आठ हज़ार करोड़ की रक्षा खरीद को ‘डीएसी’ की मंजूरी

नई दिल्ली – रक्षा मंत्रालय के ‘डिफेन्स एक्विजिशन कौन्सिल’ (डीएसी) ने मंगलवार के दिन रक्षा बलों के लिए अहम खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। कुल ७,९६५ करोड़ रुपयों के यह प्रस्ताव रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता के इस समिति ने मंजूरी प्रदान की। इस प्रस्ताव के तहत खरीदे जा रहे यह सभी सामान ‘मेक इन इंडिया’ के तहत निर्माण होंगे, यह रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है।

‘डीएसी’‘डीएसी’ ने बीते महीने १३ हज़ार करोड़ के रक्षा सामान की खरीद को मंजूरी प्रदान की थी। इसके बाद और तकरीबन आठ हज़ार करोड़ के प्रस्ताव ‘डीएसी’ ने मंजूर किए हैं। इसके अनुसार रक्षाबलों के लिए १२ ‘लाईट युटिलिटी हेलिकॉप्टर्स’ (एलयूएच) की खरीद होगी। साथ ही नौसेना के लिए ‘लिंक्स यू २’ नामक गन कंट्रोल सिस्टम की खरीद होगी। साथ ही नौसेना के लिए नवीनतम सुपर रैपिक माऊंट गन्स (एसआरजीएम) भी खरीदी जाएंगी। इससे युद्धपोतों की क्षमता बढ़ेगी, यह दावा किया जा रहा है। ‘भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ से इस यंत्रणा की खरीद होगी। इसके अलावा २५ ‘डॉर्नियर’ विमानों के आधुनिकीकरण के लिए भी ‘डीएसी’ ने मंजूरी दी है।

थलसेना और वायुसेना के बेड़े में मौजूद चीता और चेतक हेलिकॉप्टर्स पुराने हो चुके हैं और इनके दूर्घटनाग्रस्त होने की घटनाएँ भी घट रही हैं। बीते दस वर्षों में १५ चीता और चेतक हेलिकॉप्टर्स दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। इसकी वजह से ‘एलयूएच’ यानी ‘लाईट युटिलिटी हेलिकॉप्टर्स’ की खरीद अहम साबित होती है। चीता और चेतक हेलिकॉप्टर्स अलग अलग चरणों में सेवा से हटाकर उनके स्थान पर कम भार वाले बहु-उद्देशीय हेलिकॉप्टर्स खरीदने के नज़रिये से १२ ‘एलयूएच’ खरीदने की मंजूरी की बात कही जा रही है।

खरीदे जा रहे १२ हेलिकॉप्टर्स में से ६ हेलिकॉप्टर्स थलसेना को और अन्य ६ हेलिकॉप्टर्स वायुसेना को प्रदान होने की संभावना जताई जा रही है। थलसेना और वायुसेना ने १८७ ‘एलयूएच’ की माँग की है, ऐसा बताया जा रहा है। अगले कुछ वर्षों में यह हेलिकॉप्टर्स खरीदे जाएंगे। १२६ हेलिकॉप्टर्स थलसेना के लिए और ६१ हेलिकॉप्टर्स वायुसेना के लिए खरीदने की योजना की खबर है। भारत और रशिया संयुक्त कोशिश से ‘कमोव-२२६ टी’ हेलिकॉप्टर्स तैयार कर रहे हैं और यह हेलिकॉप्टर्स चीता और चेतक हेलिकॉप्टर्स के स्थान पर तैनात होंगे। थलसेना, नौसेना और वायुसेना को कुल मिलाकर ५०० ‘एलयूएच’ की आवश्‍यकता की रपट है।

एके-४७ के आधुनिकीकरण का कान्ट्रैक्ट भारतीय निजी कंपनी को प्राप्त

थलसेना के सैनिकों के इस्तेमाल की ‘एके-४७’ रशियन रायफल का आधुनिकीकरण करने का कान्ट्रैक्ट भारत की ‘एसएसएस डिफेन्स’ नामक निजी कंपनी को प्राप्त हुआ है। इस क्षेत्र में अब तक विदेशी कंपनियों का दबाव था। थलसेना को प्राप्त ‘एके-४७’ रायफल का आधुनिकीकरण करने के लिए निविदा माँगी गई थी और इसमें इस्रायल की फेब डिफेन्स की भी बड़ी चुनौती थी। लेकिन, इस्रायली कंपनी को कीमत के स्तर पर परास्त करके ‘एसएसएस डिफेन्स’ ने यह कान्ट्रैक्ट प्राप्त किया।

‘एसएसएस’ कंपनी को आधुनिकीकरण करने के लिए दिए जा रहे रायफल्स की संख्या कम है, फिर भी आनेवाले दिनों में इस क्षेत्र में भारतीय कंपनियाँ अपना दबाव बना सकती हैं। छोटे हथियारों के क्षेत्र में विदेशी कंपनियाँ भारतीय बाज़ार पर कब्ज़ा नहीं कर पाएंगी। भारतीय कंपनियों से उन्हें कड़ा मुकाबला करना पड़ेगा, यह बात इससे स्पष्ट हो रही है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।

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