वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कर्ज का बोझा बढ़कर ३०५ ट्रिलियन डॉलर्स हुआ – ‘इन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स’ की चेतावनी

वॉशिंग्टन – वैश्विक अर्थव्यवस्था का कर्ज का बोझा बढ़कर कुल ३०५ ट्रिलियन डॉलर्स (३०५ लाख करोड़ डॉलर्स) हुआ हैं, ऐसी चेतावनी ‘इन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स’ (आईआईएफ) नामक अंतरराष्ट्रीय अभ्यास गुट ने दी है। प्रगत देशों में वृद्ध लोगों की बढ़ती संख्या स्वास्थ्य व्यवस्था के खर्च में हुई बढ़ोतरी, भू-राजनीतिक तनाव के कारण रक्षा क्षेत्र के लिए किए जा रहे अतिरिक्त प्रावधान एवं बढ़ते ब्याज दर जैसे मुद्दे कर्ज का बोजा बढ़ने के लिए वजह बने हैं, ऐसा ‘आईआईएफ’ ने इशारा दिया है। कोरोना की महामारी से पहले के कर्ज का विचार करें तो वैस्विक अर्थव्यवस्था का बोजा कुल ४५ ट्रिलियन डॉलर्स बढ़ा होने की ओर इस अभ्यास गुट ने ध्यान आकर्षित किया है। 

वैश्विक अर्थव्यवस्थाइन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स’ ने हाल ही में ‘ग्लोबल डेब्ट् मॉनिटर’ के तहत नई रपट जारी की। इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था के खतरनाक संकट पर ध्यान दिया गया है। वर्ष २०१९ के अन्त तक यानी कोरोना के दौर से पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज बोजा २६० ट्रिलियन डॉलर्स के करीब था। लेकिन, अगले ३.२५ वर्षों में इसमें कुल ४५ ट्रिलियन डॉलर्स की बढ़ोतरी हुई देखी जा रही है। वर्ष २०२३ की पहली तिमारी खत्म होने के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज का बोजा बढ़कर ३०५ ट्रिलियन डॉलर्स हुआ है। 

नए साल की पहले तीन महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज का बोजा कुल ८.३ ट्रिलियन डॉलर्स बढ़ा है। तीन महीनों में इतनी बड़ी मात्रा में कर्ज का बोजा बढ़ने का यह दूसरा अवसर होने की बात ‘आईआईएफ’ ने दर्ज़ की है। अंतरराष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था के ‘जीडीपी’ पर गौर करें तो कर्ज की मात्रा कुल ३३५ प्रतिशत अधिक होने का अहसास इस अभ्यास गुट ने कराया है। 

वैश्विक अर्थव्यवस्था के उभरते बाज़ार (इमर्जिंग मार्केटस्‌‍) के तौर पर जाने जा रहे देशों में कर्ज पाने की मात्रा बढ़ी है, ऐसा ‘आईआईएफ’ की रपट में कहा गया है। वैश्विक व्यवस्था के उभरते बाज़ारों ने उठाए कर्ज का कुल आंकड़ा १०० ट्रिलियन डॉलर्स तक जा पहुंचा होने का बयान इस अभ्यास गुट ने कहा है। इसमें चीन, मेक्सिको, ब्राज़ील, तुर्की और भारत इन देशों का समावेश होने की बात ‘आईआईएफ’ ने कही है।

कर्ज का बोजा बढ़ने के विभिन्न कारण होने का दावा ‘इन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स’ ने किया है। विश्व के प्रगत देशों में ज्येष्ठ नागरिकों की संख्या काफी बढ़ रही हैं। साथ ही कोरोना के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था का खर्च काफी बढ़ा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के भू-राजनीतिक तनाव के कारण कई देशों ने अपने रक्षा खर्च बढ़ाना शुरू किया है। ऐसे में पिछले साल से अमरीका समेत प्रमुख सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दर बढ़ाने से चलन के मूल्य में काफी बड़े बदलाव हुए हैं। इस सभी का असर कर्ज की मात्रा बढ़ने पर होने की ओर ‘आईआईएफ’ ने ध्यान आकर्षित किया। अगले दिनों में यह मात्रा अधिक बढ़ती रहेगी और कर्ज के भुगतान का मुद्दा गंभीर हो सकता हैं, ऐसा इशारा इस अभ्यास गुट ने दिया हैं। 

मराठी

Leave a Reply

Your email address will not be published.