वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता बढ़ी – जापान में आयोजित ‘जी ७’ गुट की बैठक की चेतावनी

टोकियो – ‘कोरोना की महामारी, रशिया-यूक्रेन युद्ध और महंगाई के उछाल के संकटकाल में वैश्विक अर्थिक व्यवस्था ने लचिलापन दिखाया था। लेकिन, फिलहाल वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता बढ़ी हैं और आगे के समय में निर्णय करते हुए अधिक चौकन्ना रहना होगा’, ऐसी चेतावनी ‘जी ७’ गुट की बैठक में दी गई हैं। इस बैठक के बाद जारी किए गए प्रस्ताव में अमरीका की कर्ज मर्यादा के संकट का ज़िक्र नहीं है। लेकिन, वैश्विक स्तर की सप्लाई चेन में बदलाव करने के लिए नई योजना बनाने के संकेत दिए गए हैं। यह योजना चीन को लक्ष्य करने की कोशिशों का हिस्सा बताया जा रहा है।  

वैश्विक अर्थव्यवस्थाजापान के निगाटा शहर में गुरुवार से ‘जी ७’ देशों की उच्चस्तरीय बैठक शुरू हुई। इस बैठक में ‘जी ७’ सदस्य देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों की हुई चर्चा ने विशेष ध्यान आकर्षित किया। इस दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। ‘जी ७’ गुट के अधिकांश सदस्य देश महंगाई के संकट का मुकाबला कर रहे हैं और इसके परिणाम आर्थिक विकास दर पर हो रहे हैं। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था बने ‘जी ७’ देशों के आर्थिक गतिविधियों का असर पूरे विश्व में होता हैं और इसी कारण जापान की बैठक में कौनसे मुद्दों को ज्यादा अहमियत दी जाती हैं, इस पर पूरे विश्व की नज़रे थी।

कोरोना और रशिया-यूक्रेन युद्ध के परिणामों से वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी पुरी तरह से संभली नहीं हैं और इसी बीच अमरीका के ‘बैंकिंग क्राइसिस’ और कर्ज मर्यादा के संकट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से बेचैनी बनाई है। ‘जी ७’ गुट इसे प्राथमिकता देकर इसका हल निकालने के पर जोर देंगे, ऐसे संकेत इस बैठक से पहले दिए जा रहे थे। लेकिन, वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंकों के प्रमुखों की बैठक के बाद जारी किए गए प्रस्ताव में अमरीका के कर्ज मर्यादा से उभर रहे संकट का ज़िक्र नहीं किया गया है। बैंकिंग व्यवस्था की कमियां दूर करने की कोशिश करने का वादा किया गया है, फिर भी इसमें भी अमरीका का ज़िक्र नहीं किया गया। साथ ही वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव करने के लिए तेज़ कदम बढ़ाने पर पुख्ता भूमिका अपनाई गई है। इसके लिए वर्ष के अन्त तक नई योजना का कार्यान्वयन करने का भरोसा भी दिया गया है।

पिछले कुछ सालों में आर्थिक एवं व्यापारी क्षेत्र में चीन के प्रभाव और कार्रवाई के कारण पश्चिमी देश बेचैन हैं। कोरोना की पृष्ठभूमि पर उभरी मुश्किलों के बाद इनकी बेचैनी अधिक बढ़ी हैं और चीन को रोकने के लिए अमरीका और यूरोपिय देश व्यापक गठबंधन बनाने की तैयारी में जुटे हैं। इसमें जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को शामिल करने के लिए कदम बढ़ाए जा रहे हैं। चीन के परंपरागत प्रतिद्वंद्वी जापान भी चीन की बढ़ती हरकतों से नाराज़ हैं और अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के माध्यम से चीन को चुनौती देने की कोशिश हो रही है। ‘जी ७’ बैठक के अवसर पर जापान को चीन विरोधी गठबंधन के लिए अधिक ताकत प्राप्त होने की बात इस बैठक के बाद किए गए बयान एवं प्रस्ताव से देखी जा रही है। 

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