हैं। रशिया ने ईंधन सप्लाई में कटौती की होने के कारण, सर्दी के मौसम के लिए जर्मनी के पास नैसर्गिक इंधन वायु का पर्याप्त संग्रहण होना संभव नहीं है, यह बात पहले ही जताई गई है। इस कारण जर्मनी में ईंधन तथा ऊर्जा का रेशनिंग शुरू हुआ होकर, सामान्य जनता समेत उद्योग क्षेत्र में तीव्र नाराज़गी है। आने वाले कुछ समय में इस नाराज़गी के गंभीर परिणाम जर्मनी में महसूस हो सकते हैं, ऐसे संकेत वरिष्ठ अधिकारी तथा विश्लेषकों द्वारा दिए जा रहे हैं। अंतर्गत सुरक्षामंत्री हर्बर्ट रेऊल की चेतावनी भी उसी का भाग है।

ऊर्जा संकट, महंगाई इन जैसे मुद्दों का इस्तेमाल ‘कॉन्स्पिरसी थिअरिस्ट’ द्वारा किया जा सकता है और उसे जर्मन जनता से भारी मात्रा में समर्थन मिल सकता है, इस पर रेऊल ने गौर फरमाया। ‘कोरोना की महामारी और लॉकडाऊन ये मुद्दे अब बचे ना होकर, अन्य मुद्दों पर घबराहट निर्माण करने की कोशिशें शुरू हुई हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया में युक्रेन युद्ध, ईंधन का संकट और महंगाई इन मुद्दों का इस्तेमाल शुरू होकर, उनको समर्थन भी प्राप्त हो रहा है’, ऐसा ‘नॉर्थ ऱ्हाईन-वेस्टफॅलिआ’ के अंतर्गत सुरक्षामंत्री हर्बर्ट रेऊल ने जताया।

जर्मन यंत्रणाएँ अब केवल प्रदर्शनकारियों के बारे में ना सोचें, बल्कि देशविघातक ताकतें स्थापित होने की कोशिश कर रही हैं इस बात पर गौर करें, यह चेतावनी भी अंतर्गत सुरक्षा मंत्री ने दी। रशिया-युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर रशिया पर लगाए हुए प्रतिबंधों के परिणाम सभी युरोपीय देशों को भुगतने पड़ रहे हैं और उनमें जर्मनी का भी समावेश है। जर्मनी को युरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है। जर्मनी में घटित होनेवाली घटनाओं की गूंजे पूरे युरोप में सुनाई देती हैं, यह इससे पहले बार-बार दिखाई दिया है। इस पृष्ठभूमि पर, जर्मन यंत्रणा तथा नेताओं द्वारा दी जा रही चेतावनियाँ गौरतलब साबित होती हैं।

रशिया द्वारा की गई इंधन कटौती के कारण जर्मनी को जबरदस्त झटके लगेंगे, ऐसी चेतावनी जर्मनी के औद्योगिक संगठनों द्वारा दी गई थी। जर्मन अभ्यास गुट ‘इन्स्टिट्यूट फॉर एम्प्लॉयमेंट रिसर्च’ (आयएबी) ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र करते समय, अगले 3 से 4 सालों में जर्मनी में बेरोजगारी का प्रमाण बढ़ेगा, यह चेतावनी दी थी। दूसरी ओर जर्मनी में आक्रमक विचारधारा के गुटों का प्रभाव बढ़ रहा है इस पर भी गौर फरमाया जा रहा है। इस बात के मद्देनजर, गुप्तचर यंत्रणाएँ तथा अंतर्गत सुरक्षा मंत्री के बयान जर्मनी समेत युरोपीय देशों के लिए अहम बात साबित होते हैं।

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